गुरुवार, 4 सितंबर 2008

गुरुओं को सादर नमन

मैं घोर अज्ञान के घोर अंधकार में उत्पन्न हुआ था।

मेरे गुरुओं ने ज्ञान रुपी प्रकाश से मेरी आँखे खोलकर मुझे इस संसार को देखने, समझने और जानने का अवसर दिया।

मैं मेरे सभी गुरुओं को सादर नमन करता हूँ.

शुभकामनाओं के साथ,

केशव सिंघल

5 सितंबर 2008