बुधवार, 18 अगस्त 2021

विमर्श - अफगानिस्तान में फिर से तालिबान - # २

 अफगानिस्तान में फिर से तालिबान - #

'''''''''''

विमर्श

'''''''''''

पहली बार ऐसा हुआ कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ पूरी दुनिया ने अफगानिस्तान की बरबादी का तमाशा देखा। ऐसा लगता है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) अपने दायित्व से भटक गया है।

-----

अफगान सरकार का पतन केवल अमरीका की सैन्य विफलता का सूचक है, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा करने में भी अमरीकी प्रयास काम नहीं आए।

- जोएल साइमन, कार्यकारी निदेशक, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स, वाशिंगटन पोस्ट

-------

एक अनुमान के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभुत्व से पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को नई ताकत मिल सकती है, क्योंकि वह उनमें अपना 'दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक' खोजते रहे हैं। लश्कर और जैश--मोहम्मद जैसे संगठनों को आर्थिक मदद बढ़ सकती है। ऐसा अनुमान है कि इनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकता है।

-----

पिचहत्तर हजार तालिबानी लड़ाकों के समक्ष साढ़े तीन लाख की अफगान सेना का जंग में मैदान छोड़ना हैरानी में डालता है।

------

अमेरिका ने अफगानिस्तान में हुई घटनाओं के लिए अफगानिस्तान सरकार की कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति को जिम्मेदार ठहराया है। अमरीका के अनुसार पिछले बीस साल में अफगान सरकार ने ग्रामीण इलाकों से तालिबानी प्रभाव कम करने के कोइ प्रयास नहीं किए।

-----

अमरीकी कांग्रेस को सौपी गयी एक रिपोर्ट के अनुसार अफगान फ़ौज और अफगान पुलिस का मैदान छोड़कर भागने का इतिहास है।

-----

अफगानिस्तान में व्यापक भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े जमा रखी हैं।

-----

अफगान एयरफोर्स अपने २११ विमानों की सुरक्षा करने में ही सक्षम नहीं है।

-----

अफगानिस्तान के ग्रामीण और कबिलाई इलाकों में सरकार की छवि अक्षम और भ्रष्ट सरकार की होने की वजह से अफगान सरकार ने ग्रामीण इलाकों और कबिलाई इलाकों में समर्थन खो दिया था। तालिबान को इन इलाकों से समर्थन मिला।

-----

पाकिस्तान की नोबेल पुरूस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने अफगानिस्तान के हालात पर चिंता जताते हुए ट्वीट किया, मैं स्तब्ध हूँ, परेशान हूँ। मुझे महिलाओं, अल्पसंख्यकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की बहुत ज्यादा चिंता है। मेरी दुनिया से अपील है कि अफगानिस्तान में युद्ध रोका जाए। लोगों और शरणार्थियों को सुरक्षित निकाला जाए। (१६ अगस्त २०२१)

-----

वाशिंगटन में १६ अगस्त २०२१ को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान एक पूर्व अफगान पत्रकार हमदर्फ ग़फ़ूरी ने कहा - हम बीस साल पीछे हो गए हैं। तालिबान के नेता पाकिस्तान का साथ देकर पूरे मध्य एशिया में आतंक मचाएंगे। (१६ अगस्त २०२१)

-----

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार १६ अगस्त २०२१ को एक ट्वीट कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभुत्व भारत के लिए अशुभ संकेत है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हमारे देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। यह भारत के खिलाफ चीन-पाक गठजोड़ को मजबूत करेगा। संकेत बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं, हमें अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है।' (१६ अगस्त २०२१)

