सोमवार, 10 दिसंबर 2018

*मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 4*


*मानव अधिकार जागरूकता*
*'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 4*


*अनुच्छेद 21*
1. प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के शासन में प्रत्यक्ष रूप से या स्वतंत्र रूप से चुने गए प्रतिनिधिओं के जरिए हिस्सा लेने का अधिकार है।
2. प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की सरकारी नौकरियों को प्राप्त करने का समान अधिकार है।
३. सरकार की सत्ता का आधार जनता की इच्छा होगी। इस इच्छा का प्रकटन समय-समय पर और असली चुनावों द्वारा होगा। ये चुनावों सार्वभौम और समान मताधिकार द्वारा होंगे और गुप्त मतदान द्वारा या किसी अन्य समान स्वतंत्र मतदान पद्धति से कराए जाएंगे।

*अनुच्छेद 22*
समाज के एक सदस्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के उस स्वतंत्र विकास तथा गौरव के लिए - जो राष्ट्रीय प्रयत्न या अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा प्रत्येक राज्य के संगठन एवं साधनों के अनुकूल हो - अनिवार्यतः आवश्यक आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की प्राप्ति का हक है।

*अनुच्छेद 23*
1. प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छानुसार रोजगार के चुनाव, काम की उचित और सुविधाजनक परिस्थितियों को प्राप्त करने और बेगारी से संरक्षण पाने का हक है।
2. प्रत्येक व्यक्ति को समान कार्य के लिए बिना किसी भेदभाव के समान मजदूरी पाने का अधिकार है।
3. प्रत्येक व्यक्ति को जो काम करता है, अधिकार है कि वह इतनी उचित और अनुकूल मजदूरी पाए, जिससे वह अपने लिए और अपने परिवार के लिए ऐसी आजीविका का प्रबंध कर सके, जो मानवीय गौरव के योग्य हो तथा आवश्यकता होने पर उसकी पूर्ति अन्य प्रकार के सामाजिक संरक्षणों द्वारा हो सके।
4. प्रत्येक व्यक्ति को अपने हितों की रक्षा के लिए श्रमजीवी संघ बनाने और उनमें भाग लेने का अधिकार है।

*अनुच्छेद 24*
प्रत्येक ब्यक्ति को विश्राम और अवकाश का अधिकार है। इसके अंतर्गत काम के घंटों की उचित हदबंदी और समय-समय पर मजदूरी सहित छुट्टियां सम्मिलित हैं।

*अनुच्छेद 25*
1.प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवनस्तर को प्राप्त करने का अधिकार है जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पर्याप्त हो। इसके अंतर्गत खाना, कपड़ा, मकान, चिकित्सा-संबंधी सुविधाएं और आवश्यक सामाजिक सेवाएं सम्मिलित है। सभी को बेकारी, बीमारी, असमर्था, वैधव्य, बुढ़ापे या अन्य किसी ऐसी परिस्थिति में आजीविका का साधन न होने पर जो उसके काबू के बाहर हो, सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है।
2. जच्चा और बच्चा को खास सहायता और सुविधा का हक है। प्रत्येक बच्चे को चाहे वह विवाहिता माता से जन्मा हो या अविवाहिता से, समान सामाजिक संरक्षण प्राप्त है।

*अनुच्छेद 26*
1. प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है। शिक्षा कम से कम प्रारंभिक और बुनियादी अवस्थाओं में निःशुल्क होगी। प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य होगी। टेक्निकल, यांत्रिक और पेशों-संबंधी शिक्षा साधारण रूप से प्राप्त होगी और उच्चतर शिक्षा सभी को योग्यता के आधार पर समान रूप से उपलब्ध होगी।
2. शिक्षा का उद्देश्य होगा मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान की पुष्टि। शिक्षा द्वारा राष्ट्रों, जातियों, अथवा धार्मिक समूहों के बीच आपसी सद्भावना, सहिष्णुता और मैत्री का विकास होगा और शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्रों के प्रयत्नों को आगे बढ़ाया जाएगा।
3. माता-पिता को सबसे पहले इस बात का अधिकार है कि वह चुनाव कर सकें कि किस किस्म की शिक्षा उनके बच्चों को दी जाएगी।

*अनुच्छेद 27*
1. प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता-पूर्वक समाज के सांस्कृतिक जीवन में हिस्सा लेने, कलाओं का आनंद लेने, तथा वैज्ञानिक उन्नति और उसकी सुविशाओं में भाग लेने का हक है।
2. प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी ऐसी वैज्ञानिक साहित्यिक या कलात्मक कृति से उत्पन्न नैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा का अधिकार है, जिसका रचयिता वह स्वयं है।

*अनुच्छेद 28*
प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्राप्ति का अधिकार है जिसमें उस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतंत्रताओं का पूर्णतः प्राप्त किया जा सके।

*अनुच्छेद 29*
1. प्रत्येक व्यक्ति का उसी समाज प्रति कर्तव्य है जिसमें रहकर उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्र और पूर्ण विकास संभव हो।
2. अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग करते हुए प्रत्येक व्यक्ति केवल ऐसी ही सीमाओं द्वारा बंधा होगा, जो कानून द्वारा निश्चित की जाएंगी और जिनका एकमात्र उद्देश्य दूसरों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं के लिए आदर और समुचित स्वीकृति की प्राप्ति होगा तथा जिनकी आवश्यकता एक प्रजातंत्रात्मक समाज में नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और सामान्य कल्याण की उचित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
3. इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग किसी प्रकार से भी संयुक्त राष्ट्रों के सिद्धांतों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जाएगा।

*अनुच्छेद 30*
इस घोषणा में उल्लिखित किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए जिससे यह प्रतीत हो कि किसी भी राज्य, समूह या व्यक्ति को किसी ऐसे प्रयत्न में संलग्न होने या ऐसा कार्य करने का अधिकार है, जिसका उद्देश्य यहां बताए गए अधिकारों और स्वतंत्रताओं में से किसी का भी विनाश करना हो।

मानवाधिकार दिवस पर शुभकामनाएं ....
मानवाधिकार दिवस हमें इस बात के लिए सचेत करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें स्वयं सजग होना होगा।

*संकलन और सम्पादन* - केशव राम सिंघल, जिलाध्यक्ष, पीयूसीएल अजमेर इकाई

*मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 3*


*मानव अधिकार जागरूकता*
*'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 3*


*अनुच्छेद 11*
1. प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दंडनीय अपरोध का आरोप किया गया हो, तब तक निरपराध माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में, जहां उसे अपनी सफाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों, कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाए।
2. कोई भी व्यक्ति किसी भी ऐसे कृत या अकृत (अपराध) के कारण उस दंडनीय अपराध का अपराधी न माना जाएगा, जिसे तत्कालीन प्रचलित राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार दंडनीय अपराध न माना जाए और न अससे अधिक भारी दंड दिया जा सकेगा, जो उस समय दिया जाता जिस समय वह दंडनीय अपराध किया गया था।

*अनुच्छेद 12*
किसी व्यक्ति की एकांतता, परिवार, घर, या पत्र व्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप न किया जाएगा, न किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप हो सकेगा। ऐसे हस्तक्षेप या आक्षेपों के विरुद्ध प्रत्येक को कानूनी रक्षा का अधिकार प्राप्त है।

*अनुच्छेद 13*
1. प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक देश की सीमाओं के अंदर स्वतंत्रतापूर्वक आने, जाने और बसने का अधिकार है।
2. प्रत्येक व्यक्ति को अपने या पराए किसी भी देश को छोड़ने और अपने देश वापस आने का अधिकार है।

