शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

हिंसा नहीं, अहिंसा चाहिए !


हिंसा नहीं, अहिंसा चाहिए !


दुःखद ! राजनीति अँधेरे में भटकती रही
और
दिल्ली सुलगती रही !

विपक्ष खामोश रहा
और
सत्ता पक्ष हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा !

पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता देखने को मिली !

परिणाम -
चार दर्जन से अधिक मौते,
ढाई सौ से अधिक घायल
और
हजारों करोड़ों की संपत्ति स्वाहा !

कुछ प्रश्न सामने हैं -
कोसे किसे ?
पंगु राजनीतिक नेतृत्व ?
ढहती राजनीतिक प्रणाली ?
देश खो रहा धर्म-निरपेक्ष चरित्र ?
देश अग्रसर गैर-लोकतांत्रिक चरित्र की ओर ?
पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक ?
सामाजिक विचलन ?
साम्प्रदायिकता ?
टूटता सामाजिक सौहार्द ?
ध्रुवीकरण ?

शस्त्र नहीं, सौहार्द चाहिए !
दंगा नहीं, अमन चाहिए !
नफ़रत नहीं, प्यार चाहिए !
हिंसा नहीं, अहिंसा चाहिए !

जय हिन्द ! जय भारत !!

- केशव राम सिंघल




गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

विचार (कल्पना) की शक्ति


विचार (कल्पना) की शक्ति

पिछले दिनों मैंने इंग्लैंड के लेखक एम पी नियरी की एक पुस्तक 'Free Your Mind' (अपना मस्तिष्क स्वतन्त्र करो) पढ़ी, जिसमें उन्होंने एक वैज्ञानिक प्रयोग का जिक्र किया। कुछ वैज्ञानिक विचार की शक्ति के बारे में कुछ लोगों के बीच बनाए दो समूहों में एक प्रयोग कर रहे थे, जिसमें एक समूह के लोग अपनी मांसपेशियों के निर्माण के लिए चार सप्ताह से व्यायाम कर रहे थे और दूसरे समूह के लोग इस अवधि के दौरान केवल व्यायाम करना सोच रहे थे। आश्चर्य की बात यह रही कि जिस समूह के लोग केवल व्यायाम करना सोच रहे थे, वे भी अपनी मांसपेशियों को 22 प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रहे।

है ना आश्चर्यजनक बात .... केवल विचार करने से .... मुझे भी याद आया। कुछ दिनों पूर्व जब मैं बीमार पढ़ गया था। मैं अवसाद में था और मैं सोच रहा था कि अब मेरे से कोई काम नहीं होगा, अब मैं बिस्तर पर पड़ जाऊंगा और वास्तव में ऐसा ही हुआ। मैं बीमार पड़ गया। कई दिनों तक मैं बिस्तर पर पड़ा रहा। एक दिन मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझसे कहा -"तुम कल तक ठीक हो जाओगे। यह बीमारी कुछ नहीं है। कुछ थकान थी, जो उतर चुकी है।" मैं विचार करने लगा - मैं पहले से बेहतर हूँ। कल तक ठीक हो जाऊंगा, जैसा मेरे दोस्त ने कहा। आप विश्वास करे या न करे, मैं अगले दिन ठीक हो गया और बिस्तर से उठ खड़ा हुआ।

