सोमवार, 16 मार्च 2020

यथार्थवादी सोच अपनाओ


यथार्थवादी सोच अपनाओ

इस ब्रह्माण्ड की सबसे जटिल वस्तु संभवतः मानव मस्तिष्क है। हमारी हर गतिविधि में इसकी भूमिका होती है। लोग अक्सर सकारात्मक सोच अपनाने की सलाह देते हैं। पर मेरी सलाह है कि केवल सकारात्मक सोच पर विश्वास न करें, वरन यथार्थवादी सोच की शक्ति पर विश्वास करें।

यथार्थवाद क्या है? यथार्थवाद के लिए अंग्रेजी का शब्द ‘रियलिज्म (Realism) है। 'जो जैसा है' की स्थिति को स्वीकार करने का दृष्टिकोण ही यथार्थवाद है। यथार्थवाद वास्तविकता से सम्बन्धित एक दृष्टिकोण है। यथार्थवाद एक भौतिकवादी दर्शन है। इस विचारधारा को वास्तववाद अथवा यथार्थवाद की संज्ञा दी जाती है। यथार्थवाद जगत को मिथ्या कहने वाली भावना का विरोधी स्वर है।

यथार्थवादी सोच हमें जीवन में बुरे और अच्छे को स्वीकार करने में सहायता करता है। हमें यह इस तथ्य के साथ आने में मदद करता है कि सकारात्मक विचार का कोई अंत नहीं है। सकारात्मक विचार हमें हमारे जीवन के हर पहलू को नियंत्रित कर सकता है। यथार्थवादी सोच हमें भ्रमित सोच से पीछा छुड़ाने की अनुमति देता है। ऐसी भ्रमित सोच जिससे बाद में हमें निराशा हो सकती है। जब हम भ्रम में होते हैं और तथ्यात्मक रूप से विचार नहीं करते, तब सकारात्मक सोच हमें सब कुछ अच्छा होगा की भावना मन में लाती तो है, पर बाद में कोई उम्मीद नहीं होने का अहसास होता है जिससे निराशा उत्पन्न होती है कि काम मन-मुताबिक़ नहीं हुआ। जैसा मैंने पहले कहा कि यथार्थवादी सोच हमें जीवन में जो जैसा है (अच्छा या बुरा) को स्वीकार करने में मदद करती है। यथार्थवादी सोच अधिक तथ्यात्मक भी है और यह किसी तरह से अनुत्तरदायी, छिछोरी और कल्पनात्मक नहीं।

सकारात्मक सोच यह मानती है कि हमें अपने सपनों या लक्ष्य को हासिल करने के लिए आत्म-विश्वास की जरुरत है। हम लगभग अपने हर काम में सफल हो सकते हैं और अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं, यदि हम वास्तव में यह विश्वास करे कि हम कर सकते हैं। बेशक, कुछ हद तक यह सच हो सकता , लेकिन यह मुख्य रूप से जीने का एक अवास्तविक तरीका है अर्थात्त यह जीने का वास्तविक तरीका नहीं है। यथार्थवादी सोच के लिए हमें धैर्य से तथ्यों और औचित्य को सोचने की जरुरत होती है क्यों कि यह वास्तविक सम्भावनाओं पर आधारित होती है। यथार्थवादी सोच का स्थान वह है, जहाँ वास्तविक आशा पायी जाती है, जो हमें यथार्थवाद और महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है। यथार्थवादी सोच हमें अपने सामने वास्तविक अवसरों या लक्ष्यों को पहचानने में सक्षम बनाती है और उन काल्पनिक अवसरों या लक्ष्यों को नहीं जो वास्तव में मौजूद ही नहीं हैं। वास्तविक अवसरों को पहचानने और साध्य लक्ष्यों को निर्धारित करने में बहुत हद तक इससे मदद मिलती है। इसके विपरीत सकारात्मक सोच हमें निर्विवाद आज्ञाकारिता के लिए सीमित जीवन की ओर ले जाने के लिए और हमारे असंतोष को दबाने के लिए हमें मजबूर कर सकती है। इसलिए क्यों नहीं, हम अपने मस्तिष्क को स्वतन्त्र रखें और यथार्थवादी सोच अपनाएं !!!

हम यह भी जानते हैं कि विश्व के सुन्दरतम, जबरदस्त और आश्चर्यजनक कारनामें वास्तविकता की अवधारणा पर बने। यह भी कहा जाता है कि कर्मफल के सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही वह फल पाता है। इसी प्रकार कोई भी विचार जब मन में आता है तो वह धीरे-धीरे आकृति ग्रहण करता है और इसके बाद ही वास्तविकतामें परिवर्तित होता है।

लोग अक्सर प्रश्न करते हैं कि सकारात्मक सोच और यथार्थवादी सोच अलग कैसे है और कौन सी सोच बेहतर है। सकारात्मक सोच खुशहाल है, भाग्यशाली बात है, लेकिन यथार्थवादी सोच तथ्यों पर आधारित होती है, अतः यह तथ्यात्मक है और लोगों को यह वास्तविक लक्ष्य की ओर ले जाती है। तथ्य स्थाई होते हैं। बिना तथ्यों के हर समय सकारात्मक बने रहना अच्छा कदम नहीं है। सकारात्मक सोच हमारे दिमाग को यह सोचकर अँधेरे में रखती है कि हमने अपना लक्ष्य करीब-करीब प्राप्त कर ही लिया है और इस कारण हम अपने लक्ष्य को पाने की तत्परता को कम कर देते हैं। सकारात्मक सोच के कुछ आलोचक लोगों को सभी खुशहाल बातों को छोड़कर चुनौतियों और बाधाओं को पार करने के लिए 'वास्तविक होने' की सलाह देते हैं।