*अनुच्छेद 14*
1. प्रत्येक व्यक्ति को सताए जाने पर दूसरे देशों में शरण लेने और रहने का अधिकार है।
2. इस अधिकार का लाभ ऐसे मामलों में नहीं मिलेगा जो वास्तव में गैर-राजनीतिक अपराधों से संबंधित हैं, या जो संयुक्त राष्ट्रों के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य हैं।

*अनुच्छेद 15*
1. प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी राष्ट्र-विशेष की नागरिकता का अधिकार है।
2. किसी को भी मनमाने ढंग से अपने राष्ट्र की नागरिकता से वंचित न किया जाएगा या नागरिकता का परिवर्तन करने से मना न किया जाएगा।

*अनुच्छेद 16*
1. बालिग स्त्री-पुरुषों को बिना किसी जाति, राष्ट्रीयता या धर्म की रुकावटों के आपस में विवाह करने और परिवार स्थापन करने का अधिकार है। उन्हें विवाह के विषय में वैवाहिक जीवन में, तथा विवाह विच्छेद के बारे में समान अधिकार हैं।
2. विवाह का इरादा रखने वाले स्त्री-पुरुषों की पूर्ण और स्वतंत्र सहमति पर ही विवाह हो सकेगा।
3. परिवार समाज का स्वाभाविक और बुनियादी सामूहिक इकाई है और उसे समाज तथा राज्य द्वारा संरक्षण पाने का अधिकार है।

*अनुच्छेद 17*
1. प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है।
2. किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित न किया जाएगा।

*अनुच्छेद 18*
प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अंतरात्मा और धर्म की आजादी का अधिकार है। इस अधिकार के अंतर्गत अपना धर्म या विश्वास बदलने और अकेले या दूसरों के साथ मिलकर तथा सार्वजनिक रूप में अथवा निजी तौर पर अपने धर्म या विश्वास को शिक्षा, क्रिया, उपसाना, तथा व्यवहार के द्वारा प्रकट करने की स्वतंत्रता है।

*अनुच्छेद 19*
प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इसके अंतर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम के जरिए से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी की सूचना और धारणा का अन्वेषण, ग्रहण तथा प्रदान सम्मिलित है।

*अनुच्छेद 20*
1. प्रत्येक व्यक्ति को शांति पूर्ण सभा करने या समित्ति बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
2. किसी को भी किसी संस्था का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
(क्रमशः - *मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 4*)

मानवाधिकार दिवस पर शुभकामनाएं ....
मानवाधिकार दिवस हमें इस बात के लिए सचेत करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें स्वयं सजग होना होगा।

*संकलन और सम्पादन* - केशव राम सिंघल, जिलाध्यक्ष, पीयूसीएल अजमेर इकाई

*मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 2*


*मानव अधिकार जागरूकता*
*'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 2*


*अनुच्छेद 1*
सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए।

*अनुच्छेद 2*
सभी को इस घोषणा में सन्निहित सभी अधिकरों और आजादियों को प्राप्त करने का हक है और इस मामले में जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, संपत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार न किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो, या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फ़रक नहीं रखा जाएगा।

*अनुच्छेद 3*
प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।

*अनुच्छेद 4*
कोई भी गुलामी या दासता की हालत में न रखा जाएगा, गुलामी-प्रथा और गुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में निषिद्ध होगा।

*अनुच्छेद 5*
किसी को भी शारीरिक यातना न दी जाएगी और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार होगा।

*अनुच्छेद 6*
हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।

*अनुच्छेद 7*
कानून की निगाह में सभी समान हैं और सभी बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा के अधिकारी हैं। यदि इस घोषणा का अतिक्रमण करके कोई भी भेदभाव किया जाए या उस प्रकार के भेदभाव को किसी प्रकार से उकसाया जाए, तो उसके विरुद्ध समान संरक्षण का अधिकार सभी को प्राप्त है।

*अनुच्छेद 8*
सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों का अतिक्रमण करने वाले कार्यों के विरुद्ध समुचित राष्ट्रीय अदालतों की कारगर सहायता पाने का हक है।

*अनुच्छेद 9*
किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार, नजरबंद, या देश-निष्कसित न किया जाएगा।

*अनुच्छेद 10*
सभी को समान रूप से हक है कि उनके अधिकारों और कर्तव्यों के निश्चय करने के मामले में और उन पर आरोपित फौजदारी के किसी मामले में उनकी सुनवाई न्यायोचित और सार्वजनिक रूप से निरपेक्ष एवं निष्पक्ष अदालत द्वारा हो।
(क्रमशः - *मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 3*)

मानवाधिकार दिवस पर शुभकामनाएं ....
मानवाधिकार दिवस हमें इस बात के लिए सचेत करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें स्वयं सजग होना होगा।
*संकलन और सम्पादन* - केशव राम सिंघल, जिलाध्यक्ष, पीयूसीएल अजमेर इकाई

*मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 1*


*मानव अधिकार जागरूकता*
*'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 1*

संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में यह कथन शामिल है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य यह विश्वास करते हैं कि कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं जो कभी छीने नहीं जा सकते; मानव की गरिमा है और स्त्री-पुरुष के समान अधिकार हैं। इस चार्टर के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य सभा ने 10 दिसम्बर 1948 को मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा अंगीकार की। इस घोषणा से संसार के देशों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ और फलस्वरूप अधिकतर देशों की सरकारों ने अपने संविधान या अधिनियमों (कानूनों) के माध्यम से इन्हे अपनाया और कार्यान्वित किया। संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने सभी सदस्य देशों से यह भी कहा कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों अथवा प्रदेशों की राजनैतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना, विशेषतः विद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थाओं में, इसके प्रचार, प्रदर्शन, पठन और व्याख्या का प्रबंध करें। इस घोषणा का अधिकृत पाठ इन पांच भाषाओं में प्राप्य है: अंग्रेज़ी, चीनी, फ़्रांसीसी, रूसी और स्पेनी। आपकी जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए हिंदी भावानुवाद पाठ नीचे दिया जा रहा है। किसी भी संशय की स्थिति में कृपया संयुक्त राष्ट्र का अधिकृत पाठ का सन्दर्भ लें।

*प्रस्तावना*
चूंकि मानव परिवार के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और समान तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शांति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद है,

चूंकि मानव अधिकारों के प्रति उपेक्षा और घृणा के फलस्वरूप ही ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार किया गया, चूंकि एक ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को (जिसमें लोगों को भाषण और धर्म की आजादी तथा भय से मुक्ति मिलेगी) सर्वसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित किया गया है,

चूंकि अगर अन्याययुक्त शासन और जुल्म के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए - उसे ही अंतिम उपाय समझकर - मजबूर नहीं हो जाना है, तो कानून द्वारा नियम बनाकर मानव अधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है,

चूंकि राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ाना जरूरी है,

चूंकि संयुक्त राष्ट्रों के सदस्य देशों की जनताओं ने बुनियादी मानव अधिकारों में, मानव व्यक्तित्व के गौरव और योग्यता में और नर-नारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को अधिकार-पत्र में दुहराया है और यह निश्चय किया है कि अधिक व्यापक स्वतंत्रता के अंतर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊंचा किया जाएं,

चूंकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा की है कि वे संयुक्त राष्ट्रों के सहयोग से मानव अधिकारों और बुनियादी आजादियों के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्धि करेंगे,

चूंकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और आजादियों का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे जरूरी है।

इसलिए, अब, सामान्य सभा घोषित करती है कि मानव अधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की समान सफलता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक भाग इस घोषणा को लगातार दृष्टि में रखते हुए अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करेगा कि इन अधिकारों और आजादियों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो और उत्तरोत्तर ऐसे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय उपाय किए जाएं जिनसे सदस्य देशों की जनता तथा उनके द्वारा अधिकृत प्रदेशों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दे और उनका पालन कराएं।
(क्रमशः - *मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 2*)

मानवाधिकार दिवस पर शुभकामनाएं ....
मानवाधिकार दिवस हमें इस बात के लिए सचेत करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें स्वयं सजग होना होगा।

*संकलन और सम्पादन* - केशव राम सिंघल, जिलाध्यक्ष, पीयूसीएल अजमेर इकाई

बुधवार, 21 नवंबर 2018

नकली समाचार कैसे पहचानें? How to spot Fake News?