एक और कहानी मुझे याद आयी, जो मैंने कहीं पढ़ी थी। बहुत पुरानी बात है कि एक बुजुर्ग महिला को किसी जरूरी काम से पास के गाँव में जाना था। उस महिला ने अपना सामान एक गठरी में बांधा और अपने घर से पैदल ही चल पड़ी। एक तो बुजुर्ग और दूसरे रास्ते में धूप-गर्मी तेज होने के कारण सामान की गठरी के साथ पैदल चलने में उसे बहुत कठिनाई हो रही थी। वह महिला बहुत थक गयी थी। तभी उसे एक घुड़सवार आता दिखाई दिया। उसने घुड़सवार को रोका और पूछा कि कहाँ जा रहे हो। घुड़सवार ने बताया कि वह पास के गाँव जा रहा है। बुजुर्ग महिला ने घुड़सवार से कहा - भैया ! इस गठरी के साथ चलना मुश्किल हो रहा है। मेरी गठरी को तुम अपने घोड़े पर रखकर ले चलो। गाँव पहुँचकर मैं इसे तुमसे ले लूंगी। घुड़सवार नाराज होकर बोला - नाहक मेरा समय खराब किया। मैं क्यों तुम्हारी गठरी उठाकर ले जाऊं? अपनी परेशानी से तुम खुद ही निपटो। ऐसा कहकर वह घुड़सवार आगे बढ़ गया, लेकिन कुछ दूर जाने पर उसके मन में विचार आया कि मैं गठरी ले लेता तो अच्छा ही रहता। अगर गाँव पहुंचने के बाद मैं उसकी गठरी वापस नहीं देता, तो वह महिला कौन सा मुझे पहचानती है? उसी समय बुजुर्ग महिला के मन में भी विचार आया - अच्छा हुआ, घुड़सवार मेरी गठरी लेकर नहीं गया। अगर गाँव पहुँचकर वह मेरी गठरी नहीं लौटाता तो मैं उसे कहाँ ढूंढती? मैं कौन सा उसे पहचानती हूँ। थोड़ी देर में ही उस घुड़सवार ने वापस आकर महिला से कहा - अम्मा, लाओ अपनी गठरी मुझे दे दो। मैं इसे घोड़े पर रख लेता हूँ। महिला ने घुड़सवार से कहा - कहीं तुम यह सोचकर तो वापस नहीं आए कि मेरी गठरी लेकर भाग जाओगे? ये सुनकर घुड़सवार घबराहट में बोला - नहीं तो, पर तुमने ऐसा क्यों सोचा। बुजुर्ग महिला ने कहा - भैया ! इस घटना से एक कीमती बात जो मैं समझी वह यह है कि व्यक्ति के विचार दूसरों तक बहुत तीव्र गति से पहुँच जाते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब मानव-मस्तिष्क के भीतर न्यूरोन्स के कारण होता है, जो हर समय काम करता है। न्यूरोन्स तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं जो हमारे मस्तिष्क में सूचनाएं प्रसारित और आदेशित करती हैं। यह बेहद रोमांचित करने वाली बात है कि न्यूरोन्स हमारे शरीर की अन्य कोशिकाओं को विद्युतीय और रासायनिक संकेत प्रकाश गति से भेजते हैं। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि हमारे शरीर में दस करोड़ न्यूरोन्स कोशिकाएं होती हैं, औसतन प्रत्येक न्यूरोन कोशिका के पांच हजार कनेक्शंस होते हैं, जो कि एक नेटवर्क से जुड़े पांच सौ खरब माइक्रोप्रोसेसर्स के बराबर होते हैं। इस प्रकार हमारा मस्तिष्क एक बहुत ही बढ़िया यंत्र है, कोई संदेह नहीं कि हमारी खोपड़ी के भीतर एक बेहतरीन प्राकृतिक संसाधन।

आओ ! हम अपने मस्तिष्क का सही उपयोग कर विचार शक्ति का दोहन करने की कल्पना करें।

यह निर्विवाद रूप से और अनेक अनुभवों से यह प्रमाणित हो चुका है कि विचार सिर्फ चेतना को ही नहीं, वरन पदार्थ को भी प्रभावित करते हैं। उसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर देना, यह विचार शक्ति की ही सामर्थ्य है। इस अद्भुत क्षमता को ध्यान में रखते हुए हमें विचार शक्ति के सदुपयोग के बारे में सोचना चाहिए। विचार शक्ति आपकी ही शक्ति है। यह अत्यंत शक्तिशाली है।

वास्तव में हमारा मस्तिष्क संसार के किसी भी सुपर कम्प्यूटर से अधिक शक्तिशाली है। एक सैकंड मस्तिष्क गतिविधि को मापने के लिए एक बड़े सुपर कम्प्यूटर ने चालीस मिनट का समय लिया। कल्पना (विचार) शक्ति की सांसारिक संभावित सीमाएं अवश्य होंगी।

ज़रा सोचिए - उन सभी चीजों के बारे में जो हम अपनी इच्छा शक्ति से पा सकते हैं !

हमारा कल्पना मस्तिष्क हमारे प्राकृतिक उपहारों, हमारे कौशल, हमारी प्रतिभा और हमारे मस्तिष्क की शक्ति को गजब रूप से बढ़ा सकता है। इसके अलावा अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी यह बहुत कुछ कर सकता है। हमें विश्वास करना चाहिए और हमें अपने जीवन की कठिनाईयों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में आई कथित कठिन सीमाओं के बाहर भी जीना सीख सकें। हमारी विचार शक्ति हमारी क्षमताओं को बढ़ाने में हमारी सहायता कर सकती है।

अल्बर्ट आईन्स्टीन ने कहा था, "कल्पना सब कुछ है। यह जीवन के आने वाले आकर्षण का पूर्वावलोकन है।" क्यों न हम अपनी कल्पना और विचारों का उपयोग अपने सपनों को साकार करने में करें। हमारा शरीर विचारों से प्रभावित होता है। अच्छे विचारों का शरीर पर अच्छा और बुरे विचारों का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति का स्वस्थ-निरोग रहना अथवा रोगग्रस्त हो जाना उत्कृष्ट या निकृष्ट चिंतन पर अवलम्बित होता है। विचार मनुष्य की सबसे अद्भुत शक्ति है। क्यों न हम अपने सपनों को सच करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करें?