-----

जुलाई २०२१ से ही अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद से, तालिबान ने तेजी से देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। जैसे ही देश के राष्ट्रपति खुद अफगानिस्तान से भाग गए और वहाँ सरकार गिर गई। अफगान बलों ने भी सरेंडर करते ही अफगानिस्तान में इस वक्त अफरा- तफरी का माहौल बन गया। वहाँ के स्थानीय लोग देश भागने के लिए एयरपोर्ट पर इकट्ठे हो गए। तालिबान लड़ाकों की बढ़ती ताकत के बाद अफगान महिलाओं के भीतर भी डर और अधिक बढ़ गया है। अफगानिस्तान में महिलाओं के अंदर के इस खौफ को देखते हुए अफगान महिला नेटवर्क की संस्थापक महबूबा सिराज ने चिंता जताते हुए कहा कि अफगान की यह दयनीय हालत देख लगता है कि यह मुल्क 200 साल पीछे चला जाएगा। इसके साथ ही महबूबा सिराज कहती हैं कि मैं निराश नहीं हूँ कि अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से जा रहे थे, उनके जाने का समय रहा था। वे अमेरिका और नाटो बल के लिए आगे कहती हैं कि हम चिल्ला रहे हैं और कह रहे हैं कि खुदा के वास्ते कम से कम तालिबान के साथ कुछ करो, उनसे किसी तरह का आश्वासन लो, एक ऐसा तंत्र बने जो महिलाओं के अधिकारों की गारंटी दे। महबूबा सेराज ने यह भी कहा कि दुनिया के नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अफगानिस्तान के साथ क्या किया, उन्हें क्या करने की जरूरत है, उन्होंने उस देश के साथ क्या किया। उन्होंने आगे कहा कि किसी ने भी हमारी स्थिति पर ध्यान नहीं दिया और उन्होंने सिर्फ एक निर्णय लिया। महबूबा सिराज ने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि अफगानिस्तान के साथ जो हो रहा है, वह (तालिबान) इस देश को 200 साल पीछे कर देगा, और एक पलायन होगा जिसके लिए विश्व के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। (१७ अगस्त २०२१)

-----

एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान लड़ाके घर-घर जाकर अपने लड़ाकों की शादी के लिए १५ से ४५ साल की अविवाहित महिलाओं की लिस्ट लेकर जा रहे हैं क्योंकि वे अविवाहित महिलाओं को 'कहानीमत' या 'युद्ध की लूट' मानते हैं, जिसे विजेताओं के बीच बाँटने की परम्परा है। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है कि कब्जे वाले इलाके के सभी इमाम और मुल्ला तालिबान को तालिबान लड़ाकों से शादी करने के लिए १५ साल से ऊपर की लड़कियों और ४५ साल से कम उम्र की विधवाओं की लिस्ट मुहैया कराएं। अफगानिस्तान के स्थानीय निवासियों ने कहा कि नए विजय प्राप्त क्षेत्र में, तालिबान ने महिलाओं की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने आदेश दिया है कि महिलाएं बिना पुरुष के घर से बाहर नहीं जा सकती हैं। (१७ अगस्त २०२१)

-----

काबुल से दिल्ली पहुँची एक अफगान सांसद ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि दुनिया ने अफगानिस्तान को अकेले छोड़ दिया है। उसने आगे कहा कि उसके सभी दोस्त मारे जाने वाले हैं, तालिबान सभी को मार डालेगा। उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान की महिलाओं को अब कोई अधिकार नहीं होगा। (१७ अगस्त २०२१)

-----

पश्तो भाषा में 'तालिबान' का शाब्दिक अर्थ

तालिबान = छात्र (Student), शिक्षार्थी (Scholar)

शाब्दिक अर्थ से परे तालिबान वे लोग हैं या उन लोगों का समूह है, जिनका धार्मिक कट्टरपंथ इतना प्रबल है कि उनको लगता है कि लोगों के जीवन जीने का ढंग, रहन-सहन और धार्मिक आस्थाएँ केवल उसी मानक (standard) के अनुसार होनी चाहिए, जो उनकी आस्थाओं के अनुरूप हैं। वे इस्लामिक विचारधारा में कट्टरपंथ के प्रबल समर्थक हैं। उनकी विचारधारा उन्हें कट्टरपंथी और चरमपंथी बनाती है। वे हिंसात्मक तरीके अपनाते हैं और उनकी हत्या करना अपना धर्म (कर्तव्य) समझते हैं, जो उनकी बात नहीं मानते। उनका एकमात्र लक्ष्य है अपना प्रभुत्व ज़माना, जिसके लिए सत्ता हासिल करना चाहते हैं।

