सोमवार, 10 मई 2021

आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता 


मैं आपको एक मध्यम-वर्गीय परिवार की कहानी सुनाता हूँ। उस परिवार का मुखिया अपने पर बहुत अधिक ध्यान देता था। सारा समय दूसरों के यहाँ जाने, उनसे बड़ी-बड़ी बाते करने में बिताता। घर के लोगों को भी अपने मन की बात कहकर ऐसा साबित करने का प्रयास करता कि उसे परिवार की ही नहीं पूरे संसार की चिंता है और यह जताता कि इसके लिए वह दिन में वह छब्बीस घंटे काम करता है। पर असल में वह आदमी अपनी मौज मस्ती में व्यस्त रहता, अच्छे से अच्छे कपडे पहनना उसका शौक है। वह जो कमाई करता, उसे अपने पर ही खर्च करता, जब भी जरुरत पड़ती तो घर वालों से भी पैसे आदि ले लेता। यदि पैसों की ज्यादा जरुरत होती और कहीं से कोई जुगाड़ नहीं होता तो घर का कोई कीमती सामान वह बेच देता। घर का कोई सदस्य कभी उससे किसी वजह से पैसे मांगता तो वह आत्मनिर्भरता का अच्छा सा भाषण उस सदस्य को दे देता। परिवार के सदस्य भी अब समझ गए कि अब परिवार के मुखिया को पूरे संसार की चिंता रहने लगी है।   


इधर कुछ दिनों से परिवार के मुखिया को सनक चढ़ी है कि वह अपने लिए एक महंगी कार खरीदेगा और आलीशान हवेली बनाएगा। उसने लोन लेकर कार खरीद भी ली है और हवेली निर्माण का काम चालू करवा दिया है। वह बहुत खुश है कि गाड़ी और घर होते हुए भी उसने आस-पड़ौस में अपनी इज्जत बढ़ाने के लिए एक और महंगी कार खरीद ली है और अब वह एक आलीशान घर भी बनवा रहा है। लेकिन घर के सदस्य परेशान हैं। घर का रोजमर्रा का खर्चा वे कैसे जुटाएं, इसी को लेकर घर में हाहाकार मचा हुआ है। घर के लोग अपनी दैनिक आवश्यकताएं पूरी नहीं कर पा रहे हैं। मुखिया घर पर रहता नहीं, दूर दोस्तों के घर अपनी नई गाड़ी से चला जाता। पुरानी गाड़ी गैराज में सड़ रही है क्यों कि घर वाले पहले ही आर्थिक तंगी से परेशान हैं। हर दिन घर में चिल्ल-पौं होती और आस-पड़ौसी घरवालों का रोना सुनते। आसपास के सभी पड़ौसी बहुत अच्छे हैं, हालांकि बहुत संपन्न तो नहीं पर परिवार की हालत को देख-सुन उन्हें तरस आ जाता और वे कुछ न कुछ छोटी-मोटी चीज मदद में दे ही देते। परिवार का मुखिया बहुत खुश है, उसके मौज में कोई कमी नहीं है, वह तो आगे के सपने देखने में व्यस्त है।  यह बात अलग है कि नए कार की कई किश्तें अभी चुकाना बाकी है और उसका दिमाग इसी सोच में लगा है कि नयी बनने वाली हवेली में क्या-क्या लगवाना है। 


- केशव राम सिंघल 


कहानीकार लेखक - केशव राम सिंघल ©

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डिस्क्लेमर - यह कहानी कहानीकार लेखक की कल्पना के आधार पर लिखी गई है। किसी भी घटना से इस कहानी की कोई भी प्रासंगिकता होना एक संयोग है।