शुभकामनाओं सहित,

केशव राम सिंघल

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020 क्या है?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के निर्माण की योजना नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत शुरू की जा रही है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020 में देश के सभी 'सामान्य निवासियों' का विवरण होगा, चाहे वे नागरिक हों या नहीं। इसमें भारत के गैर-नागरिकों का विवरण होगा, जो भारत में सामान्य निवासी हैं।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का उद्देश्य क्या है?

देश के हर निवासी (विदेशी सहित) की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के आधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) से सम्बंधित प्रावधान

नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के प्रावधान जोड़े गए। नागरिकता कानून, 1955 के सेक्शन 14A में निम्न प्रावधान तय किए गए -
- केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है।
- सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए राष्ट्रीय पंजीकरण प्राधिकरण (नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी) भी गठित की जा सकती है।

क्या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत पंजीकरण अनिवार्य है?

नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के अनुसार सेक्शन 14 के तहत हर नागरिक के लिए एनपीआर में पंजीकरण अनिवार्य है। देश के हर नागरिक को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में अपना नाम दर्ज करवाना होगा। साल 2021 में भारत की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक रजिस्टर को अद्यतन किया जाएगा।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में कौन सी जानकारियां एकत्र की जाएँगी?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में निम्न जानकारियाँ एकत्र की जाएँगी -
- जनगणना घर का नंबर,
- हाउस होल्ड नंबर,
- जनगणना घर का पता, पिन कोड,
- हाउस होल्ड की स्थिति (पुराना हाउस होल्ड / बंद घर / रहने वाला चला गया /अवधि के दौरान हाउसहोल्ड की गणना नहीं की जा सकी / नया हाउसहोल्ड)
- सदस्यों की संख्या

रहने वाले सदस्यों की संख्या के बाद प्रत्येक सदस्य से सम्बंधित निम्न जानकारियाँ एकत्र की जाएँगी -
- सदस्य की क्रम संख्या और उसका पूरा नाम (यह बहुत ही आवश्यक है कि जनगणना के दौरान नाम सही लिखा जाए। इसके लिए विशेष सावधानी बरतने के निर्देश हैं।)
- घर के सदस्य की उपलब्धता (उपलब्ध है / मृत्यु हो गयी / चला गया / नया),
- मुखिया से सम्बन्ध (मुखिया, पति/पत्नी, बेटा/बेटी, पोता/पोती, माता/पिता, भाई/बहन, बेटे की पत्नी/बेटी का पति, दादा/दादी, सास/ससुर, अन्य रिश्तेदार, घरेलु नौकर, अन्य जो रिश्तेदार नहीं),
- लिंग,
- वैवाहिक स्थिति (कभी शादी नहीं हुई, वर्तमान में विवाहित, विधवा, अलग हुए, तलाकशुदा),
- जन्म तिथि और जन्म स्थान - राज्य, जिला,
- राष्ट्रीयता जो घोषित की,
- पासपोर्ट नंबर,
- शैक्षणिक योग्यता,
- व्यवसाय / गतिविधि,
- मातृभाषा और उसका कोड,
- स्थाई घरेलु पता (संगणक यह जानकारी लेगा कि हाउसहोल्ड का पता ही स्थाई पता है - हाँ या नहीं, यदि नहीं तो वह स्थाई घरेलु का पूरा पता नोट करेगा),
- रहने की अवधि (संगणक यह जानकारी लेगा कि क्या आप वर्तमान पते पर जन्म से रहते हैं, यदि नहीं तो वर्तमान पते पर रहने की अवधि की जानकारी लेगा) और रहने का पिछला निवास स्थान (स्थान, जिला और राज्य),
- पिता, माता और जीवन साथी के विवरण - इस सन्दर्भ में उनके नाम, जन्म तिथि और जन्म स्थान (जिला और राज्य) की जानकारी ली जाएगी,
- यदि उपलब्ध हों तो आपसे आपके आधार नंबर, मोबाईल नंबर, वोटर आईडी कार्ड नंबर और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर की जानकारी भी ली जाएगी।