*नकली समाचार कैसे पहचानें?*
*How to spot Fake News?*


नकली समाचार का अर्थ है झूँठी खबर या अप्रमाणित तथ्य जिसे जान बूझकर सच बनाकर फैलाया जा रहा हो। अक्सर इसे पाठकों को धोखा देने के लिए, भ्रमित करने, घबराहट फैलाने के लिए या पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मुख्य रूप से व्हाट्सएप्प और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाया जाता है। नकली समाचार की समस्या भारत समेत विश्व के अनेक देशों में है। नकली समाचारों से हमें सावधान रहने की जरुरत है। विश्व भर में चुनाव या किसी सामूहिक अहम अवसर के दौरान इनका प्रसार बढ़ जाता है। प्रतिदिन (चुनाव के दिनों में अधिक) व्हाट्सएप, फेसबुक, या किसी अन्य सोशल साइट पर अनेक समाचार सम्प्रेषित होते हैं और इन समाचारों को हम पढ़ते हैं और कई बार ऐसा हो सकता है कि किसी नकली समाचार से हम प्रभावित हो जाएँ, इसलिए यह जरूरी है कि हम जाने कि नकली समाचार (Fake News) को कैसे पहचानें। नकली समाचार की पहचान के लिए हमें निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-

*शीर्षक पर बारीकी से ध्यान दो*

शीर्षक (Headlines) पूरा लेख या समाचार पढ़ने के लिए आकर्षित करता है। ज्यादातर मामलों में नकली समाचार एक आकर्षक शीर्षक या अजीब विराम चिह्न के साथ आता है। हालाँकि आकर्षक शीर्षक वाले समाचार हर बार नकली नहीं होते हैं, पर ज्यादातर मामलों में यह होगा। शीर्षक पर बारीकी से ध्यान दो। यदि यह आकर्षक शीर्षक और अजीव विराम चिन्ह के साथ हो तो सचेत हो जाएं।

*ध्यान से सामग्री पढ़ें*

नकली समाचार अक्सर जल्दबाजी में लिखा जाता है और यह व्याकरण की गलतियों और वर्तनी की गलतियों से भरा होता है। यदि आप ध्यान से सामग्री पढ़ेंगे तो संभव है कि आप नकली समाचार पहचान लेंगे।

*चित्रों को ठीक से जांचें*

जो लोग नकली या फर्जी समाचार सामग्री बनाते हैं, वे समाचार को प्रमाणीकृत करने के लिए समाचार के साथ फ़ोटो भी जोड़ देते हैं। लेकिन नकली समाचार में फोटो सामग्री अक्सर झूँठी होती है। अक्सर बहुत पुरानी किसी फोटो को हाल की घटनाओं के नकली समाचार से जोड़ दिया जाता है। कृपया अन्य स्रोतों (other sources) से चित्रों और समाचार को क्रॉस-चेक (cross-check) करें।

*समाचार का स्रोत देखें*

अगर कुछ समाचारों पर विश्वास करना मुश्किल है, तो तुरंत इस पर खुश या नाराज न हों, बल्कि समाचार का स्रोत जानने की कोशिश करें। प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियां हमेशा हमें सबसे तेज़ संभावित समाचारों के साथ अद्यतन (update) रखती हैं। इस प्रकार, अपने निकट और प्रियजनों को अग्रेषित करने का निर्णय लेने से पहले, सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद एजेंसियों पर नज़र डालें। आप यह सुनिश्चित करने के लिए कि जो आपको मिला, वह नकली समाचार नहीं है, आप समाचार के तथ्यों की जांच वेबसाइटों पर भी एक नज़र डालकर कर या विषय के विशेषज्ञों से बातचीत से कर सकते हैं। कोई भी समाचार वायरल हो सकता है, लेकिन इससे पहले कि आप एक वायरल समाचार को सत्य मानें, अन्य समाचार स्रोतों से उसकी जांच करें। यदि समाचार का कोई भाग अचानक आपको बहुत खुश या बहुत नाराज कर रहा है तो संभावना अधिक है, यह नकली समाचार हो।

*यूआरएल (URL) या समाचार स्रोत को ठीक से देखो*

जब कोई समाचार इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त हो रहा हो तो समाचार के यूआरएल (URL) या समाचार स्रोत पर एक नज़र रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आपको कोई समाचार मिलता है, जो विश्वास करना बहुत कठिन होता है, तो URL के डोमेन पर नज़र डालें। यदि समाचार एक प्रतिष्ठित समाचार स्रोत से नहीं आ रहा है, तो समाचार एजेंसी की पृष्ठभूमि के बारे में कुछ जानने की कोशिश करें।

*आगे अग्रेषित करने से पहले सोचें*

आप यदि सावधान हैं तो नकली समाचारों को आसानी से पहचान सकते हैं। नकली समाचार प्राप्त करना आपकी गलती नहीं है। लेकिन अगर आप इसे सही तरीके से नहीं देखते हैं और इसे आगे बढ़ाते हैं तो यह आपकी गलती होगी। जो कुछ भी आप भेज रहे हैं या अग्रेषित कर रहे हैं उसके लिए आप ही जिम्मेदार हैं।

*अगर आपको नकली समाचार मिलता है तो क्या करें?*

अगर आपको कोई नकली समाचार मिलता है, इसे हटा दें या इसे अपने फोन या कम्प्यूटर पर रखें, यह निर्णय आपको लेना है। नकली समाचार को अग्रेषित (forward) या साझा (share) करना एक अच्छा विचार नहीं है। नकली समाचार के प्रेषक को विनम्र संदेश सम्प्रेषित करना एक अच्छा विचार हो सकता है, और आप उसे सावधान कर सकते हैं। आपको किसी भी समाचार को आगे तभी अग्रेषित या साझा (share) करना चाहिए, जब आप समाचार की सत्यता से पूर्ण रूपेण संतुष्ट हों।

उम्मीद है कि यह लघु लेख *नकली समाचार कैसे पहचानें?* आपके लिए सहायक होगा। जागरूकता के लिए आप इसे साझा (share) कर सकते हैं।

शुभकामनाओं सहित,

केशव राम सिंघल

(लेखक सेवानिवृत बैंक अधिकारी है तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नेशनल सेंटर फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट, क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया सहित अनेक प्रोफेशनल संस्थाओं का सदस्य है। वर्तमान में लेखक पीयूसीएल (People's Union for Civil Liberties), अजमेर जिलाध्यक्ष भी है।)

लेख का उद्देश्य सम्बंधित विषय पर जागरूकता फैलाना है। लेख तथ्यों से भरपूर है तथा यह पाठकों को इस विषय में आगे सोचने के लिए निश्चित ही मजबूर करेगा, ऐसा लेखक का विश्वास है।