इसी ब्लॉग पर पूर्व लेख 'विचार (कल्पना) की शक्ति' भी पढ़े।

धन्यवाद,

केशव राम सिंघल

मंगलवार, 10 मार्च 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर केंद्र सरकार की प्रेस विज्ञप्ति


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर केंद्र सरकार की प्रेस विज्ञप्ति

इस ब्लॉग में पूर्व लेख 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020' देखें। भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो ने प्रेस विज्ञप्ति दिनांक चार फरवरी 2020 द्वारा 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर' के सन्दर्भ में कुछ स्पष्टीकरण दिए गए, जिनका उल्लेख भी जरूरी है।

गृह मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के उत्तर में यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अद्यतनीकरण की कवायद के दौरान कोई दस्तावेज एकत्र नहीं किया जाना है। उत्तरदाताओं को अपने ज्ञान और विश्वास के आधार पर सही जानकारी प्रदान करना है। भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRIC) को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया।

जनसंख्या रजिस्टर आमतौर पर एक गाँव या ग्रामीण क्षेत्र या कस्बे या वार्ड या एक शहर या शहरी क्षेत्र में वार्ड के भीतर सीमांकित क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों का विवरण होता है। एनपीआर पहली बार 2010 में तैयार किया गया था और 2015 में अपडेट किया गया था। केंद्र सरकार ने असम को छोड़कर पूरे देश में अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने और अद्यतन करने का निर्णय लिया। एनपीआर के अपडेशन के दौरान दस्तावेजों के अनिवार्य संग्रह के सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण अपडेट / एकत्र किए जाने हैं। इस अभ्यास के दौरान कोई दस्तावेज एकत्र नहीं किया जाना है। आधार संख्या स्वेच्छा से एकत्र किया जाना है। इसके अलावा, अभ्यास के दौरान कोई भी सत्यापन उन व्यक्तियों को खोजने के लिए नहीं किया जाना है जिनकी नागरिकता संदिग्ध है।

एनपीआर अपडेशन के लिए उत्तरदाता को अपने ज्ञान और विश्वास से सही जानकारी प्रदान करना है। केंद्र सरकार एनपीआर की तैयारी के संबंध में राज्य सरकारों के साथ चर्चा कर रही है, मंत्री ने कहा।

- केशव राम सिंघल

मंगलवार, 3 मार्च 2020

भारत की जनगणना 2021 से सम्बंधित मकान सूचीकरण का कार्य


भारत की जनगणना 2021 से सम्बंधित मकान सूचीकरण का कार्य

भारत का राजपत्र दिनांक 9 जनवरी 2020 के अनुसार भारत की जनगणना 2021 से सम्बंधित मकान सूचीकरण का काम 1 अप्रेल 2020 से 30 सितम्बर 2020 तक होना है। भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 7 जनवरी 2020 के अनुसार भारत की जनगणना 2021 के सम्बन्ध में मकान सूचीकरण तथा मकानों की गणना के सम्बन्ध में अनुसूचियों के माध्यम से जानकारी एकत्र करने के लिए निम्न जानकारी एकत्रित की जाएगी -
1 - भवन नंबर (नगर या स्थानीय प्राधिकरण या जनगणना नंबर)
2 - जनगणना मकान नंबर
3 - जनगणना के मकान के फर्श, दीवार तथा छत में प्रयुक्त सामग्री
4 - जनगणना मकान के उपयोग
5 - जनगणना मकान की हालत
6 - परिवार क्रमांक
7 - परिवार में सामान्यतः रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या
8 - परिवार के मुखिया का नाम
9 - परिवार के मुखिया का लिंग
10 - क्या परिवार का मुखिया अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य से सम्बंधित है?
11 - मकान के स्वामित्व की स्थिति
12 - परिवार के पास रहने के लिए उपलब्ध कमरों की संख्या
13 - परिवार में रहने वाले दम्पत्तियों की संख्या
14 - पेयजल का मुख्य स्रोत
15 - पेयजल स्रोत की उपलब्धता
16 - प्रकाश का मुख्य स्रोत
17 - शौचालय की सुलभता
18 - शौचालय का प्रकार
19 - गंदे पानी की निकासी
20 - स्नानगृह की उपलब्धता
21 - रसोईघर और एलपीजी / पीएनजी की उपलब्धता
22 - खाना पकाने के लिए प्रयुक्त मुख्य ईंधन
23 - रेडियो / ट्रांजिस्टर
24 - टेलीविजन
25 - इंटरनेट सुविधा
26 - लैपटॉप / कंप्यूटर
27 - टेलीफोन / मोबाइल फोन / स्मार्ट फोन
28 - साइकिल / स्कूटर / मोटर साइकिल / मोपेड
29 - कार / जीप / वैन
30 - परिवार द्वारा उपयोग किए जाने वाला मुख्य अनाज
31 - मोबाइल नंबर (केवल जनगणना सम्बन्धी सूचना के लिए)

1 से 5 तक के विवरण भवन से सम्बंधित, 6 - 7 परिवार के विवरणों (पूर्णतः अथवा अंशतः आवासीय उपयोग में लाए गए जनगणना मकान के लिए) सम्बंधित, 8 से 10 परिवार मुखिया से सम्बंधित, 9 से 31 सामान्य परिवार से सम्बंधित जिसमें 23, 24, 26, 27, 28 और 29 परिवार द्वारा धारित परिसम्पत्तियों के सम्बन्ध में है।

यहाँ यह बताना भी जरूरी होगा कि साल 2021 में भारत की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन किया जाएगा। इसके लिए कृपया इस ब्लॉग में पूर्व में दिए लेख 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020' पढ़े। अधिक जानकारी के लिए आप जनगणना विभाग की वेबसाइट http://censusindia.gov.in/ देख सकते हैं।

- केशव राम सिंघल