सोमवार, 13 अगस्त 2012

Learning from the story - पड़ोसन






एक दिन एक औरत पड़ोसन द्वारा सुखाये कपड़ों की तरफ इशारा करते हुए अपने पति से बोली - “उधर देखो, पड़ोसन ने जो कपडे सुखाये हैं वे अच्छी तरह से साफ़ नहीं हुए हैं. ऐसा लगता है की उसे कपडें अच्छी तरह धोना नहीं आता है या फिर उसके द्वारा उपयोग किये जाने वाला साबुन अच्छी गुणवत्ता (क्वालिटी) का नहीं है.”



दूसरे दिन भी इसी तरह की टिप्पणी उस औरत ने अपने पति से की और फिर कई दिनों तक इस टिप्पणी को वह पति अपनी पत्नी से सुनता रहा.



कुछ दिनों बाद एक दिन वह महिला आश्चर्यचकित होकर अपने पति से बोली - “आज तो उसके कपडे बहुत ही साफ़ और उजले नजर आ रहे हैं. लगता है किसी ने पड़ोसन को कपडे धोने का सही तरीका सिखा दिया है या फिर उसने अच्छी क्वालिटी का साबुन उपयोग में लेना चालु कर दिया है.”



यह सुनकर पति पत्नी से बोला - “आज सुबह मैं जल्दी उठ गया था. जब तुम सो रही थीं, तब मैंने अपने घर की खिडकियों के शीशों को अच्छी तरह साफ़ कर दिया था.”



मेरी सीख -



ऐसा ही हमारे जीवन में होता है. हम दूसरों को कैसा देखते हैं, यह हमारे जीवन की पवित्रता और हमारी मानसिकता पर निर्भर करता है.



Story redrafted and retold by Keshav Ram Singhal