मंगलवार, 20 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 17

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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आज जब बातचीत शुरू हुई तो राजरानी ने सभी को बताया कि पड़ौस के मोहल्ले में कल एक व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु हो गई। चाची कहने लगीं कि यह तो बहुत ही चिंता की बात है।

 

अम्मा जी ने कहा - हमारी थोड़ी सी लापहरवाही और प्रकृति में से कोरोना के वायरस के होने के कारण कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। केंद्र सरकार समय-समय पर कोरोना के सम्बन्ध में सलाह-निर्देश जारी करती रहती है, पर  जनता में जागरूकता की कमी के कारण कोरोना बार-बार लौट आता है। हालाँकि कोरोना से बचाव के लिए दो या तीन टीके लोगों ने लगवा लिए हैं, जिससे कोरोना की तीव्रता में कमी हुई है, फिर भी कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है।

 

राजरानी ने अम्मा जी की बात का समर्थन करते हुए कहा - अम्मा जी सही कह रही हैं। देखो ना हम आए दिन अखबारों में कोरोना से हुई मौत का समाचार पढ़ते रहते हैं।

 

चाची कहने लगीं - हमने तो कोरोना से बचाव के लिए तीन-तीन टीके लगवा लिए हैं। और क्या करें?

 

शैलबाला बोली - जरुरत इस बात की है कि बार-बार मुँह-हाथ धोने, गरम पाने पीने और मुँह पर मास्क लगाने की अपनी आदत को जारी रखें।   आजकल लोग ना तो हाथ-मुँह बार-बार धोते हैं, गरम पानी पीना भी अधिकतर लोगों ने छोड़ दिया और मास्क तो लगाते ही नहीं। अब तो बाजार में अधिकतर लोग बिना मास्क दिखते हैं। कुछ लोग जो मास्क लगाते हैं, वे सही तरीके से नहीं लगाते और नाक को मास्क से ढकते नहीं।

 


राजरानी बोली - अम्मा जी, शैलबाला ने सही कहा। हमें भी ध्यान रखना चाहिए। हम इकट्ठी होकर रोज गप-शेप करती हैं, हमें ध्यान रखना है कि एक दूसरे से दूर रहकर ही बातचीत करनी है। यह अच्छी बात है कि अम्मा जी और चाची अभी भी मास्क लगाती हैं। हम सभी को भी ध्यान रखना चाहिए।

 

चाची बोली - हम क्या करें। हमारी तो मजबूरी है। उम्र के इस पड़ाव पर डर लगता है। बीमार पड़ गए तो सभी को दिक्कत हो जाएगी। हम तो चाहते हैं सब खुश रहें, स्वस्थ रहें, इसलिए खुद भी मास्क लगाते हैं और दूसरों को भी मास्क लगाने की सलाह देते हैं। हमारे घर से कोई भी घर से बाहर जाता है तो उसे बिना मास्क लगाए जाने नहीं देते और साथ में सेनेटाइजर रखने की भी सलाह देते हैं।

 

राजरानी बोली - चाची, हमारे पर्स में एक एक्स्ट्रा मास्क और छोटा सेनेटाइजर पैक हरदम साथ रहता है। हमने तो मास्क पहनने की अपनी आदत ही बना ली है।

 

अम्मा जी बोलीं - जो जीवन शेष है, वही विशेष है। क्यों हम अपना जीवन निरोग रहकर बिताएँ। ज़रा सी असावधानी दुर्घटना को आमंत्रित करती है।

 

भार्गव आंटी आईं तो बताने लगीं कि उनके पड़ौस वाले घर में दो व्यक्ति बीमार हैं, जिन्हे बुखार, खांसी और कफ की शिकायत है।

 

शैलबाला बोली - ये तो चिंता की बात है। उन्होंने टैस्ट कराया क्या? डॉक्टर को दिखाया?