वर्तमान स्थिति

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए जानकारियाँ (Data), साल 2010 में भारत की जनगणना के लिए घरों के सूचीकरण की प्रक्रिया के दौरान ही एकत्र कर ली गयी थीं। इस जानकारियों (Data) के अद्यतन का काम साल 2015 में हुए घर-घर सर्वेक्षण (डोर-टू-डोर सर्वे) के दौरान ही कर लिया गया था। इस अपडेटेड जानकारी का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है। इसके बाद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अद्यतन करने का निर्णय केंद्र सरकार ने ले लिया है।

अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच होगा सर्वेक्षण

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने का काम साल 2021 की जनगणना के लिए अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच होने वाली घरों की सूचीकरण प्रक्रिया के साथ होगा। केंद्र सरकार इस आशय को लेकर एक राजपत्रित अधिसूचना पहले ही प्रकाशित कर चुकी है। ये प्रक्रिया असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में होगी। असम को बाहर इसलिए रखा गया है क्योंकि अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए वहां एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) की प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है।

प्रक्रिया के चरण

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर 2020 के बीच होगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। दूसरा चरण 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में 1 मार्च 2021 से 5 मार्च 2021 के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से कितना अलग है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। एनआरसी का मकसद देश में अवैध रूप से रह रहे बाहरी नागरिकों की पहचान करना है, वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का उद्देश्य किसी स्थान पर छह महीने या उससे ज्यादा वक्त से रह रहे निवासियों की जानकारी एकत्र करना है। अगर कोई बाहरी नागरिक भी देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा वक्त से रह रहा हो तो उसका नाम भी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज होगा।


संगणकों के लिए नियमावली

संगणकों की जानकारी के लिए नियमावली के तौर पर रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का कार्यालय (गृह मंत्रालय, भारत सरकार) ने 'Instruction Manual for Updation of National Population Register (NPR) 2020 (For Enumerators and Supervisirs)' प्रकाशित की है। अधिक जानकारी के लिए आप जनगणना विभाग की वेबसाइट http://censusindia.gov.in/ देख सकते हैं।

अन्य

पिछली जनगणनाओं में कभी भी पिता और माता की जन्म तिथि और जन्मस्थान की जानकारियाँ एकत्र नहीं की गईं, जो इस बार की जा रही हैं। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के चलते यह विवाद का विषय बन गया है। इस जानकारी-लेख के लेखक का मानना है कि बहुत से नागरिक इस बात से डर रहे हैं कि इन जानकारियों की वजह से उनकी भारतीय नागरिकता जा सकती है, क्योंकि उनके पास इस सम्बन्ध में दिखाने के लिए कोई कागजात नहीं हैं। केंद्र सरकार के एक मंत्री का यह कहना कि पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि नागरिकता के मान्य दस्तावेज नहीं हैं। यह बयान बहुत से नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यक वर्ग, में डर और संशय पैदा कर रहा है। जिस प्रकार असम में अभी भी उन्नीस लाख लोग अभी भी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से बाहर हैं, उससे उनकी चिंता और बढ़ रही है। इस सम्बन्ध में नागरिकों की चिंता को ख़त्म करने के लिए सरकार को विशेष घोषणा करनी चाहिए, जिससे देश में विरोध का वातावरण समाप्त हो सके।

- केशव राम सिंघल

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

बजट कैसा है?


बजट कैसा है?

मेरे पास मेरे एक मित्र का फोन आया और उसने पूछा कि बजट कैसा है। मैंने कहा - अखबारों की हैडलाइन पढ़ लो, समझ आ जाएगा। फिर भी कुछ-कुछ मैं बताता हूँ। एक अखबार लिखता है - रिकार्ड इतिहास का सबसे बड़ा बजट, वित्त मंत्री दो घंटे इकतालीस मिनट बोलीं, फिर भी आख़िरी दो पन्ने नहीं पढ़े। पहली बार दो टैक्स स्लैब - करदाता खुद चुन सकेंगे, लेकिन नियम और शर्तें लागू। दूसरा अखबार लिखता है - चुनने की आजादी या उलझन? खुद गणित लगाइये, फिर टैक्स स्लैब चुनिए। तीसरे अखबार ने लिखा - बजट का सन्देश - जितना कमाओ पूरा खर्च करो। कल किसने देखा ! सरकार का दावा - मकसद आमदनी और खर्च बढ़ाना। अब बचत बंदी, नए स्लैब में बचत पर टैक्स छूट के रास्ते बंद, लेकिन पुराने स्लैब का विकल्प भी खुला। आप हर साल विकल्प बदल सकते हैं, धीरे-धीरे सभी कर छूट ख़त्म करने की तैयारी। चौथे अखबार ने लिखा - रेल सेक्टर को आवंटित राशि केवल आकड़ों का मायाजाल। अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण भी आशा का संचार नहीं कर पाया।