-----

चीन का अफगानिस्तान को लेकर क्या रुख हो सकता है, यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से लौटने के बाद वहाँ कुछ समय के लिए शून्य निर्मित होगा और यह उसके लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है। चीन इस स्थिति का लाभ लेने का प्रयास करेगा क्योंकि वह नहीं चाहेगा कि कोई अन्य देश वहाँ अपना आधार स्थापित करे। चीन के लिए  अमेरिका के मुकाबले अफगानिस्तान को निर्देशित करना और वहाँ संचालन करना आसान होगा। चीन के शिंगझिनयांग प्रान्त की लगभग ८० मील की सीमा अफगानिस्तान के साथ साझा होती है। इसलिए चीन यह चाहेगा कि चीन में वीगर आंदोलन को हवा देने, आतंकवादी गतिविधियों और षड्यंत्र से रोका जाए क्योंकि उनका मानना है कि शिंगझिनयांग का मुस्लिम आखिरकार चीन में तालिबान का नैसर्गिक समर्थन आधार था।  (१९ अगस्त २०२१)

 

 

 

- केशव राम सिंघल

 

#अफगानिस्तान_में_फिर_से_तालिबान

 

साभार स्रोत -

 

- दैनिक राष्ट्रदूत

- आउटलुक पत्रिका

- राजस्थान पत्रिका

- दैनिक नवज्योति

- दैनिक भास्कर

- पंजाब केसरी

- अन्य पत्र-पत्रिकाएं, इंटरनेट और टीवी समाचार

घटनाक्रम और खबरें - अफगानिस्तान में फिर से तालिबान - # १

 अफगानिस्तान में फिर से तालिबान - #

'''''''''''''

घटनाक्रम और खबरें  

''''''''''''''

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा रविवार १५ अगस्त २०२१ को उस समय पूरा हो गया, जब तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कब्जा कर लिया। (१५ अगस्त २०२१)

------

काबुल में कब्जे के बाद खून खराबे से बचने के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। समाचार एजेंसियों ने अनुमान लगाया कि राष्ट्रपति अशरफ गनी तजाकिस्तान चले गए हैं। (१५ अगस्त २०२१)

------

खून खराबे से बचने के लिए काबुल में सेना के कमांडर ने तालिबान लड़ाकों के समक्ष समर्पण पात्र पर हस्ताक्षर कर दिए। (१५ अगस्त २०२१)

------

जलालाबाद में गवर्नर ने तालिबान के समक्ष सरेंडर किया। (१५ अगस्त २०२१)

------

मजारे--शरीफ शहर को हथियाने और जलालाबाद पर नियंत्रण करते हुए तालिबानियों ने काबुल का पूर्वी संपर्क काट दिया और तेजी के साथ वे काबुल की और बढ़े। काबुल के स्थानीय लोगों ने कहा कि तालिबानी लड़ाके काबुल में घुस गए हैं। (१५ अगस्त २०२१)

------

बगराम एयरबेस पर तालिबान का कब्जा हुआ। (१५ अगस्त २०२१)

------

सत्ता हस्तांतरण के लिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर दोहा (क़तर) से काबुल (अफगानिस्तान) पहुँच गए। अफगानिस्तान के पूर्व आतंरिक मंत्री अली अहमद जलाली नई अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगे। नई सरकार का शपथ ग्रहण एक-दो दिन में हो सकने की संभावना है। आठ सप्ताह से भी काम समय में तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में अपना दबदबा बना लिया। अफगानिस्तान के लगभग ९० प्रतिशत से ज्यादा हस्से पर तालिबान का कब्जा हो गया।  (१५ अगस्त २०२१)