 

भार्गव आंटी बोलीं - कोरोना टैस्ट तो नहीं कराया। डॉक्टर को दिखा दिया है, जिसने बुखार-खांसी-कफ की दवा दे दी है। पड़ौसी बता रहे थे कि कोरोना तो नहीं हैं क्योंकि उनमें से एक ने दो बार और दूसरे ने तीन बार कोरोना से बचाव का टीका ले रखा है।

 


शैलबाला बोली - आंटी, जब टैस्ट नहीं कराया तो कुछ भी कह दो। आप तो ध्यान रखिएगा अपना। उन लोगों से उचित दूरी बनाने की जरुरत है जिन्हे खांसी और जुखाम है।

 

चाची ने कहा - स्वच्छता के लिए जो भी कदम उठाने की जरुरत है उस पर हमारा ध्यान रहे। हाथ-धोना, मास्क पहनना, दूसरे व्यक्ति से उचित दूरी रखना और गरम पानी पीते रहना, ये कुछ सीधे उपाय हैं जिनसे कोरोना से बचा जा सकता है।

 

यह कथा-श्रृंखला, पाठको को समर्पित है। आप पढ़े, आनंद लें, टिप्पणी करें, दूसरों को पढ़ाएँ, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करें। स्वागत है आपके सुझावों और टिप्पणियों का।

 

कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।

 

रविवार, 18 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 16

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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कभी-कभी महिलाओं की बातचीत में आध्यात्मिक और नैतिक विषयों पर भी चर्चा शुरू हो जाती है। आज जब महिलाएँ इकट्ठी हुईं तो राजरानी ने पूछ ही लिया - सत्य क्या है?

 

अम्मा जी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा - जो वास्तव में है, वही सत्य है। जिसे नकारा नहीं जा सकता वह सत्य है। असत्य का विलोम सत्य है। जो झूठ (असत्य) नहीं, जो संदेह उत्पन्न ना करे, वही सत्य है।

 

चाची ने कहा - मैं हूँ। वर्तमान में मेरा होना एक सत्य है। साथ ही चाची ने पूछा - क्या ईश्वर है, यह सत्य है या असत्य?

 

शैलबाला बोली - ईश्वर है, यह अवधारणा स्पष्ट नहीं। आस्तिक के लिए ईश्वर है। उसके लिए ईश्वर का होना सत्य लगता है। नास्तिक ईश्वर को स्वीकार नहीं करता, इसलिए उसके लिए ईश्वर सत्य नहीं। 

 

चाची बोली - इसका मतलब हुआ कि एक के लिए जो सत्य है, वह दूसरे के लिए असत्य हो सकता है।

 

सुमन मामी बोलीं - चाची आपने तो भ्रमित कर दिया। सच तो सच होता है। सच झूठ कैसे हो सकता है? इस संसार में सच एक बहुत बड़ी शक्ति है। सच के सामने झूठ टिकता नहीं।

 


राजरानी कहने लगी - ये सब आदर्श की बाते हैं। आज तो इंसान सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में लगा हुआ है।

 

अम्मा जी कहने लगीं - कुछ भी कहो जब भी झूठ पकड़ा जाता है तो झूठा व्यक्ति अपमानित होता है। नैतिकता कहती है कि हमें झूठ का नहीं, सत्य का साथ देना चाहिए। 

 

सरोज बुआ बोली - कहा जाता है कि सत्य परेशान हो सकता है, किन्तु पराजित नहीं।

 

भार्गव आंटी ने कहा - भारत में राजा हरिश्चन्द्र एक ऐसे उदाहरण थे, जिन्होंने अपने जीवन में यह संकल्प कर लिया था कि भले ही जो कुछ हो जाए वे सत्य की राह नहीं छोड़ेंगे।

 

राजरानी ने पूछा - सत्य और असत्य के बीच भेद क्या है?