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गुरुवार, 8 नवंबर 2018

८ नवम्बर २०१८ को नोटबंदी की बरसी पर - विमुद्रीकरण (नोटबंदी) से सम्बंधित कुछ तथ्य और इसका प्रभाव


*८ नवम्बर २०१८ को नोटबंदी की बरसी पर*

*विमुद्रीकरण (नोटबंदी) से सम्बंधित कुछ तथ्य और इसका प्रभाव*


- केशव राम सिंघल

(लेखक सेवानिवृत बैंक अधिकारी है तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नेशनल सेंटर फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट, क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया सहित अनेक प्रोफेशनल संस्थाओं का सदस्य है। वर्तमान में लेखक पीयूसीएल (People's Union for Civil Liberties), अजमेर जिलाध्यक्ष भी है।)

लेख का उद्देश्य सम्बंधित विषय पर जागरूकता फैलाना है। लेख तथ्यों से भरपूर है तथा यह पाठकों को इस विषय में आगे सोचने के लिए निश्चित ही मजबूर करेगा, ऐसा लेखक का विश्वास है।

८ नवम्बर २०१६ को भारत में ५०० और १००० रुपयों की नोटबंदी की घोषणा के साथ विमुद्रीकरण कदम उठाया गया। यह भारत में पहला विमुद्रीकरण कदम नहीं था। इससे पहले भी भारत में दो बार विमुद्रीकरण हुआ था - एक स्वतंत्रता से पहले १९४६ में और दूसरा स्वतंत्रता के बाद १९७८ में। १९४६ और १९७८ में उठाए विमुद्रीकरण कदम का पैमाना या स्तर २०१६ में उठाए विमुद्रीकरण कदम के पैमाने या स्तर से बहुत छोटा था। नवम्बर २०१६ में उठाया विमुद्रीकरण कदम भारत में तीसरा था। यह कहा जाता है यह बहुत बड़ा था, इसके उद्देश्य बहुत बड़े थे। अचानक ५०० और १००० रुपये के नोटों का चलन बंद कर देने से प्रचलन से करीब ८७% मुद्रा को हटा लिया गया। प्रधानमंत्री की एक घोषणा ने ८ नवम्बर २०१६ को ५०० और १००० रुपयों के नोटों को अवैध घोषत कर दिया गया। ऐसा लगा कि जैसे यात्री किसी सुपरफास्ट ट्रेन में बैठे हुए हों और उस गाड़ी के अचानक ब्रेक लगा दिए जाएं। ऐसा ही कुछ ८ नवम्बर २०१६ को हुआ।

ऐसा कहा जाता है कि ८ नवम्बर २०१६ को उठाया विमुद्रीकरण कदम अत्यंत गोपनीयता के साथ उठाया गया। ऐसा सुनने में आया कि कोई जानकारी पहले लीक ना हो जाए, इसलिए जिन केबिनेट मंत्रियों ने ८ नवम्बर २०१६ को केबिनेट मीटिंग में भाग लिया, उन्हें अपने साथ मोबाईल लाने की इजाजत नहीं थी और उन्हें तब तक रुकना पड़ा, जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को सम्बोधित नहीं कर दिया। केबिनेट मीटिंग की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री मोदी के सम्बोधन की तैयारी शुरू हो गयी और उनका देश को सम्बोधन देर शाम ८.१५ बजे प्रसारित होना शुरू हुआ। यहां यह भी बताना उचित होगा कि रिजर्व बैंक के बोर्ड सदस्यों की मीटिंग भी उसी दिन करीब-करीब उस समय ही समाप्त हुई और उन्हें भी प्रधानमंत्री के भाषण के प्रसारण के बाद ही छोड़ा गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि कालाधन पर लगाम लगाने के लिए ५०० और १००० रुपये के नोट मंगलवार आधी रात से बंद किए जा रहे हैं। देश को सम्बोधित अपनी घोषणा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगले पचास दिन तक ये नोट बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि में पहचान दिखाकर छोटे नोटों में परिवर्तित हो सकेंगे। यह भी बताया गया कि ग्यारह नवम्बर २०१६ की मध्य रात्रि तक सरकारी अस्पतालों, दवा दुकानों, पैट्रोल पम्पों, रेल टिकट बुकिंग, हवाई टिकट, बस अड्डों और दूध डिपो पर ५०० और १००० के नोटों से खरीददारी की जा सकेगी। यह भी ऐलान किया गया कि ९ नवम्बर २०१६ को बैंकों में जनता के लिए कामकाज नहीं होगा और ९ और १० नवम्बर २०१६ को एटीएम बंद रहेंगे। साथ ही मोदी ने कहा कि २००० और ५०० रुपये के नए डिजायन के नोटों को प्रचलन में लाया जाएगा।

प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम विशेष सम्बोधन के बाद रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल तथा वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांता दास ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मलेन में ५०० और २००० रुपये के नए नोटों का प्रारूप दिखाया और बताया कि ये नोट १० नवम्बर २०१६ से जारी किए जाएंगे। बड़े नोटों को बंद करने और नए नोटों को प्रचलन में लाने की प्रक्रिया तकरीबन छह माह से चल रही थी, ऐसा संवाददाता सम्मलेन से पता चला। शशिकांता दास ने सरकार के कदम को मजबूत, शक्तिशाली और निर्णायक बताया।

प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद ही, रात्रि १२ बजे से पहले, ८ नवम्बर २०१६ को व्यापारियों और पेट्रोल पम्पों ने ५०० और १००० रुपये के नोट लेने बंद कर दिए। यही स्थिति दवा की दुकानों और बाजार में देखने को मिली, जबकि ५०० और १००० के नोट रात्रि १२ बजे से पहले कानूनी तौर पर मान्य थे। एटीएम पर छोटे नोट निकसलाने के लिए लोगों की कतारें लग गईं। यात्रा पर निकले लोगों के होश फाख्ता दिखे।

देश में मंगलवार आधी रात से ५०० और १००० रुपये के नोटों का चलन बंद करने के निर्णय को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक और जिगर वाला निर्णय बताते हुए कहा कि इससे काला धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और देश तेजी से विकास करेगा। इससे उलट कांग्रेस सहित विरोधी दलों ने इस निर्णय को सरकार कि नाकामियों पर पर्दा डालने और महंगाई सहित देश में व्याप्त ज्वलंत समस्याओं से आम जन का ध्यान भटकाने वाला बताया और कहा कि इस फैसले से आम जन परेशान होगा और अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी।

५०० और १००० रुपयों के नोटों को प्रचलन से बाहर करने कि घोषणा ने 'मास्टर स्ट्रोक' तो लगा दिया, पर प्रधानमंत्री मोदी के इस 'मास्टर स्ट्रोक' से भाजपा नेता भी मन ही मन डरे हुए थे। वे आगामी विधानसभा चुनावों पर इसके संभावित नतीजों को लेकर बहुत चिंतित थे। उनकी चिंता यह थी कि इससे खासतौर से गाँवों में एक घबराहट सी पैदा हो गयी थी क्योंकि गाँवों में बैंकिंग व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं है कि लोग नई मुद्रा के साथ जल्दी ही अपना तालमेल बैठा सकें। चर्चा यह भी थी कि संघ परिवार और भाजपा समर्थक व्यापारी वर्ग भी सरकार किस कदम से नाराज थे।