-----

ऐसी खबरे आयी कि कंधार में तालिबानी लड़ाके गश्त लगाते घूम रहे थे और जश्न मना रहे थे। (१५ अगस्त २०२१)

------

अमेरिकी दूतावास के ऊपर धुंआ उठता हुआ देखा गया। काबुल की सीमाओं पर रविवार १५ अगस्त २०२१ को तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने काबुल स्थित दूतावास से अपने राजनयिकों को चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित निकाल लिया। (१५ अगस्त २०२१)

------

तालिबान ने एक बयान जारी कर कहा कि उनके लड़ाके राजधानी काबुल की घेराबंदी कर सीमाओं पर खड़े हैं।

------

भारत सरकार ने रविवार १५ अगस्त २०२१ को डर और दहशत से घिरे काबुल से अपने सैकड़ों अधिकारियों और नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालने के लिए आपात योजना बनाई। यह निर्णय लिया गया कि भारतीय दूतावास में अपने कर्मचारियों और भारतीय नागरिकों के जीवन को किसी भी जोखम में नहीं डालेगी। भारत सरकार अफगानिस्तान में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर बहुत करीब से नजर रखे हुए है। (१५ अगस्त २०२१)

-----

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तालिबान के काबुल प्रवेश करने से पहले अपनी सफाई देते हुए कहा - आखिर, कब तक रुकती हमारी सेना।

 एक हो या पांच और साल …… अमरीकी सैन्य उपस्थिति से अफगानिस्तान में कोइ फर्क नहीं पड़ता अगर अफगान सेना अपने देश को नहीं संभाल सकती। दूसरे देश के नागरिक संघर्ष के बीच में हमारी एक अंतहीन मौजूदगी मुझे स्वीकार्य नहीं थी। (१५ अगस्त २०२१)

------

तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने कब्जे में ले ली है। राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। तालिबान ने अफगानिस्तान में युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी है। (१६ अगस्त २०२१)

------

तालिबान ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त हो गया है क्योंकि उसके लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए और राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को देश छोड़कर भाग गए। दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने अल जजीरा को बताया कि समूह अलग-थलग नहीं रहना चाहता और कहा कि अफगानिस्तान में नई सरकार के प्रकार और रूप को जल्द ही स्पष्ट कर दिया जाएगा। (१६ अगस्त २०२१)

-----

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार १६ अगस्त २०२१ को तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने का स्वागत किया। उन्होंने तालिबान की वापसी को 'दासती की जंजीरों को तोड़ने वाला' बताया है। महिलाओं, युवाओं और आधुनिकतावादी विचारों को मानने वाले लोगों के लिए खतरनाक तालिबान का चीन और ईरान ने भी स्वागत किया है। (१६ अगस्त २०२१)

------

एक तरफ चीन ने उम्मीद जताई है कि तालिबान का शासन स्थायी होगा। (१६ अगस्त २०२१)

------

ईरान का कहना है कि अमेरिका की हार से स्थायी शांति की उम्मीद जगी है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक १६ अगस्त २०२१ को हुई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपील की है कि अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि अफगानिस्तान को दोबारा कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह या मंच के तौर पर इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने हिंसा पर पूरी तरह से रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि मैं सभी पक्षों को अफगानिस्तान के नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूँ। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यह भी कहा कि मैं सभी दलों से, खासकर तालिबान से, अनुरोध करता हूँ कि लोगों की जान बचाने की हरसंभव कोशिश करें और सुनिश्चित करें कि मानवीय जरूरतें पूरी हों। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के चलते सैकड़ों-हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में देशभर के प्रांतों में आतंरिक रूप से विस्थापित लोग बड़ी संख्या में आए हैं।  ये लोग वहां असुरक्षित महसूस कर रहे थे और लड़ाई के दौरान भाग गए थे। (१६ अगस्त २०२१)

