मैं घोर अज्ञान के घोर अंधकार में उत्पन्न हुआ था।
मेरे गुरुओं ने ज्ञान रुपी प्रकाश से मेरी आँखे खोलकर मुझे इस संसार को देखने, समझने और जानने का अवसर दिया।
मैं मेरे सभी गुरुओं को सादर नमन करता हूँ.
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
5 सितंबर 2008
अपनी बात अभिव्यक्त करने का प्रयास, चाहे वे आपके विचारों से भिन्न ही क्यों ना हों .... पाठकों की टिप्पणी का स्वागत है, पर भाषा शालीन हो, इसका निवेदन है .... - केशव राम सिंघल, अजमेर, भारत.
मैं घोर अज्ञान के घोर अंधकार में उत्पन्न हुआ था।
मेरे गुरुओं ने ज्ञान रुपी प्रकाश से मेरी आँखे खोलकर मुझे इस संसार को देखने, समझने और जानने का अवसर दिया।
मैं मेरे सभी गुरुओं को सादर नमन करता हूँ.
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
5 सितंबर 2008