५०० और १००० रुपयों के नोट बंद होने से देश भर के बाजारों में सन्नाटा पसर गया और पेट्रोल पम्पों पर भीड़ उमड़ पडी। सूने रहे बाजारों के कारण पूरे देश में कारोबार प्रभावित हुआ। सर्राफा, ऑटोमोबाइल, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स के बाजारों में नकदी का लेन-देन नहीं हुआ। चेक के माध्यम से खरीद-फरोख्त हुई पर ऐसे खरीद ग्राहकों कि संख्या कम रही। घर से दूर यात्रियों के साथ बहुत बुरी बीती। जेब में ५०० और १००० रुपये के नोट होने के बावजूद यात्री खाने-पीने का सामान भी नहीं खरीद पाए। लोगों कि जेब में नोट होने के बावजूद वे मोहताज हो गए और हाथ फैलाने पर मजबूर हो गए। हालांकि कानूनन ५०० और १००० रुपयों के नोटों से दवाई खरीदी जा सकती थी, पर अनेक दवा विक्रेताओं ने ५०० और १००० रुपयों के नोट लेकर दवा देने से इंकार कर दिया। अनेक स्थानों पर कृषि उपज मंडियां बंद रहीं। उदाहरण के तौर पर अजमेर में कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी कृषि उपज मंडी ९ नवम्बर २०१६ को बंद थी। देश में अनेक स्थानों पर व्यापार संघों के आह्वान पर कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। पुष्कर पशु मेले में व्यापारियों के साथ पशुपालक भी परेशान रहे, साथ ही खाने-पीने कि वस्तुओं का इंतजाम करने का संकट पैदा हो गया। पुष्कर मेले में आए अधिकांश विदेशी पर्यटकों को भी बैंकों में रुपये बदलवाने के लिए घंटों लाईन में खड़ा रहना पड़ा।

जायरीनों और बाहर से आए यात्रियों की परेशानी को देखते हुए ९ नवम्बर २०१६ को सैयद जादगान अंजुम, यादगार अंजुमन और दरगाह कमेटी सहित अनेक सामाजिक संस्थाओं ने दरगाह परिसर, दरगाह गेस्ट हाउस और अन्य स्थानों पर जायरीनों और यात्रियों के लिए निःशुल्क चाय और भोजन की व्यवस्था की।

५०० और १००० रुपये के नोट बंद होने का असर उन परिवारों पर पड़ा, जिनके घर शादी होनी थी। तेजी से चल रही शादी की तैयारियों को जैसे ब्रेक सा लग गया। शादी वाले घरों में तैयारियों को झटका लगा। रियल एस्टेट के कारोबारियों की जमीन खिसक गयी और उनके चेहरे पर मायूसी दिखाई दी।

१० नवम्बर २०१६ को सरकार की ओर से समाचारपत्रों में 'पुराने नोट के बदले नए नोट - कुछ जरूरी बातें' नामक विज्ञापन छपवाया गया, जिसमें यह सूचित किया गया कि (१) यह ऐतिहासिक कदम गरीबों, नियो मिडल क्लास के लिए नए अवसर पैदा करेगा, (२) रियल एस्टेट की कीमतें, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं आम लोगों की पहुँच में आएंगी, (३) हथियारों की तस्करी, जासूसी और आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद बंद होगी, और (४) बड़ी मात्रा में होने वाले नकली नोटों का चलन बंद होगा। सरकार अपने उद्देश्यों में कहाँ तक सफल हुई, यह विचारणीय प्रश्न है।

५०० और १००० रुपये के नोट बंद होने के कारण १००, ५०, २० और १० रुपये के छोटे नोटों की कमी का दंश निरीह पशुओं को भगतना पड़ा, जिन्हे बुधवार ९ नवम्बर २०१६ की सुबह रोज की तरह कोई चारा डालने नहीं आया। १०-२० रुपये का चारा डालने वालों की मानसिकता पर अपने जेब से नोट निकलने की चिन्ता सवार थी, इसलिए वे पशुओं को चारा नहीं डाल रहे थे और दूसरी ओर भूखे पशु सड़क की ओर देखकर चारा डालने वालों का इंतज़ार कर रहे थे।

१० नवम्बर २०१६ से ५०० और १००० के पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाने के लिए बैंकों में लम्बी कतारें लग गईं। ज्यादातर स्थानों पर बैंकोंके बाहर अत्यधिक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैंक शाखाओं पर पुलिस तैनात करनी पडी। लोगों में बेसब्री का आलम यह था कि बैंक खुलने से पूर्व ही बैंक शाखाओं के बाहर लोगों का हजूम उमड़ पड़ा। १० नवम्बर २०१६ को प्रति व्यक्ति के अधिकतम ४००० रुपये ही बदले गए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य और संघ परिवार के विचारक गोविंदाचार्य ने अपने एक लेख में लिखा कि 'प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा ५०० और १००० के नोट समाप्त करने के फैसले से पहले मैं भी अचंभित हुआ और आनंदित भी। पर कुछ समय गहराई से सोचने के बाद सारा उत्साह समाप्त हो गया। नोट समाप्त करने और फिर बाजार में नए बड़े नोट लाने से अधिकतम ३ प्रतिशत काला धन ही बाहर आ पाएगा और मोदी जी का दोनों कामों का निर्णय कोई दूरगामी परिणाम नहीं ला पाएगा, केवल एक और चुनावी जुमला बन कर रह जाएगा। नोटों को इस प्रकार समाप्त करना 'खोदा पहाड़, निकली चुहिया' सिद्ध होगा।

५०० और १००० रुपये के नोटों का चलन बंद करने के निर्णय के बाद १० नवम्बर २०१६ से वित्त मंतालय के आयकर विभाग ने उन लोगों पर छापे मारने की मुहिम छेड़ दी, जिनके पास बहुत बड़ी मात्रा में राशि होने का संदेह था। ये छापे दिल्ली, मुम्बई, चंडीगढ़, लुधियाना और अन्य शहरों में मारे गए। देश में घबराहट का माहौल पैदा हो गया और बाजार के जानकार लोग पूछने लगे की मोदी ने अपने रास्ते से भटककर पार्टी के ठोस मतदाताओं - व्यापारियों और छोटे व्यवसायियों को आखिर क्यों नाराज कर दिया। इसका एक कारण यह समझा जा रहा था की मोदी के दिलो-दिमाग पर काला धन बुरी तरह छाया हुआ था। उन्होंने विदेशों में जमा काला धन वापिस लाने के लम्बे-चौड़े वाडे किए थे किन्तु वे उन वादों को पूरा नहीं कर सके। इसलिए उन्होंने देश के अंदर प्रभाव पैदा करने का निर्णय ले लिया।

