मंगलवार, 12 अगस्त 2008

खरगोश और कछुए की कहानी …

खरगोश और कछुए की कहानी …

मित्रों,

आपने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी. जब दोनों में दौड़ हुई तो कछुआ इसलिए जीत गया क्योंकि खरगोश दौड़ के दौरान सो गया था. उस दिन खरगोश बहुत दु:खी था कि वह धीमी गति से चलने वाले कछुए से हार गया. अब उसने दुबारा दौड़ के लिए सोचा और दूसरे दिन कछुए से फिर दौड़ लगाने को कहा. इस बार खरगोश जीत गया और कछुआ हार गया.

अब कछुआ दु:खी था कि वह दौड़ में हार गया. उसने भी सोचा की खरगोश से कैसे जीता जाए.

अगले दिन कछुए ने खरगोश से कहा की आज फिर दौड़ करें, पर इस बार दौड़ उस पेड़ तक की होगी. खरगोश ने कहा ठीक है और दौड़ शुरू हुई . और खरगोश बहुत तेजी से भागा, पर यह क्या रास्ते में नदी आ गयी और वह यह सोच कर रुक गया कि नदी के उस पार पेड़ तक कैसे पहुंचा जाए और पास में कोई पुल भी नहीं था. इस कारण से खरगोश को नदी के किनारे रुकना पढ़ा, जबकि कछुए ने अपनी धीमी गती के बावजूद दौड़ जीत ली क्योंकि वह नदी में तैर कर उस पेड़ तक पहुँच गया. इस बार खरगोश बहुत दु:खी था कि वह इसलिए हार गया क्योंकि उसे तैरना नहीं आता.

अब खरगोश दु:खी था.

अगले दिन खरगोश और कछुआ दोनो मिले और खरगोश ने कहा कि नदी के इस और की दौड़ में मैं जीता, पर नदी के उस पार तक की दौड़ में तुम जीते. इस पर कछुआ बोला की खरगोश भाई आगे से हम दोनो जीत सकते हैं यदी तुम और हम मिलकर चलें. फिर क्या हुआ, जानते हैं । दौड़ फिर प्रारम्भ हुयी और इस बार की दौड़ में खरगोश की पीठ पर कछुआ बैठा था नदी के किनारे तक. किनारा आने पर कछुए की पीठ पर खरगोश बैठ गया और इस प्रकार दोनो ने नदी पार की और दोनों एक साथ उस पेड़ तक पहुँच गए जहाँ तक की दौड़ थी. इस बार दोनो ही जीते और इस प्रकार ख़त्म हुयी खरगोश और कछुए की कहानी.

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