बुधवार, 21 नवंबर 2018

नकली समाचार कैसे पहचानें? How to spot Fake News?


*नकली समाचार कैसे पहचानें?*
*How to spot Fake News?*


नकली समाचार का अर्थ है झूँठी खबर या अप्रमाणित तथ्य जिसे जान बूझकर सच बनाकर फैलाया जा रहा हो। अक्सर इसे पाठकों को धोखा देने के लिए, भ्रमित करने, घबराहट फैलाने के लिए या पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मुख्य रूप से व्हाट्सएप्प और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाया जाता है। नकली समाचार की समस्या भारत समेत विश्व के अनेक देशों में है। नकली समाचारों से हमें सावधान रहने की जरुरत है। विश्व भर में चुनाव या किसी सामूहिक अहम अवसर के दौरान इनका प्रसार बढ़ जाता है। प्रतिदिन (चुनाव के दिनों में अधिक) व्हाट्सएप, फेसबुक, या किसी अन्य सोशल साइट पर अनेक समाचार सम्प्रेषित होते हैं और इन समाचारों को हम पढ़ते हैं और कई बार ऐसा हो सकता है कि किसी नकली समाचार से हम प्रभावित हो जाएँ, इसलिए यह जरूरी है कि हम जाने कि नकली समाचार (Fake News) को कैसे पहचानें। नकली समाचार की पहचान के लिए हमें निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-

*शीर्षक पर बारीकी से ध्यान दो*

शीर्षक (Headlines) पूरा लेख या समाचार पढ़ने के लिए आकर्षित करता है। ज्यादातर मामलों में नकली समाचार एक आकर्षक शीर्षक या अजीब विराम चिह्न के साथ आता है। हालाँकि आकर्षक शीर्षक वाले समाचार हर बार नकली नहीं होते हैं, पर ज्यादातर मामलों में यह होगा। शीर्षक पर बारीकी से ध्यान दो। यदि यह आकर्षक शीर्षक और अजीव विराम चिन्ह के साथ हो तो सचेत हो जाएं।

*ध्यान से सामग्री पढ़ें*

नकली समाचार अक्सर जल्दबाजी में लिखा जाता है और यह व्याकरण की गलतियों और वर्तनी की गलतियों से भरा होता है। यदि आप ध्यान से सामग्री पढ़ेंगे तो संभव है कि आप नकली समाचार पहचान लेंगे।

*चित्रों को ठीक से जांचें*

जो लोग नकली या फर्जी समाचार सामग्री बनाते हैं, वे समाचार को प्रमाणीकृत करने के लिए समाचार के साथ फ़ोटो भी जोड़ देते हैं। लेकिन नकली समाचार में फोटो सामग्री अक्सर झूँठी होती है। अक्सर बहुत पुरानी किसी फोटो को हाल की घटनाओं के नकली समाचार से जोड़ दिया जाता है। कृपया अन्य स्रोतों (other sources) से चित्रों और समाचार को क्रॉस-चेक (cross-check) करें।

*समाचार का स्रोत देखें*

अगर कुछ समाचारों पर विश्वास करना मुश्किल है, तो तुरंत इस पर खुश या नाराज न हों, बल्कि समाचार का स्रोत जानने की कोशिश करें। प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियां हमेशा हमें सबसे तेज़ संभावित समाचारों के साथ अद्यतन (update) रखती हैं। इस प्रकार, अपने निकट और प्रियजनों को अग्रेषित करने का निर्णय लेने से पहले, सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद एजेंसियों पर नज़र डालें। आप यह सुनिश्चित करने के लिए कि जो आपको मिला, वह नकली समाचार नहीं है, आप समाचार के तथ्यों की जांच वेबसाइटों पर भी एक नज़र डालकर कर या विषय के विशेषज्ञों से बातचीत से कर सकते हैं। कोई भी समाचार वायरल हो सकता है, लेकिन इससे पहले कि आप एक वायरल समाचार को सत्य मानें, अन्य समाचार स्रोतों से उसकी जांच करें। यदि समाचार का कोई भाग अचानक आपको बहुत खुश या बहुत नाराज कर रहा है तो संभावना अधिक है, यह नकली समाचार हो।

*यूआरएल (URL) या समाचार स्रोत को ठीक से देखो*

जब कोई समाचार इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त हो रहा हो तो समाचार के यूआरएल (URL) या समाचार स्रोत पर एक नज़र रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आपको कोई समाचार मिलता है, जो विश्वास करना बहुत कठिन होता है, तो URL के डोमेन पर नज़र डालें। यदि समाचार एक प्रतिष्ठित समाचार स्रोत से नहीं आ रहा है, तो समाचार एजेंसी की पृष्ठभूमि के बारे में कुछ जानने की कोशिश करें।

*आगे अग्रेषित करने से पहले सोचें*

आप यदि सावधान हैं तो नकली समाचारों को आसानी से पहचान सकते हैं। नकली समाचार प्राप्त करना आपकी गलती नहीं है। लेकिन अगर आप इसे सही तरीके से नहीं देखते हैं और इसे आगे बढ़ाते हैं तो यह आपकी गलती होगी। जो कुछ भी आप भेज रहे हैं या अग्रेषित कर रहे हैं उसके लिए आप ही जिम्मेदार हैं।

*अगर आपको नकली समाचार मिलता है तो क्या करें?*

अगर आपको कोई नकली समाचार मिलता है, इसे हटा दें या इसे अपने फोन या कम्प्यूटर पर रखें, यह निर्णय आपको लेना है। नकली समाचार को अग्रेषित (forward) या साझा (share) करना एक अच्छा विचार नहीं है। नकली समाचार के प्रेषक को विनम्र संदेश सम्प्रेषित करना एक अच्छा विचार हो सकता है, और आप उसे सावधान कर सकते हैं। आपको किसी भी समाचार को आगे तभी अग्रेषित या साझा (share) करना चाहिए, जब आप समाचार की सत्यता से पूर्ण रूपेण संतुष्ट हों।

उम्मीद है कि यह लघु लेख *नकली समाचार कैसे पहचानें?* आपके लिए सहायक होगा। जागरूकता के लिए आप इसे साझा (share) कर सकते हैं।

शुभकामनाओं सहित,

केशव राम सिंघल

(लेखक सेवानिवृत बैंक अधिकारी है तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नेशनल सेंटर फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट, क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया सहित अनेक प्रोफेशनल संस्थाओं का सदस्य है। वर्तमान में लेखक पीयूसीएल (People's Union for Civil Liberties), अजमेर जिलाध्यक्ष भी है।)

लेख का उद्देश्य सम्बंधित विषय पर जागरूकता फैलाना है। लेख तथ्यों से भरपूर है तथा यह पाठकों को इस विषय में आगे सोचने के लिए निश्चित ही मजबूर करेगा, ऐसा लेखक का विश्वास है।

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