जैसा की सुनने में आया कि ८ नवम्बर २०१६ को मोदी के भाषण समाप्त होने तक केबिनेट मंत्रियों और रिजर्व बैंक के बोर्ड सदस्यों को मीटिंग समाप्त होने के बाद भी रुकना पड़ा था, वह इशारा करता है कि नोटबंदी का कदम गोपनीयता के साथ उठाया गया था। हालांकि गोपनीयता का दावा और दिखावा किया गया, पर मुम्बई, दिल्ली और अहमदाबाद के मुद्रा बाजार में सुगबुगाहट दिखाई दी। वित्तीय हलकों में इस बात की चर्चा थी कि सत्तारूढ़ पार्टी के मध्यम क्रम के कई नेताओं को पहले ही इस बात का सुराग दे दिया गया था, ताकि वे अपनी भारी नकद राशि को सुरक्षित कर लें, जिसका पार्टी कार्यों में इस्तेमाल होने वाला था। गुपचुप चर्चाओं की खबर रखने वाले जानते थे कि नोटबंदी होने वाली है, जिससे ५०० और १००० रुपये के नोट प्रभावित होंगे। इसलिए भारत में कुछ लोगों ने एक जुगाड़ तंत्र तैयार कर लिया उन लोगों की मदद करने के लिए जिनके पास भारी नगद राशि थी, ऐसी राशि वे ना तो बैंकों में जमा कर सकते थे और ना ही खुले आम परिवर्तित कर सकते थे। प्रमुख वित्तीय केन्दों में नया जुगाड़ तंत्र तेजी से शुरू हो गया, जो ५०० और १००० के नोटों को अवैध घोषित होते ही इन्हें बदलने के लिए एक दम तैयार था। खबरों के अनुसार काला धन के जमाखोर अपने नोट भारी छूट पर बदलवा रहे थे। घबराहट में लोग बड़े पैमाने पर सोने-चांदी की खरीद कर रहे थे। शुरुआती दौर में करेंसी नोट बिक्री पर ६० प्रतिशत का कमीशन था, जो बाद में ३० प्रतिशत हो गया। आयकर विभाग ने जयपुर, दिल्ली, मुम्बई सहित भारत के कई शहरों में बड़े कारोबारियों और बाजारों में छापे की कार्रवाई उन खबरों के बाद शुरू की जिनमें कहा जा रहा था कि ज्वैलर और हवाला ऑपरेटर ४० प्रतिशत तक के डिस्काउंट के साथ पुराने नोट लेने का धंधा कर रहे हैं। नवम्बर २०१६ माह में यह खबर जोर पकड़ने लगी थी कि कुछ बैंक अधिकारी काले धन को परिवर्तित करने में मदद कर रहे थे। रिजर्व बैंक ने अपनी एक चेतावनी में कहा कि उनकी जानकारी में लाया गया है कि कुछ स्थानों पर कुछ बैंक अधिकारी कुछ बदमाशों को गुप्त सहयोग देकर बंद हो चुके नोटों को नयी नकदी में बदलकर या खातों में जमा करके धोखाधड़ी के कामों में लगे हुए हैं। रिजर्व बैंक ने सभी बैंको को सलाह दी कि वे सुनिश्चित करें कि इस प्रकार के छल-कपटपूर्ण कार्यों को चौकसी बढ़ाकर अविलम्ब रोक दिए गए हैं।

घोषित नोटबंदी पर राजनीति गर्म होने लगी थी। अधिकांश विरोधी दलों के नेता कहते दिखाई दिए कि आपातकाल के बाद यह पहला मौक़ा है जब मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले से अघोषित आपातकाल के हालात व्याप्त हो गए। पूरे देश में नोटबंदी को लेकर अफरातफरी का माहौल था। लोग डरे हुए थे, बैंकों-पोस्ट ऑफिसों के बाहर लम्बी कतारें लग गईं थीं। सरकार की ओर से ११ नवम्बर २०१६ को एक विज्ञापन अखबारों में छपवाया गया, जिसमें कहा गया था कि "आपकी मेहनत की कमाई बिलकुल सुरक्षित है, जराभी भयभीत न हों। अगर कोई छोटा कारोबारी गृहणी, कलाकार, कामगार आदि के पास कुछ नगद हो, तो वे इसे बैंक में जमा करा सकते हैं। २,५०,००० रुपये तक की जमा की हुई राशि आयकर विभाग को रिपोर्ट नहीं की जाएगी। किसी प्रकार की पूछताछ और कार्यवाही नहीं होगी। सभी ईमानदार लोग बेफिक्र रहें। किसानों की आमदनी आयकर मुक्त है और अपनी ईमानदारी की कमाई बैंक में जमा कर सकते हैं। " विज्ञापन में यह चेतावनी भी दे गयी थी कि "कृपया ठगों और धोखेबाजों के झांसे में न आएं एवं अफवाहों से बचें। अनजान और दूसरे व्यक्तियों के पैसे अपने खाते में जमा बिलकुल न करें।"

नोटबंदी की घोषणा के चार दिन बाद ही यह राय बनने लग गयी थी कि मोदी की विमुद्रीकरण योजना अपना लक्ष्य चूक गयी और यह आम आदमी के सिर पर ऐसी गिरी कि उसे सीमित मात्रा में अपने रुपये बदलवाने के लिए कतार में खड़ा रहना पड़ा। ऐसा लगाने लगा था कि विमुद्रीकरण का निर्णय जल्दबाजी ली गयी कार्रवाई थी। चार दिन बाद ही यह स्पष्ट होने लगा था कि विमुद्रीकरण की कोइ ठोस योजना नहीं बनाई गयी थी। नोटबंदी के कारण आम आदमी अचानक निर्धन हो गया। उसके पास रोजमर्रा की आवश्यक चीजों जैसे सब्जी, दूध खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। नतीजन सडकों पर अव्यवस्था की स्थिति थी। हर तरफ बैंक और एटीएम मशीनों के बाहर चिंतित और परेशान नागरिकों की लम्बी-लम्बी कटारे नजर आ रही थीं। सभी इस उम्मीद में बैचैन थे कि उनके पास मौजूद ५०० और १००० रुपये के नोट छोटे नोटों में बदल जाएं ताकि वे अपने परिवार की मूलभूत जरूरतें पूरी कर सकें, खासकर बच्चों का दूध और बुजुर्गों की दवाएं आदि। जनता को विमुद्रीकरण का निर्णय सरकार का असहनीय मजाक लगने लगा था क्योंकि यह स्पष्ट होने लगा था कि इस विमुद्रीकरण का निर्णय लेने से पहले पर्याप्त प्लानिंग नहीं की गयी थी, बहुत सारे तकनीकी और व्यावहारिक मुद्दे खड़े हो गए थे। एटीएम सेवाएं सामान्य नहीं थीं। एटीएम मशीनों को अंशशोधित किया जाना और सम्बंधित सॉफ्टवेयर तैयार करने जैसी तकनीकी समस्याएँ खड़ी हो गयी। एक तरफ मोदी सरकार यह सोच रही थी कि काले धन के विरुद्ध की गयी इस कार्यवाही के लिए जनता उसका यशोगान करेगी, पर दूसरी तरफ इसके विपरीत जनता की तीखी प्रतिक्रिया सुनाने में आने लगी थी। विमुद्रीकरण की यह कार्यवाही सरकार की संकीर्ण सोच साबित हुई, जिससे राष्ट्रव्यापी घबराहट और अफरातफरी पैदा हुई और पूरे देश में लोगों को बैंकों के चक्कर लगाने पड़े। विमुद्रीकरण से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए सरकार का प्लान चौपट हो गया था। देशभर में एटीएम मशीनों की व्यवस्था फेल हो गयी। दुकानदारों और दवा की दुकानों पर भी अव्यवस्था रही क्योंकि दुकानदारों के पास बैलेंस लौटाने के लिए छोटे नोट नहीं थे। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने देश में वित्तीय अराजकता फैलाई। पर्यटन उद्योग पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा और सैलानियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई।