-----

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सोमवार १६ अगस्त २०२१ को कहा कि अफगानिस्तान में अराजक हालात बने हुए हैं। अफगान लोगों में भय व्याप्त है। भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, हम वहॉं के घटनाक्रम को लेकर काफी चिंतित हैं। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अफगान राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से अपील की कि तालिबान सरकार को मान्यता न दें। (१६ अगस्त २०२१)

-----

काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़कर जाने की भगदड़ में लोग विमानों के दरवाजे पर लटक गए। इस दौरान एयरपोर्ट पर लाशें भी मिलीं। काबुल एयरपोर्ट पर पांच लोगों की मौत हुई। (१६ अगस्त २०२१)

-----

काबुल में रूस के दूतावास ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। रूस की आरआईए न्यूज एजेंसी ने १६ अगस्त २०२१ को अपने दूतावास के हवाले से बताया कि गनी अफगानिस्तान से भागते समय अपने साथ चार कारण और हेलीकॉप्टर में नकदी (Cash) भरकर ले गए हैं। नकदी इतनी ज्यादा थी कि वो जब हेलीकॉप्टर में नहीं आई तो उसे हेलीपेड पर ही छोड़ दिया गया। इससे पहले तालिबान ने भी दावा किया कि उसे काबुल एयरपोर्ट पर काफी नकदी मिली है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत से घबराए लोग किसी भी तरह अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं। अफगानिस्तान छोड़ने के लिए लोग एयरपोर्ट पर जमा हो गए। अमेरिकी वायुसेना का सैन्य विमान जैसे ही उड़ने के लिए आगे बढ़ा, लोगों की भीड़ रनवे पर विमान के साथ चल रही थी। विमान के उड़ान भरने से पहले कुछ लोग टायरों के ऊपर बनी जगह पर सवार हो गए। विमान जब ऊँचाई पर पहुँच गया तो लोगों ने संतुलन खो दिया। तीन लोगों की आसमान से गिराने से मौत हो गयी। बाद में उनके शव मकानों की छत पर मिले। अफगानिस्तान में हालात काफी बिगड़ चुके हैं। कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सहित ६४ देशों ने तालिबान से गुहार लगाई है कि जो नागरिक अफगानिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, उन्हें देश छोड़कर जाने दिया जाए। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अमेरिका ने देर रात काबुल में एक हजार सैनिक तैनात करने की घोषणा की है। अफगानिस्तान से नागरिकों को निकालने में ये सुरक्षा देंगे। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी बिलिकेन ने कहा कि यदि तालिबान महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करे और आतंकवाद को बढ़ावा दे तो अमरीका तालिबान के साथ काम करने को तैयार है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

तालिबान के प्रवक्ता शाहीन सुहैल ने कहा - हम हिन्दुओं और सिखों को सुरक्षा देंगे। उम्मीद है कि भारत अपना रुख बदलेगा। (१६ अगस्त २०२१)

-----

३२० सिखों ने काबुल गुरूद्वारे में शरण ली। (१६ अगस्त २०२१)

-----

राजधानी काबुल में ज्यादातर लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं। तालिबान लड़ाके प्रमुख चौराहों पर गश्त लगा रहे हैं। गाड़ियों की चैकिंग कर रहे हैं। (१६ अगस्त २०२१)

-----

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगती तोरखाम बॉर्डर को बंद कर दिया है। इसके बावजूद सैकड़ों शरणार्थी आश्रय के लिए डेरा जमाए हुए हैं। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अफगानिस्तान में कुछ स्थानों पर तालिबानी लड़ाकों द्वारा लूटपाट की घटनाऍं भी सामने आई। तालिबानी आम लोगों से हथियार भी जब्त कर रहे हैं। (१६ अगस्त २०२१)

-----

भारत सरकार अभी 'ठहरो और इंतज़ार करो' की नीति पर चल रही है। भारतीय दूतावास और अन्य दफ्तरों को खाली करा लिया गया है, लेकिन समझा जाता है कि भारत सरकार गुप-चुप तालिबान के साथ संवाद का प्रयास कर रही है। जब १९९६ में तालिबान ने कब्जा जमाया था, तब भारत सरकार ने तालिबान के साथ कोइ संवाद नहीं किया था। (१६ अगस्त २०२१)