 

चाची ने कहा - सत्य और असत्य एक बहुत ही सूक्ष्म रेखा के दोनो तरफ रहने वाले विषय है। एक असत्य जो प्रमाणित नहीं हुआ वह सत्य के बराबर स्वीकार लिया जाता है।

 

शैलबाला बोली - सत्य वह है जो हमेशा से मौजूद था, आज है और हमेशा मौजूद रहेगा। असत्य वह है जो कल नहीं था, आज है, और कल नहीं रहेगा।

 

भार्गव आंटी ने कहा - सत्य उस सूर्य की तरह है जो नित्य अपने प्रकाश से उज्जवल है और अपनी महिमा में स्थित है। असत्य तो ग्रहण की तरह है जिसे लगता है कि उसने सूर्य का अस्तित्व ख़त्म कर दिया, लेकिन कुछ समय बाद खुद ही ख़त्म हो जाता है। सत्य हमेशा स्वीकार्य योग्य है। अम्मा जी ने शुरू में ही सही बात कही कि जो वास्तव में है, वही सत्य है। जिसे नकारा नहीं जा सकता वह सत्य है। असत्य का विलोम सत्य है। जो झूठ (असत्य) नहीं, जो संदेह उत्पन्न ना करे, वही सत्य है।

 


मोहल्ले की औरतों की इन बातों को सुनने के बाद मेरे मन में भी कुछ बातें उठने लगीं। ऐसी बातें जिनका उत्तर शायद मैं दे सकूँ। वैसे तो सत्य और धर्म के लिए महाभारत का युद्ध हुआ था, पर महाभारत का अंत क्या हुआ? महाभारत युद्ध में लाखों योद्धाओं के मारे जाने के बाद कौरवों के तीन और पांडवों के पंद्रह योद्धा कुल अट्ठारह योद्धा जीवित बचे। ऐसे सच और धर्म का भी क्या फ़ायदा जिसके अंत में नुकसान अधिक हुआ हो। महाभारत युद्ध के कारण लाखों महिलाएँ विधवा हो गई थीं। समाज नेतृत्व विहीन हो गया था। राज्यों का बिखराव हो गया। राज्य व्यवस्था संभालने के लिए योग्य व्यक्तियों का अभाव हो गया। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के फलस्वरूप भारत से वैदिक धर्म, समाज, संस्कृति और सभ्यता का पतन हो गया। महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठर भारत वर्ष के राजा तो बने पर सब कुछ खोकर। पांडवों में भी राज करने की कोई इच्छा नहीं रही। सभी को वैराग्य की इच्छा हुई। युधिष्ठर अपना सिंहासन परीक्षित को सौंप कर अपने चारों भाईयों व द्रोपदी आदि के साथ अपने जीवन की अंतिम यात्रा के लिए हिमालय की ओर चल पड़े। धृतराष्ट्र और उनकी पत्नी गांधारी भी हिमालय की ओर चले गए थे। इस सबके बाद धीरे-धीरे भारत में विदेशी आकर बसने लगे और उनके प्रभाव की वजह से भारत में अनेक धर्म और अनेक संस्कृतियाँ विकसित होने लगीं। 

 

फिर अचानक विषयांतर कर अम्मा जी ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था। युद्ध शुरू करना आसान होता है, रोकना बहुत ही मुश्किल। युद्ध विध्वंसकारी होता है। युद्ध सभी को नुकसान पहुँचाता है। छह महीने से चल रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध।

 

चाची बोलीं - हाँ, अम्मा जी, आप सही कह रही हो। यूक्रेन के लाखों लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ रहा है। दूसरे देशों में वे शरणार्थी के रूप में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। हजारों की तादाद में दोनों देशों के सैनिकों को अपनी जान गँवानी पड़ी है।

 

शैलबाला ने बताया - एक अनुमान के मुताबिक़ रूस के सत्तर हजार से अधिक सैनिक इस युद्ध में मारे गए हैं। इस युद्ध में अरबों डॉलर की संपत्ति तबाह हो गई है।

 

सुमन मामी ने कहा - इस युद्ध में यूक्रेन का मारियुपोल शहर तो जैसे यूक्रेन के नक्‍शे से ही मिट गया है। कितने दुःख की बात है कि एक जीता जागता शहर जमींदोज हो गया।

 


