सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

बजट कैसा है?


बजट कैसा है?

मेरे पास मेरे एक मित्र का फोन आया और उसने पूछा कि बजट कैसा है। मैंने कहा - अखबारों की हैडलाइन पढ़ लो, समझ आ जाएगा। फिर भी कुछ-कुछ मैं बताता हूँ। एक अखबार लिखता है - रिकार्ड इतिहास का सबसे बड़ा बजट, वित्त मंत्री दो घंटे इकतालीस मिनट बोलीं, फिर भी आख़िरी दो पन्ने नहीं पढ़े। पहली बार दो टैक्स स्लैब - करदाता खुद चुन सकेंगे, लेकिन नियम और शर्तें लागू। दूसरा अखबार लिखता है - चुनने की आजादी या उलझन? खुद गणित लगाइये, फिर टैक्स स्लैब चुनिए। तीसरे अखबार ने लिखा - बजट का सन्देश - जितना कमाओ पूरा खर्च करो। कल किसने देखा ! सरकार का दावा - मकसद आमदनी और खर्च बढ़ाना। अब बचत बंदी, नए स्लैब में बचत पर टैक्स छूट के रास्ते बंद, लेकिन पुराने स्लैब का विकल्प भी खुला। आप हर साल विकल्प बदल सकते हैं, धीरे-धीरे सभी कर छूट ख़त्म करने की तैयारी। चौथे अखबार ने लिखा - रेल सेक्टर को आवंटित राशि केवल आकड़ों का मायाजाल। अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण भी आशा का संचार नहीं कर पाया।

मैं समझ नहीं पाया कि बजट अच्छा है या बुरा। पर एक बात साफ़ देखने को मिली कि शेयर बाजार के सेंसेक्स में बजट के दिन दस साल की सबसे बड़ी गिरावट (-) 987.96 अंकों की देखने को मिली अर्थात् बाजार को बजट नहीं भाया। वित्त मंत्री ने रोजगार और नौकरियों के कई सपने दिखाए हैं, पर उन्होंने न तो इनकी संख्या और न ही समय सीमा स्पष्ट की। एलआईसी और आईडीबीआई में सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करेगी अर्थात् सरकारी परिसम्पत्तियाँ अब प्राइवेट हाथों में बेचेगी।

एक ज़माना था जब रेल बजट अलग दिन रेल मंत्री द्वारा पेश किया जाता था, पर अब रेल बजट मुख्य बजट में ही समाहित कर लिया जाता है। पूरा एक दिन रेल बजट पेश करने में लगता था, पर इस बार रेल के बारे में वित्त मंत्री कुछ मिनट ही बोलीं। एक अच्छी खबर बजट भाषण से सुनने को मिली - जमा बीमा की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है।

इस सरकार की खासियत रही है कि बजट आवंटन में यह सरकार बहुत खुले हाथों वाली है, पर खर्चा करते समय अपनी मुट्ठी बंद कर लेती है। उदाहरण के लिए - पिछली बार के बजट में किसानों के लिए वित्त मंत्री ने एक लाख अड़तीस हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे, पर इसमें इस साल अभी तक इक्यावन प्रतिशत राशि खर्च नहीं हुई। ऐसे ही बहुत से मदों में आवंटित राशि से बहुत कम खर्च किया गया। यह बहुत ही चिंता की बात है। अल्पसंख्यक मामलात विभाग में कल्याण मद में आवंटित राशि का मात्र 30 प्रतिशत राशि ही खर्च की गयी। खाद्य प्रसंस्करण के बजट आवंटन का 57 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया है। महिला सशक्तिकरण योजना में 1330 करोड़ रुपये आवंटन किया गया था, किन्तु इसकी लगभग 84 प्रतिशत राशि अभी खर्च की जानी शेष है। ये तो कुछ ही उदाहरण हैं। वित्त मंत्री की एक घोषणा के अनुसार हर जिलें में आयुष्मान भारत अस्पताल और जन औषधी केंद्र खुलेंगे। यह सुनकर ऐसा लगा कि अब हर जिले के एक सरकारी अस्पताल के नाम के साथ 'आयुष्मान भारत' पद का जुड़ाव हो जाएगा और बजट की इस घोषणा की अनुपालना बहुत ही आसानी से शत-प्रतिशत हो जाएगी।