-----

वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिसमें अफगान मूल के सैकड़ों लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जो बाइडन ने अफगान जनता को धोखा दिया है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

जर्मन सरकार ने तालिबान से संयम बरतने, अफगान लोगों की सुरक्षा करने और उन तक मानवीय सहायता पहुंचने देने का आग्रह किया है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता ने सोमवार १६ अगस्त २०२१ को कहा कि जर्मनीअफगान लोगों के भविष्य और पूरे देश के विकास के प्रति चिंतित है।स्टीफेन सीबर्ट ने कहा, “पश्चिमी समुदाय के देशों के सालों तक चले अभियान के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह घटनाएं अच्छी नहीं हैं।सरकार ने यह भी कहा कि वह दूतावास के सभी कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रही है जिन्हें काबुल से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

अफगानिस्तान के काबुल में हामिद करजई हवाईअड्डे पर देश पर तालिबान का कब्जा होते ही एक भयावह दृश्य देखने को मिला। बिजनेस इनसाइडर ने बताया कि सोमवार को एक वीडियो में भीड़ को हवाई अड्डे पर एक जेट ब्रिज पर चढ़ते हुए देखा जा सकता है, जो टरमैक पर खड़े एक विमान में चढ़ने के लिए अपना रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे और इस कोशिश में लोगों के बीच धक्का-मुक्की हो रही थी। वीडियो को सोमवार १६ अगस्त 2021 सुबह बीबीसी साउथ एशिया ब्यूरो चीफ निकोला करीम ने ट्विटर पर पोस्ट किया। करीम ने लिखा कि यह शायद अफगानिस्तान से देखी गई सबसे दुखद तस्वीरों में से एक है। ऐसे लोग जो हताश और परित्यक्त हैं। कोई सहायता एजेंसी नहीं, कोई संयुक्त राष्ट्र नहीं, कोई सरकार नहीं। कुछ भी नहीं। भीड़ जिस प्लेन पर जबरदस्ती चढ़ती दिख रही है वह काम एयर जेट है। काम एयर एक निजी अफगान एयरलाइन है, जो घरेलू और साथ ही मध्य पूर्व और एशिया में कहीं और गंतव्यों के लिए उड़ान भरती है। (१६ अगस्त २०२१)

-----

ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वैलेस ने कहा कि सरकार अगले दो दिनों में अफगानिस्तान से १५०० और लोगों को बाहर निकालने की योजना बना रही है। उन्होंने सोमवार १६ अगस्त २०२१ को कहा कि ब्रिटिश नागरिकों को लेकर पहला विमान ब्रिटेन पहुँच चुका है। विभिन्न देश अपने राजनयिकों, अफगान कर्मचारियों और उनके परिवारों को काबुल से बाहर निकालने के लिए प्रयासरत हैं। वैलेस ने उम्मीद जताई कि सरकार एक दिन में करीब १००० लोगों को बाहर निकाल सकेगी जिसमें ब्रिटिश नागरिकों का सहयोग करने वाले अफगानी नागरिक भी शामिल हैं।  (१६ अगस्त २०२१)

-----

१६ अगस्त २०२१ को काबुल हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोग अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाहते थे और किसी भी तरह विमान में चढ़ाने के लिए लोग बेताब थे। काबुल हवाई अड्डे पर अराजकता और भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि हजारों अफगान देश छोड़कर जाना चाहने के इच्छुक थे। १६ अगस्त २०२१ को काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिकी सैनिक प्रभारी थे और वे कथित तौर पर सैन्य उड़ानों में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को अफगानिस्तान से निकालने में प्राथिमकता दे रहे थे। काबुल हवाई अड्डे पर भीड़ काफी अधिक थी और वहां फायरिंग भी हुई। एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, 'भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई है. फायरिंग केवल अराजकता को शांत करने के लिए की गई थी।' (१६ अगस्त २०२१)