सरोज बुआ ने बताया - प्राप्त खबरों के मुताबिक़ कई बार रूस में युद्ध-विरोधी प्रदर्शन हुए। आम नागरिक युद्ध नहीं चाहते। रूस में सोलह हजार से अधिक लोगों को युद्ध-विरोधी प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार किया गया है।

 

भार्गव आंटी कहने लगीं - युद्ध के फलस्वरूप रूसी अर्थव्‍यवस्‍था भी बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। युद्ध के कारण यूक्रेन भी आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित है। रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। आने वाले छह माह और कठिन होंगे क्योंकि सर्दी का मौसम आने वाला है।

 

अम्मा जी ने कहा – काश ….. रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति हो और विश्व शान्ति की राह पर चले।

 

सभी ने अम्मा जी के साथ सहमति में अपना सिर हिलाया और उसके बाद औरतों की चर्चा समाप्त हो गई।

 

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कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।

 

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 15

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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चाची आज कहने लगीं - एक ही तो चैनल था जो सरकार की आलोचना करता था और अपने राजनीतिक विश्लेषण में सरकार की कमियों को सामने रखता था, उसे भी खरीद लिया गया है। अब तो पूरा मीडिया भाजपाई हो गया है।

 

अम्मा ने कहा - छोटी, तू बात आधी-अधूरी ही बताती है। हुआ क्या?

 

चाची ने बताया कि एनडीटीवी को अडानी ने खरीद लिया है।

 

तब भार्गव आंटी बोलीं - खबर तो मैंने भी सुनी थी, एनडीटीवी के अधिग्रहण की खबर चौकाने वाली जरूर है, पर मैंने एनडीटीवी द्वारा दिया एक बयान सुना है, जिसमें उन्होंने कहा कि अधिग्रहण की डील को लेकर एनडीटीवी के फाउंडर और प्रमोटर्स के साथ किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई। एनडीटीवी के बयान के मुताबिक अडानी समूह की सब्सिडरी कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) द्वारा एनडीटीवी को एक नोटिस दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि VCPL ने RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPRH) का नियंत्रण हासिल कर लिया है। RRPRH के पास NDTV के 29.18 प्रतिशत शेयरों का मालिकाना हक है। नोटिस के मुताबिक RRPRH को अपने सभी इक्विटी शेयरों को VCPL को हस्तांतरित करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। अपने बयान में एनडीटीवी ने यह भी बताया है कि उनके मुताबिक VCPL ने अपने जिस अधिकार का प्रयोग किया है, वह वर्ष 2009-10 में NDTV के संस्थापकों के साथ किए गए उसके कर्ज समझौते पर आधारित है। इस अधिकार इस्तेमाल को लेकर VCPL की ओर से किसी तरह की चर्चा नहीं की गई है। NDTV ने आगे कहा कि हमने अपनी पत्रकारिता से कभी समझौता नहीं किया है। हम अपनी उस पत्रकारिता के साथ गर्व से खड़े हैं। भार्गव आंटी ने अपनी बात जारी रखते हुए बताया - मंगलवार 23 अगस्त 2022 को अडानी समूह ने शेयर बाजार को बताया था कि अडानी मीडिया वेंचर्स लिमिटेड (एएमवीएल) ने एनडीटीवी में 29 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी खरीदी है। अडानी ग्रुप ने ये भी कहा कि NDTV में अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी ओपन ऑफर की पेशकश करेगा। अडानी समूह ने अधिग्रहण के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।

 

अम्मा जी बोलीं - खबरों से साफ़ है और मुझे लगता है कि एनडीटीवी का अभी अधिग्रहण अडानी द्वारा नहीं हुआ है। हाँ, अडानी समूह ने अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी ओपन ऑफर की पेशकश करने के लिए सोचा है। अभी अडानी समूह के पास एनडीटीवी के 29.18 प्रतिशत शेयर ही हैं। अधिग्रहण के लिए पचास प्रतिशत से अधिक शेयर होने चाहिए। लोग भी बस जल्दबाजी में जाने क्या क्या बोल देते हैं। हमें भी पूरी खबर को अच्छी तरह से पढ़कर समझकर रिएक्ट करना चाहिए।

