शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

चुनावी समर की बातें - 1

 चुनावी समर की बातें - 1 

(हँसना और रोना दोनों मना है।)

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(1) सरकारी संस्थाएँ बहुत मेहनत कर रही हैं और भ्रष्टाचारियों को पकड़-पकड़ कर जेल में डाल रही हैं, ताकि देश से भ्रष्टाचार का सफाया हो सके।  

(2) राज्य सरकार के मुख्यमंत्री तक नहीं छोड़े जा रहे हैं। विपक्ष के मंत्री हो, मुख्यमंत्री हो या कोई और भी छोड़े नहीं जाएंगे, भ्रष्टाचार का सफाया जो करना है और वह भी चुनाव से पहले। 

(3) एक नया राजनीतिक अध्याय लिखा जा रहा है। सरकार और राजनीतिक दल जेल से भी संचालित किए जा सकते हैं।  

(4) नेताओं के चेहरे पर कुटिल मुस्कान दिखती है। शब्द उनके कटुता से भरे हैं।  

(5) न्याय के लिए अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर होती हैं। 

(6) दल बदलने से भ्रष्टाचार के आरोपी नेता सत्तारूढ़ पार्टी की वाशिंग मशीन में धुलकर साफ़-सुथरे और भ्र्ष्टाचार-मुक्त हो जाते हैं।  

(7) झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने में लगे हैं नेता।  

(8) 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने 95 लाख रूपये खर्च की सीमा तय की है। यह बताता है कि अब चुनाव संपन्न लोगों का राजनीतिक खेल है। 

(9) चुनावी समर में पैसे के अलावा जाति और धर्म का खेल खेलने का प्रयास हो रहा है।  

(10) अमेरिकी पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' के अनुसार भारत में 2024 लोकसभा चुनाव दुनिया के सबसे महँगे चुनाव साबित हो सकते हैं। यह स्थिति तब है जब 2024-25 के लिए राष्ट्रव्यापी औसत मनरेगा मजदूरी 289 रुपये प्रतिदिन है, अर्थात मासिक आमदनी एक मजदूर की नौ हजार रुपये भी नहीं है।  

(11) भ्रष्टाचार समाप्त करने वाली सरकारी संस्थाओं के नाम बड़े और दर्शन छोटे ,,,,,, 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार 17 साल में सिर्फ 0.42% लोगों को सजा दिला पाया अत्यंत ताकतवर ईडी। 

(12) इस चुनाव में इलेक्ट्रोरल बॉन्ड और राजनीतिक दलों के चंदे-धंधे का मायाजाल कुछ-कुछ समझ में आ रहा है।  

(13) कुछ को इलेक्ट्रोरल बॉन्ड घोटाला दिखता है और सरकार के मुखिया कहते हैं कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड उन्होंने बनाया तभी तो पता चलता है कि कहाँ से पैसा आया कहाँ गया। जय हो, सरकार की। कोशिश तो बहुत की थी सरकार ने कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के आकड़े सार्वजनिक न किए जाएँ। सुप्रीम कोर्ट में छुपाने के लिए दलील देते देते थके नहीं और अब कहते हैं कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड उन्होंने बनाया तभी तो पता चलता है कि कहाँ से पैसा आया कहाँ गया। 

(14) एक तरफ सत्तारूढ़ दल ने 400 पार का नारा दिया है। दूसरी तरफ 'INDIA' गठबंधन ने दिया है नारा 'जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया'। 'लक्ष्य हमेशा बड़े रखने चाहिए' यह सीख सीखने की जरुरत है।  


सादर,

केशव राम सिंघल 


सोमवार, 4 मार्च 2024

कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का उपयोग करते समय सावधानी की जरुरत

कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का उपयोग करते समय सावधानी की जरुरत 

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अपने एआई (AI) प्लेटफॉर्म जेमिनी (Gemini) द्वारा भारत के प्रधानमंत्री मोदी पर की गई निराधार टिप्पणियों पर कोई स्पष्टीकरण देने में असमर्थ, प्रौद्योगिकी दिग्गज गूगल (Google) ने भारत सरकार से 'माफी' (sorry) माँगी। फिर भी भारत सरकार गूगल द्वारा कही गई 'माफी' (sorry) से संतुष्ट नहीं है। 










सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखरन ने कहा, "एआई डेटा (AI data) बिना किसी परीक्षण और बिना किसी चेतावनी के प्रयोगशाला से सीधे सार्वजनिक इंटरनेट पर आ रहा है। और फिर, जब वे पकड़े जाते हैं, वे कहते हैं क्षमा करें, यह अविश्वसनीय है।"


एआई (AI) परिणाम प्रौद्योगिकी यंत्र अधिगम (machine learning) से बनते हैं। यंत्र की किसी गलती के लिए मनुष्य को कैसे उत्तरदायी ठहराया जा सकता है? यह प्रश्न उठाने से पहले यह समझना जरूरी कई कि कृत्रिम बुद्धिमता (AI) की खोज के पीछे मनुष्य ही है। इसलिए इस ओर विशेष कदम उठाने की जरुरत है। यह घटना प्रौद्योगिकी और नैतिक मुद्दों पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, हमें इसकी नियंत्रण में सजग रहने की आवश्यकता है, ताकि हम समाज को सुरक्षित और न्यायसंगत बना सकें।


इस तरह के विवादों से बचने के लिए प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में कुछ प्रासंगिक विचार निम्न हैं:


- जागरूकता और पारदर्शिता की आवश्यकता: कृत्रिम बुद्धिमता (AI) के उपयोग में, जागरूकता और पारदर्शिता की आवश्यकता होती है। उपयोगकर्ताओं को यह जानने का अधिकार होता है कि उनका डेटा कैसे उपयोग किया जाता है और किस प्रकार का निर्णय उनके लिए लिया जाता है।


- नैतिक मानकों की पालना: एआई प्रौद्योगिकी के उपयोग में, नैतिक मानकों की पालना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रणालियों द्वारा उत्पन्न किए गए निर्णयों में कोई भी जातिगत, लिंगानुपातिक, धार्मिक या नैतिक भेदभाव नहीं हैं।


- संवैधानिक नियंत्रण: सरकारों को अपने क्षेत्र में एआई के उपयोग पर नियंत्रण रखने के लिए संवैधानिक नियंत्रण प्रणालियों को स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रणालियों का उपयोग सामाजिक सुरक्षा और न्याय के लक्ष्यों के साथ संगत हो।


साक्षरता और शिक्षा: कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रौद्योगिकी के संप्रेषण के साथ, हमें साक्षरता और शिक्षा के क्षेत्र में भी ध्यान देने की आवश्यकता है। लोगों को इसके प्रभावों, सीमाओं और नैतिकता के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण और जरूरी है।


आखिरकार, कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रौद्योगिकी का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक और सावधानीपूर्वक करना सभी की जिम्मेदारी है। कृत्रिम बुद्धिमता (AI) प्रौद्योगिकी से जुड़े वैज्ञानिकों को निरंतर समीक्षा करते रहना चाहिए और नई संभावनाओं के साथ एक समाधानात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए, ताकि सुसंगत परिणाम आ सकें। 


सादर,

केशव राम सिंघल