बजट में की गयी घोषणाओं के अनुसार संक्षेप में -
- प्रदूषण से निबटने के लिए 4,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
- बैंक भर्ती के लिए राष्ट्रीय एजेंसी बनेगी।
- आधार के साथ ही पैन कार्ड बनेगा।
- शिक्षा में एफडीआई आएगा।
- अब शीर्ष शिक्षा संस्थान ऑनलाइन डिग्री दे सकेंगे।
- फल-सब्जी का परिवहन विमान से होगा।
- रेफ्रिजरेटेड बोगी वाली किसान रेलगाड़ियां चलेगी।
- परिवहन के लिए छह हजार किलोमीटर लम्बे बारह हाईवे बनाए जाएंगे।
- एक पुरानी घोषणा को दुहराते हुए वित्त मंत्री ने दो साल की समय सीमा बढ़ाते हुए कहा कि 2025 तक 100 नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे।
- 1150 रेलगाड़ियां पीपीपी मॉडल पर चलेगीं।
- एक तरफ किसानों की आय दुगुनी करने का वादा पुनः दुहराया गया, पर कृषि बजट में केवल पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी।
- बजट में पेश नई आयकर व्यवस्था में आयकर दरें कम हैं, पर कई छूटें (रियायतें) अब नहीं मिलेंगी। 80 सी, 80 सीसीसी, 80 डी, स्टैण्डर्ड डिडक्शन जैसी अनेक रियायतें उन करदाताओं को नहीं मिलेंगी, जो आयकर के नए स्लैब का चयन करेंगे।
- कंपनियों के लिए पंद्रह प्रतिशत लाभांश वितरण कर समाप्त और अब लाभांश पर कर लाभांश पाने वाले को देना होगा।
- नई कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स पच्चीस प्रतिशत से घटाकर पंद्रह प्रतिशत और मौजूद कंपनियों के लिए तीस प्रतिशत से घटाकर बाईस प्रतिशत करने की घोषणा हुई।
- अखबारी कागज़ पर आयात शुल्क दस प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया।
- बजट भाषण में सोलर एनर्जी पर विश्वास व्यक्त करते हुए किसान की आय बढ़ाने और रेल पटरियों के दोनों ओर सोलर उपकरण लगाकर बिजली उत्पादन की बात कही गयी।
- कर परिहार (avoidance) को रोकने के लिए एनआरआई (NRI) की परिभाषा बदल दी गई है। बजट में उन लोगों पर शिकंजा कस दिया गया है जो अपनी अनिवासी स्थिति का अनुचित लाभ उठाकर आयकर से बचने की कोशिश करते हैं।

एक फरवरी 2020 को जब बजट आया, तब मेरी बेटी की नए बजट पर त्वरित टिप्पणी यह रही - "नए बजट के तीन प्रमुख विषय बताए गए हैं (i) महत्वाकांक्षी भारत, (ii) सभी के लिए आर्थिक विकास और (iii) देखभाल करने वाला समाज - यह एक अच्छा सैद्धांतिक ढांचा लगता है। लेकिन सवाल यह है कि वास्तविक कार्यान्वयन में इस रूपरेखा को कार्यान्वित कैसे किया जाता है। एक बात जो मुझे पसंद है, वह यह है कि एसडीजी 4 के लिए कुछ दिलचस्प योजनाएँ हैं, जिनमें डिग्री स्तर का पूरा ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शामिल है और शिक्षुता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कौशल बढ़ाने के बारे में भी बात की गयी है। नई कम आयकर दर का नियमन करना अच्छा लगता है, लेकिन संदेह है कि इससे किसी भी तरह की कर बचत होगी क्योंकि वेतनभोगी वर्ग को इसके लिए लगभग सभी कर छूटों को छोड़ना पडेगा, जैसे कि सेक्शन 80C, 80D आदि। हाँ, नयी कर दरों में 5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उस वर्ग में आने वाले लोगों के लिए यह एक खुशहाल संकेत है।"

आयकर पर मेरी टिप्पणी - "कानून ऐसे होने चाहिए जो समझने में आसान और जिनकी अनुपालना आसान हो। आयकर दरों को इतना जटिल बनाने की क्या जरुरत है? मेरी समझ में देश के लाखों घंटे इसी बात में बरबाद होंगे कि कौन सा आयकर दर पसंद किया जाए। 80C आदि के इंवेस्टमेंट्स में कमी आएगी, जिसका पैसा राष्ट्र हित और विकास कार्यों में उपयोग होता रहा है।"

वित्त मंत्री ने अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण दिया। उन्होंने तमिल कवि तिरुवल्लुवर का जिक्र करते हुए कहा कि तिरुवल्लुवर कहते थे - "देश के लिए पांच चीजें जरूरी हैं। बीमारियां नहीं होनी चाहिए, संपत्ति होनी चाहिए, अच्छी फसलें होनी चाहिए, खुशी होनी चाहिए और सुरक्षा होनी चाहिए।" साथ ही उन्होंने कश्मीरी कवि दीनानाथ कौल 'नदीम' की नज्म पढ़ी - "हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग़ जैसा, हमारा वतन डल झील में खिलते हुए कमल जैसा, नौजवानों के गर्म खून जैसा, मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन !"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट से आशा की है कि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा - "जिन सुधारों का ऐलान किया है, वे अर्थव्यवस्था को गति देने, हर नागरिक को आर्थिक सशक्त बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम करेंगे।" देखना है कि बजट अपना घोषित उद्देश्य पूरा कर पाता है या नहीं, इस पर संशय बहुत है।

- केशव राम सिंघल

(साभार स्रोत - राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति, दैनिक भास्कर, राष्ट्रदूत, The Times of India)

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