११ नवम्बर २०१६ की खबरों के अनुसार एक तरफ लोग ५०० और १००० रुपये के नोट बंद होने से परेशान थे, दूसरी ओर किराने की दुकानों पर सामान की बढ़ती कीमतों को लेकर दुःखी थे। खबर आई कि नमक दो सौ रुपये किलो में बिका। कई स्थानों पर बैंकों में भी नकदी ख़त्म हो जाने के कारण घंटों लाइन में खड़े लोगों को अचानक लौटना पड़ा। ऐसे में लोग मायूस दिखे। कई स्थानों पर लोगों ने नाराजगी जताते हुए मोदी सरकार के निर्णय के विरोध में नारेबाजी की। लोग यह कहते दिखाई दिए कि धनवान व्यक्ति कतार में कहीं नजर नहीं आ रहा है और गरीबों को लाइन में खड़ा कर काम-धंधे से वंचित किया जा रहा है। ११ नवम्बर २०१६ को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लोगों को थोड़े दिनों की असुविधा को बर्दाश्त करना होगा क्योंकि बंद हुए नोटों की जगह नए नोट आना एक बहुत ज्यादा बड़ा काम है और इतना बड़ा काम रातों-रात नहीं हो सकता। वित्त मंत्री की इस स्वीकारोक्ति ने यह सिद्ध कर दिया कि सरकार ने विमुद्रीकरण की कोइ ठोस पूर्व प्लानिंग नहीं की और अब वे जहां आग लगी थी, उसे बुझाने की सोच रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व जज मार्कण्डेय काटजू ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें ५०० और १००० रुपये के विमुद्रीकरण के आदेश को अविवेकपूर्ण, मूर्खतापूर्ण, सनकी तथा लापरवाहपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री से उसे तुरत वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने कहा, "मुझे आपके कर्मों से मोहम्मद बिन तुगलक की याद आती है। लोगों को टैक्सियाँ नहीं मिल रही हैं, दुकानदार परेशान हैं तथा जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति है।"

१४ नवम्बर २०१६ को प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा रुंधे गले से बोलते हुए अपने भाषण में लगभग रो दिए। क्यों रोए मोदी? जनपीडा के कारण, देश द्वारा उनके तथाकथित चमात्कारिक साहसी कदम की सराहना न करने के कारण, और अपने महत्वाकांक्षी निर्णय को 'फ्लॉप' होता देखने के कारण। एक राजनेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी गोवा में रोए क्योंकि वे जानते थे कि उनका रुँधा गला और आँखों में छलकते आंसू तो सिर्फ टीवी कैमरा के लिए हैं। मोदी ने एक बार फिर २२ नवम्बर २०१६ को अपने आंसू छलकाए, जब वे भाजपा संसदीय दल की मीटिंग में बोल रहे थे।

गृहणियाँ नोटबंदी से अशक्त और असहाय हो गयी थीं। अधिकतर मध्यम और कमजोर वर्ग की गृहणियाँ अपनी कमाई या घर के कामकाज से बचाई राशि को किसी विपदा के लिए छुपाकर गोपनीय रखती थीं, पर उन्हें अब इस गोपनीय राशि को घर के पुरुषों के सामने उजागर करना पड़ा, जिससे उनकी आर्थिक शक्ति कम हो गयी। इस गोपनीय पैसे के बल पर महिलाएं स्वयं को निश्चिंत और सशक्त महसूस किया करती थीं, किन्तु अब परिवार में पुरुषों के सामने न केवल उनकी बचत का राज खुल गया, बल्कि उनके ऊपर झूंठ बोलने के आरोप भी लगे। इससे कई जगह पारिवारिक क्लेश और झगड़े भी पैदा हुए।

१६ नवम्बर २०१६ को विमुद्रीकरण के मुद्दे पर राज्यसभा में सरकार पर विपक्ष जमकर बरसा। राजयसभा सांसद और वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि "यह बड़े चोरों को बचाने का कवर अप ऑपरेशन है, इसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है, बड़े चोर तो निकल भागे, छोटे चोरों को पकड़ने के लिए नूरा कुश्ती हो रही है।"

नोटबंदी ने कृषि क्षेत्र के बारह बजा दिए। नकदी के संकट का नकारात्मक प्रभाव काफी अधिक महसूस किया गया। उस समय तैयार खरीब फसल के दाम बहुत ज्यादा गिर गए और किसानों को कम दामों में अपनी फसल बेचैनी पडी, जिससे उनकी वित्तीय दशा खराब हो गयी। गाँवों और खेतों में खराब होने वाली चीजों के अम्बार लग गए, एकत्रित फल-सब्जियां सड़ने लगीं और किसानों के पास रबी की बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदनेके लिए पैसे नहीं थे।

यदि हम इस प्रश्न का उत्तर खोजें कि मोदी सरकार ने ८ नवम्बर २०१६ को विमुद्रीकरण की घोषणा क्यों की, तो निम्न बातें सामने आयी कि सरकार का मानना था कि (१) विमुद्रीकरण से काले धन का वर्चस्व समाप्त होगा, (२) देश में काफी मात्रा में जाली मुद्रा चलन में थी और विमुद्रीकरण से जाली मुद्रा के चलन में रोक लगेगी, (३) विमुद्रीकरण से आतंकवाद पर काबू पाने में मदद मिलेगी। पर जिस तरह से मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण किया, उसके क्रियान्वयन में अनेक खामियाँ देखने को मिली, विमुद्रीकरण से पहले सरकार ने पर्याप्त प्लानिंग नहीं की थी। एक तरफ सरकार ने ५०० और १००० रुपये के बड़े नोट बंद किए, पर साथ ही सरकार ने बाजार में चलन के लिए ५०० और २००० रुपये के नए नोट जारी कर दिए, कीमतें बढ़ने लगीं, रोजगार घाटे, लोग परेशान हुए, बैंकों के बाहर लाइनों में खड़े करीब सौ से अधिक लोगों की मौत हो गयी, बैंकों में नगदी का टोटा दिखा और लोगों का सरकार के प्रति आक्रोश दिखा। इसके साथ ही नोटबंदी के कारण चार दिन में २५ टन सोना बिका, मोबाईल और ऑनलाइन शॉपिंग की बिक्री बड़ी, छोटी दुकानों पर ७० प्रतिशत बिक्री घटी, रियल एस्टेट में २० प्रतिशत कारोबार कम हुआ, पैट्रोल-डीजल की ५ प्रतिशत मांग बड़ी तथा ईमेल और नॉन-बैंकिंग ऑनलाइन पेमेंट ५० प्रतिशत तक बढ़ गया। २४ नवम्बर २०१६ को प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ की बहुप्रचारित रैली में भाग लेने वाले थे, लेकिन कहा जाता है कि नोटबंदी के कारण उत्पन्न जन आक्रोश के चलते इस रैली को रद्द कर दिया गया।

प्रसिद्द अमरीकी अर्थशास्त्री लारेंस समर्स ने अपने ब्लॉग में लिखा - "नोटबंदी के कारण जो अव्यवस्था की स्थिति पैदा हुई है तथा जिसके परिणामस्वरूप सरकार अपना विश्वास खो रही है, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि जिस उद्देश्य से यह नोटबंदी का निर्णय लिया गया था, वह काफी पीछे छूट गया।"

नवम्बर-दिसंबर २०१६ में नोटबंदी को लेकर रोज आनन-फानन में नियमो में जो संशोधन/बदलाव हो रहे थे, उससे सरकार और रिजर्व बैंक की बदइंतजामी सामने आई और यह स्पष्ट होने लगा कि सरकार और रिजर्व बैंक भी पूरी तरह तैयार नहीं थे। २४ नवम्बर २०१६ को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा - "विमुद्रीकरण का उनका तरीका आम आदमी के पैसे की सुनियोजित लूट और कानूनी नोंच-खसोट है और इसके क्रियान्वयन में हुई भारी बदइंतजामी के कारण सामान्य नागरिकों को महान कष्ट और पीड़ा झेलनी पडी।"