 


चाची बोली - अम्मा जी, मुझे तो जितना पता था वही मैंने बताया। यह तो भार्गव आंटी को ज्यादा जानकारी है, जो उन्होंने खबर के बारे में जानकारी अच्छे से बता दी। यह अच्छी बात है कि एनडीटीवी बिका नहीं है, अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए जो ओपन ऑफर अडानी समूह द्वारा दिया गया है, उसे एनडीटीवी प्रबंधन को स्वीकार नहीं करना चाहिए।

 

वैसे तो अम्मा जी के बड़े बेटे की पत्नी दर्शना मोहल्ले में औरतों की रोजमर्रा की बातचीत में उपलब्ध नहीं रहती, क्योंकि वह कामकाजी स्त्री है और प्रतिदिन उसे अपने ऑफिस जाना होता है। उसे टाइम ही नहीं मिल पाता, पर इतवार या छुट्टी के दिन वह भी कभी कभार औरतों की बातचीत में शामिल हो जाती है। दर्शना, बातों को गौर से सुन रही थी, बोली कि आज के जमाने में आलोचनात्मक विश्लेषण की बहुत जरुरत है, इसलिए एनडीटीवी का अधिग्रहण किसी ऐसे कॉर्पोरेट द्वारा नहीं होना चाहिए जो सरकार का समर्थक हो और एनडीटीवी की पत्रकारिता मूल्यों को बदल दे।

 

दर्शना की बात सुनकर चाची हँसकर बोली - अरे भाजपा की कट्टर समर्थक, क्या बोल रही है। मुझे तो आश्चर्य हो रहा है।

 

तभी दर्शना ने कहा - चाची जी, मैं भाजपा समर्थक जरूर हूँ, पर स्वतन्त्र पत्रकारिता की पक्षधर हूँ और कभी नहीं चाहूँगी कि विरोध की आवाज को दबा दिया जाए। मुझे भी एनडीटीवी में रविश कुमार की बात सुनने में आनंद आता है।

 

अम्मा जी बोली - मेरी बहु सही ही तो कह रही है। प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक वाल्तेयर ने कहा था किहो सकता है मैं आप से असहमत होऊं, पर अपनी बात कहने के आपके अधिकार की रक्षा मैं अपनी अंतिम साँस तक करूँगा।उनका यह कथन जनतांत्रिक मूल्यों-आदर्शों को उजागर करने वाला है। हमारा भारतीय जनतंत्र भी तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है।

 


यह सब सुनकर राजबाला ने कहा - अगर अडानी छब्बीस प्रतिशत शेयर और खरीद लेते हैं तो वे एनडीटीवी कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक बन जाएँगे और एनडीटीवी के प्रबंधन में अडानी का प्रभाव प्रमुख होगा और ऐसी स्थिति में एनडीटीवी की स्वतन्त्र सम्पादकीय नीति को प्रभावित का सकेंगे और एनडीटीवी चैनल की विश्वसनीयता भी आहत होगी। फिलहाल एनडीटीवी देश के चंद चैनलों में से एक है जो स्वतन्त्र है। आज भारत के अधिकाँश मीडिया संस्थान पूँजीपतियों के हाथ में हैं। जिन मीडिया संस्थानों में पूँजीपतियों का बड़ा हिस्सा होता है, वहाँ पूँजीपतियों के दखल के कारण वे मीडिया संस्थान सरकार और पूँजीपतियों के खिलाफ नहीं बोल पाते हैं। भारत में स्वतन्त्र मीडिया संस्थानों की जरुरत है और यही देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए जरूरी भी है।

 

अम्मा जी ने कहा - राजबाला भी सही कह रही है। पर भविष्य में क्या होगा, इसके बारे में आज नहीं कहा जा सकता। 

 

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कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।