मैं समझ नहीं पाया कि बजट अच्छा है या बुरा। पर एक बात साफ़ देखने को मिली कि शेयर बाजार के सेंसेक्स में बजट के दिन दस साल की सबसे बड़ी गिरावट (-) 987.96 अंकों की देखने को मिली अर्थात् बाजार को बजट नहीं भाया। वित्त मंत्री ने रोजगार और नौकरियों के कई सपने दिखाए हैं, पर उन्होंने न तो इनकी संख्या और न ही समय सीमा स्पष्ट की। एलआईसी और आईडीबीआई में सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करेगी अर्थात् सरकारी परिसम्पत्तियाँ अब प्राइवेट हाथों में बेचेगी।

एक ज़माना था जब रेल बजट अलग दिन रेल मंत्री द्वारा पेश किया जाता था, पर अब रेल बजट मुख्य बजट में ही समाहित कर लिया जाता है। पूरा एक दिन रेल बजट पेश करने में लगता था, पर इस बार रेल के बारे में वित्त मंत्री कुछ मिनट ही बोलीं। एक अच्छी खबर बजट भाषण से सुनने को मिली - जमा बीमा की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है।

इस सरकार की खासियत रही है कि बजट आवंटन में यह सरकार बहुत खुले हाथों वाली है, पर खर्चा करते समय अपनी मुट्ठी बंद कर लेती है। उदाहरण के लिए - पिछली बार के बजट में किसानों के लिए वित्त मंत्री ने एक लाख अड़तीस हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे, पर इसमें इस साल अभी तक इक्यावन प्रतिशत राशि खर्च नहीं हुई। ऐसे ही बहुत से मदों में आवंटित राशि से बहुत कम खर्च किया गया। यह बहुत ही चिंता की बात है। अल्पसंख्यक मामलात विभाग में कल्याण मद में आवंटित राशि का मात्र 30 प्रतिशत राशि ही खर्च की गयी। खाद्य प्रसंस्करण के बजट आवंटन का 57 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया है। महिला सशक्तिकरण योजना में 1330 करोड़ रुपये आवंटन किया गया था, किन्तु इसकी लगभग 84 प्रतिशत राशि अभी खर्च की जानी शेष है। ये तो कुछ ही उदाहरण हैं। वित्त मंत्री की एक घोषणा के अनुसार हर जिलें में आयुष्मान भारत अस्पताल और जन औषधी केंद्र खुलेंगे। यह सुनकर ऐसा लगा कि अब हर जिले के एक सरकारी अस्पताल के नाम के साथ 'आयुष्मान भारत' पद का जुड़ाव हो जाएगा और बजट की इस घोषणा की अनुपालना बहुत ही आसानी से शत-प्रतिशत हो जाएगी।