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने २८ नवम्बर २०१६ को लोकसभा में इनकम टैक्स अमेंडमेंट बिल २०१६ पेश किया, जिसमे एक और स्वैच्छिक डिस्क्लोज़र स्कीम की तरह काला धन को सफ़ेद करने की शर्तें परिभाषित की गईं थीं, जिससे यह प्रश्न उठा कि जब यह बिल लाना ही था तो फिर ५०० और १००० रुपये के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण की क्या आवश्यकता थी।

भारतीय राजनीति में काला धन २००९ से ही मुद्दा बनाना शुरू हो गया था और २०१४ के आम चुनावों में इस मुद्दे का सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला, जिसकी वजह से केंद्र में मोदी सरकार बनी। २०१६ के अंत में मोदी सरकार ने नोटबंदी का धमाका किया और जनता के बीच यह सन्देश देने की कोशिश की गयी कि मोदी सरकार काला धन समाप्त करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने के लिए तत्पर है। ८ नवम्बर २०१६ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, पर उसके कुछ दिन बाद ही सरकार को इसके फेल होने का अंदेशा हो चुका था। हाल ही में भारतीय हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि २०१६ में बंद किए गए ५०० और १००० के ९९.३ प्रतिशत नोट वापस किए गए। वैसे ९९ प्रतिशत पुराने नोट आने की बात रिजर्व बैंक की पिछले साल की रिपोर्ट में सामने आ गयी थी। यह भी पता चला है कि अभी तक जो पुराने नोट वापस नहीं आए हैं, उनमें से काफी मात्रा में भूटान, नेपाल और अन्य देशों में होने की आशंका है। कुछ नोट ऐसे लोगों के पास रह गए, जो किसी कारण से तय सीमा में उसे लौटा नहीं पाए। नोटबंदी के बाद जब ९९.३ प्रतिशत नोट वापस आ गए तो इसका सीधा अर्थ हुआ कि काले धन का एक फीसदी भी कम नहीं हो सका। यह अनुमान गलत साबित हुआ कि नोटबंदी के बाद काला धन के रूप में लगभग तीन-चार लाख करोड़ रुपये सिस्टम में नहीं लौटेंगे। नोटबंदी से नकली नोट पर अंकुश लगाने का दावा भी पूरा नहीं हुआ। ९९.३ प्रतिशत नोट वापस आने का अर्थ यह है कि जो काला धन था, वह भी नए नोट में बदल गया। यह जानकारी अब सामने आई है कि नवम्बर २०१६ के मुकाबले प्रचलन में इस समय ज्यादा करेंसी हो चुकी है। नोटबंदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा धक्का दिया, जिससे असंगठित क्षेत्र की कमर टूटने से कामगारों, छोटे कारोबारियों, किसानों की स्थिति और खराब हो गयी। कुल मिलाकर नोटबंदी ने देश में आर्थिक और सामजिक अस्थिरता बढ़ाने का काम किया और यह बताए गए अपने उद्देश्य से भटक गयी।

*साभार लेख और समाचार* - राष्ट्रदूत, दैनिक नवज्योति, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, आउटलुक सहित बहुत से अखबार और पत्रिकाएं.

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

विश्व ब्रेल दिवस


*विश्व ब्रेल दिवस*

लुई ब्रेल के जन्मदिन की स्मृति में हर साल चार जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। लुई ब्रेल का जन्म 04 जनवरी 1809 तथा निधन 06 जनवरी 1852 को हुआ था। लुई ब्रेल को ब्रेल भाषा की खोज के लिए श्रेय दिया जाता है। ब्रेल भाषा नेत्रहीन लोगों को पढ़ने और लिखने में मदद करता है।

लुई ब्रेल फ्रांस में पैदा हुए थे। तीन साल की आयु में वे गलती से अंधे हो गए थे. नेत्रों की रोशनी चले जाने के बावजूद उन्हें पढ़ने और लिखने में सक्षम होने की एक इच्छा थी। 15 साल की उम्र में उसने कागज के एक टुकड़े पर उठाए गए बिंदु बनाकर प्रतीकों का एक सेट विकसित किया, जिन्हें डॉट्स के रूप में आसानी से हाथ से महसूस किया जा सकता है। इस तरह डॉट्स पर हाथ के स्पर्श से ब्रेल भाषा विकसित हुई, जिससे नेत्रहीन लोगों का पढ़ना और लिखना संभव हो सका।



लुई ब्रेल द्वारा विकसित भाषा को आज ब्रेल भाषा के रूप में जाना जाता है। लुई का काम केवल वर्ण-माला (अक्षरों) तक सीमित नहीं था, वे संगीत के प्रति भी भावुक थे और अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में उन्होंने संगीत के लिए ब्रेल भाषा भी विकसित की। संगीत के लिए भाषा विकसित करते समय, उन्होंने एक लचीलापन बनाए रखने के लिए एक बिंदु बनाया जिससे कि दुनिया भर में लगभग किसी भी संगीत वाद्ययंत्र को अनुकूलित किया जा सके।

लुई ब्रेल के प्रयासों को मान्यता देने के लिए हर साल विश्व ब्रेल दिवस चार जनवरी को मनाया जाता है। उनकी सरल और प्रभावी खोज ने नेत्रहीन लोगों को पढ़ना और लिखना संभव बनाया। विश्व ब्रेल दिवस के बारे में लोगों को अपेक्षाकृत कम जानकारी है, हालांकि नेत्रहीन लोगों के लिए काम करने वाले व्यक्तियों के लिए यह महान महत्व का दिन है। लुई ब्रेल जन्मद्विशती के अवसर पर भारत सरकार ने 2009 में पांच रुपये का डाक टिकट भी जारी किया था।

लुई ब्रेल को शत-शत नमन !

- केशव राम सिंघल

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बुधवार, 3 जनवरी 2018

समाज सुधारिका सावित्री बाई फुले


*समाज सुधारिका सावित्री बाई फुले*

सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्री बाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्य किए। वे भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी। वे पहले किसान विद्यालय की संस्थापक भी थीं।



सावित्रीबाई ने अपने पूरे जीवनकाल में हर जाति और धर्म के लिये काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी और कीचड़ फैंका करते थे, लेकिन वे कभी भी अपने उद्देश्य से डगमगाई नहीं।

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया था।

प्रतिवर्ष तीन जनवरी को सावित्री बाई फुले जयन्ती मनाई जाती है।

देश की पहली महिला शिक्षिका और जातिगत भेदभाव के विरुद्ध जागरूकता के लिए जनजागरण की प्रेरणास्रोत को सलाम !

- केशव राम सिंघल

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मंगलवार, 2 जनवरी 2018

#2018002 - हमारी विविधताएं ...


#2018002

*हमारी विविधताएं ...*

हमारी विविधताएं रंग भर देती हैं,
ये खुशियां ही हमें संग कर देती हैं,
आओ पहचानों इन विविध रंगों को,
यही तो जीवन में उमंग भर देती हैं !

- केशव राम सिंघल
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सोमवार, 1 जनवरी 2018

# 2018001 - नववर्ष शुभकामनाएं !


# 2018001

*नववर्ष शुभकामनाएं !*

नया वर्ष आया,
भरपूर उमंगें लाया !
नया वर्ष आया,
खुशियों की बहार लाया !



दिल में जागा उत्साह,
आगे बढ़ने की चाह !
नया वर्ष आया,
खुशियों की बहार लाया !

नववर्ष की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !

- केशव राम सिंघल
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