-----

तालिबान नेताओं ने ट्विटर (twitter) का सहारा लिया है, वे अंतरराष्ट्रीय केबल नेटवर्क पर दिखाई दिए और आश्वासन देने के लिए उन्होंने एक समाचार सम्मेलन (news conference) आयोजित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अफगानिस्तान में अपने अधिग्रहण के बाद प्रतिशोध में हत्या नहीं करेंगे या संपत्ति जब्त नहीं करेंगे। अपने पहले समाचार सम्मेलन में, एक प्रवक्ता ने कहा कि वे महिलाओं को काम करने और अध्ययन करने की अनुमति देंगे - लेकिन "इस्लामी कानून की सीमा के भीतर।" फिर भी, तालिबान का रिकॉर्ड एक हिंसक और दमनकारी भविष्य की चिंताओं को जन्म देता है। काबुल में अफ़ग़ान महिलाएँ अपने घरों में बंद रहीं, वे अपने जीवन और अपने भविष्य के लिए डरी हुई हैं। जब १९९६ से २००१ तक तालिबान सत्ता में थे, तो उन्होंने महिलाओं और लड़कियों को अधिकतर नौकरी करने या स्कूल जाने से रोक दिया था। (१७ अगस्त २०२१)

-----

अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात की समीक्षा के लिए मंगलवार १७ अगस्त २०२१ को नई दिल्ली में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आने वाले हर अल्पसंख्यक की मदद की जाएगी। बैठक में इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे। इसके अलावा विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला और अफगानिस्तान में भारत के राजदूत आर टंडन सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में सभी संबंधित अधिकारियों को आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत को केवल अपने नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि हमें उन सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भी शरण देनी चाहिए जो भारत आना चाहते हैं, और हमें हरसंभव मदद भी प्रदान करनी चाहिए। मदद के लिए भारत की ओर देख रहे हमारे अफगान भाइयों और बहनों की मदद की जाए। (१७ अगस्त २०२१)

-----

भारत की तरफ से फिलहाल अफगानिस्तान में सरकार गठन की प्रक्रिया पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा तालिबान के रुख को भी देखा जा रहा है। प्रदानमंत्री मोदी करीब से अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं और भारतीयों के निकाले जाने की जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी भारतीयों को जल्द से जल्द सुरक्षित अफगानिस्तान से बाहर निकालें।  इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार १७ अगस्त 2021 को विदेश मंत्रालय की ओर से 24 घंटे चलने वाले विशेष अफगानिस्तान सेल के नंबर भी जारी किए। (१७ अगस्त २०२१)

------

भारत ने अफगान नागरिकों के लिए इमरजेंसी -वीजा की घोषणा की है। किसी भी धर्म को मानने वाले अफगान नागरिकों के लिए -वीजा की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध होगी। यह वीजा छह महीनों के लिए वैध होगा। (१७ अगस्त २०२१)

-----

काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार १७ अगस्त २०२१ को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा। (१७ अगस्त २०२१)

-----

अमेरिकी वायुसेना ने  बताया - काबुल से निकले विमान के लैंडिंग गियर व्हील वेल में शरीर के टुकड़े मिले। वे इसकी जाँच करेंगे। (१७ अगस्त २०२१)

-----

मंगलवार १७ अगस्त २०२१ को काबुल एयरपोर्ट पर अमरीकी सेना ने व्यवस्थाओं को काफी हद तक काबू कर लिया है। एयरपोर्ट पर आवाजाही रही, लेकिन आपाधापी नहीं दिखी। (१७ अगस्त २०२१)

-----

 

- केशव राम सिंघल

 

#अफगानिस्तान_में_फिर_से_तालिबान

 

साभार स्रोत -

 

- दैनिक राष्ट्रदूत

- आउटलुक पत्रिका

- राजस्थान पत्रिका

- दैनिक नवज्योति

- दैनिक भास्कर

- पंजाब केसरी

- अन्य पत्र-पत्रिकाएं, इंटरनेट और टीवी समाचार