बजट में की गयी घोषणाओं के अनुसार संक्षेप में -
- प्रदूषण से निबटने के लिए 4,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
- बैंक भर्ती के लिए राष्ट्रीय एजेंसी बनेगी।
- आधार के साथ ही पैन कार्ड बनेगा।
- शिक्षा में एफडीआई आएगा।
- अब शीर्ष शिक्षा संस्थान ऑनलाइन डिग्री दे सकेंगे।
- फल-सब्जी का परिवहन विमान से होगा।
- रेफ्रिजरेटेड बोगी वाली किसान रेलगाड़ियां चलेगी।
- परिवहन के लिए छह हजार किलोमीटर लम्बे बारह हाईवे बनाए जाएंगे।
- एक पुरानी घोषणा को दुहराते हुए वित्त मंत्री ने दो साल की समय सीमा बढ़ाते हुए कहा कि 2025 तक 100 नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे।
- 1150 रेलगाड़ियां पीपीपी मॉडल पर चलेगीं।
- एक तरफ किसानों की आय दुगुनी करने का वादा पुनः दुहराया गया, पर कृषि बजट में केवल पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी।
- बजट में पेश नई आयकर व्यवस्था में आयकर दरें कम हैं, पर कई छूटें (रियायतें) अब नहीं मिलेंगी। 80 सी, 80 सीसीसी, 80 डी, स्टैण्डर्ड डिडक्शन जैसी अनेक रियायतें उन करदाताओं को नहीं मिलेंगी, जो आयकर के नए स्लैब का चयन करेंगे।
- कंपनियों के लिए पंद्रह प्रतिशत लाभांश वितरण कर समाप्त और अब लाभांश पर कर लाभांश पाने वाले को देना होगा।
- नई कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स पच्चीस प्रतिशत से घटाकर पंद्रह प्रतिशत और मौजूद कंपनियों के लिए तीस प्रतिशत से घटाकर बाईस प्रतिशत करने की घोषणा हुई।
- अखबारी कागज़ पर आयात शुल्क दस प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया।
- बजट भाषण में सोलर एनर्जी पर विश्वास व्यक्त करते हुए किसान की आय बढ़ाने और रेल पटरियों के दोनों ओर सोलर उपकरण लगाकर बिजली उत्पादन की बात कही गयी।
- कर परिहार (avoidance) को रोकने के लिए एनआरआई (NRI) की परिभाषा बदल दी गई है। बजट में उन लोगों पर शिकंजा कस दिया गया है जो अपनी अनिवासी स्थिति का अनुचित लाभ उठाकर आयकर से बचने की कोशिश करते हैं।

एक फरवरी 2020 को जब बजट आया, तब मेरी बेटी की नए बजट पर त्वरित टिप्पणी यह रही - "नए बजट के तीन प्रमुख विषय बताए गए हैं (i) महत्वाकांक्षी भारत, (ii) सभी के लिए आर्थिक विकास और (iii) देखभाल करने वाला समाज - यह एक अच्छा सैद्धांतिक ढांचा लगता है। लेकिन सवाल यह है कि वास्तविक कार्यान्वयन में इस रूपरेखा को कार्यान्वित कैसे किया जाता है। एक बात जो मुझे पसंद है, वह यह है कि एसडीजी 4 के लिए कुछ दिलचस्प योजनाएँ हैं, जिनमें डिग्री स्तर का पूरा ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शामिल है और शिक्षुता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कौशल बढ़ाने के बारे में भी बात की गयी है। नई कम आयकर दर का नियमन करना अच्छा लगता है, लेकिन संदेह है कि इससे किसी भी तरह की कर बचत होगी क्योंकि वेतनभोगी वर्ग को इसके लिए लगभग सभी कर छूटों को छोड़ना पडेगा, जैसे कि सेक्शन 80C, 80D आदि। हाँ, नयी कर दरों में 5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उस वर्ग में आने वाले लोगों के लिए यह एक खुशहाल संकेत है।"

आयकर पर मेरी टिप्पणी - "कानून ऐसे होने चाहिए जो समझने में आसान और जिनकी अनुपालना आसान हो। आयकर दरों को इतना जटिल बनाने की क्या जरुरत है? मेरी समझ में देश के लाखों घंटे इसी बात में बरबाद होंगे कि कौन सा आयकर दर पसंद किया जाए। 80C आदि के इंवेस्टमेंट्स में कमी आएगी, जिसका पैसा राष्ट्र हित और विकास कार्यों में उपयोग होता रहा है।"

वित्त मंत्री ने अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण दिया। उन्होंने तमिल कवि तिरुवल्लुवर का जिक्र करते हुए कहा कि तिरुवल्लुवर कहते थे - "देश के लिए पांच चीजें जरूरी हैं। बीमारियां नहीं होनी चाहिए, संपत्ति होनी चाहिए, अच्छी फसलें होनी चाहिए, खुशी होनी चाहिए और सुरक्षा होनी चाहिए।" साथ ही उन्होंने कश्मीरी कवि दीनानाथ कौल 'नदीम' की नज्म पढ़ी - "हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग़ जैसा, हमारा वतन डल झील में खिलते हुए कमल जैसा, नौजवानों के गर्म खून जैसा, मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन !"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट से आशा की है कि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा - "जिन सुधारों का ऐलान किया है, वे अर्थव्यवस्था को गति देने, हर नागरिक को आर्थिक सशक्त बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम करेंगे।" देखना है कि बजट अपना घोषित उद्देश्य पूरा कर पाता है या नहीं, इस पर संशय बहुत है।

- केशव राम सिंघल

(साभार स्रोत - राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति, दैनिक भास्कर, राष्ट्रदूत, The Times of India)