रविवार, 22 जनवरी 2023

बातों ही बातों में - 02

बातों ही बातों में - 02

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केशव राम सिंघल

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हर वक्तव्य, हर बात का महत्त्व है, किसी का कम, किसी का अधिक। आप पढ़े और सोचे, यही उद्देश्य है 'बातों ही बातों में' श्रृंखला का।

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2024 में राहुल गांधी पप्पू वाला राहुल नहीं होगा। भारत जोड़ो यात्रा से बदल गया राहुल गांधी?

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30 जनवरी 2023 को समाप्त हो रही है भारत जोड़ो यात्रा।

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एम सी मिश्रा ने पचास साल पहले ही अपनी रिपोर्ट में लिख दिया था कि जोशीमठ डूब रहा है, पर रिपोर्ट पढ़ता कौन है और उस पर कार्रवाई करना तो दूर उसे दराज में बंद कर दिया जाता है। और अब नींव हिल गई जोशीमठ की। दरारें आ गई हैं, मकानों में, इमारतों में, सडको पर 

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क्या ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, नितीश कुमार जैसे नेता भारत जोड़ो यात्रा जैसी कोई यात्रा कर सकते हैं या करेंगे?

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इस देश में धर्म का नशा अफीम की तरह चटा दिया जाता है।

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उत्तरकाशी (उत्तराखंड) के मोरी थाना क्षेत्र के एक गांव में मंदिर में प्रवेश करने पर अनुसूचित जाति के युवक की पिटाई करने और दागने का मामला सामने आया है। पता चला है कि गांव के ही कुछ सवर्ण युवाओं ने युवक को मंदिर के अंदर करीब 16 घंटे तक बंधक बनाए रखा और उसके पिता के सामने कपड़े उतार कर बेरहमी से पीटा।

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शब्द हथियार की तरह होते है, जिनसे किसी को मारा भी जा सकता है और बचाया भी जा सकता है। शब्दों का उपयोग सोच-समझकर करो। कम शब्दों में अपनी बात कहना सीखो। 

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लोकतंत्र और गणतंत्र में बहुमत का शासन भी निरंकुश हो सकता है। जरुरत है संविधान की सर्वोच्चता पर ध्यान देने की, ताकि लोगों की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा हो सके। इसके लिए जनता की सहभागिता के साथ शासन में जाँच और संतुलन (check and balance) की जरुरत है।

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गृह मंत्रालय के मुताबिक़ साल 2021 में 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। संसद में पेश किए गए दस्तावेज़ में कहा गया है कि इन लोगों ने "निजी वजहों" से नागरिकता छोड़ने का फ़ैसला किया है। सबसे ज़्यादा 78,284 लोगों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए भारत की नागरिकता छोड़ी। 2014 में यह संख्या 1,29,328 थी, 2015 में यह संख्या 1,31,489 थी, 2016 में 1,41,603, 2017 में 1,33,049, 2018 में 1,34,561, जबकि 2019 में 1,44,017 और 2020 में 85,256 ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी। इस प्रकार प्रतिवर्ष औसतन एक लाख तीस हजार से अधिक नागरिक भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। क्या संकेत देते हैं ये आकड़े?

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भारत के किसान, मज़दूर इस देश के तपस्वी हैं। उनकी मेहनत के कारण देश में उन्नति होती है। मगर उनकी तयस्या का फल उनसे चोरी कर अरबपतियों के ख़ज़ाने भरे जा रहे हैं। देश के तपस्वियों को उनका हक़ मिले, देश आगे बढ़े, इसके लिए ज़रूरी है सबका साथ आना, आवाज़ उठाना, भारत को एक सूत्र में जोड़ना। @ राहुल गांधी

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750 से अधिक किसान न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) के लिए शहीद हो गए। 

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भारत में गरीबी की क्या बात करते हो, देखते नहीं अब विश्व का सबसे अमीर आदमी एक भारतीय बन रहा है।

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यही तो जीवन की त्रासदी है। जब राम पास थे तो सीता को सोने का हिरन चाहिए था और जब सीता सोने की लंका में थी तो राम के लिए आँसू बहा रही थी। 

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भारत तो विश्व गुरु बनेगा ही ,,,,,,,,, भारत की जेलों तक में आपको साधु-संत मिल जाएँगे। 

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हारे हुए ने ही जीतना सिखाया है। आईएएस की कोचिंग देने वाले खुद आईएएस की परीक्षा पास नहीं कर सके, पर उन्होंने अपने ज्ञान से बहुतों को आईएएस की परीक्षा में पास करवा दिया।

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जुल्म का ढाँचा बहुत बड़ा है।

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में विरोध प्रदर्शन होने के समाचार सुनने को मिल रहे हैं । वहाँ नारे लग रहे हैं कि 'आर-पार जोड़ दो, करगिल रोड खोल दो।'

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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने 15 जनवरी 2023 को एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि आने वाले विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। क्या संकेत देता है यह बयान। भाजपा को इससे खुश होना चाहिए?

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मार्क ट्वेन (Mark Twain) ने एक बार कहा था कि लोगों को मूर्ख बनाना आसान है, लेकिन उन्हें यह समझाना कठिन है कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है।  

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लोग बेरोजगारी की बात करते हैं। राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने लाभ के लिए उठाते भी हैं। ज्यादातर लोग चाहते हैं कि सरकार ही बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रयत्न करे। बहुत से लोग खुद कोशिश करना नहीं चाहते। लोग उन्हें मिले अवसर या काम को छोटा काम का तमगा देकर उसे करने में उत्साहित नहीं होते और ऐसी स्थिति में निराशा का भाव दिखता है। देश में असंख्य अवसर हैं। लोग अपने लिए अवसर पैदा कर सकते हैं, दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। मेहनत करने की जरुरत है। अपना रास्ता खुद बनाना होगा। खुद के रोजगार के साथ दूसरों को रोजगार देने के बारे में सोचे। जहाँ भी काम करे, उत्पाद और सेवा की गुणता (Quality) पर ध्यान दें। 

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तमाम निराशाओं और हताशाओं के बीच, बेरोज़गारी की व्यथा कथाओं के बीच हमारे ही समाज  में उद्यमी, मेहनती, नवाचार प्रेमी लोगों का एक नया वर्ग भी बहुत तेज़ी से उभर रहा है जो न केवल अपने जीवन को बेहतर बना रहा है, अपने आस-पास भी आशा-उल्लास और उत्साह का माहौल रच रहा है। @ डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल

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जब हम पहली बार गलती करते हैं और हमें पता होता है की यह गलत है तो हमें अपराध-बोध होता है। जब उसी गलती को दूसरी बार करते हैं तो हमारे अपराध-बोध में कमी आ जाती है और तीसरी बार करने पर तो अपराध-बोध ख़त्म हो जाता है। यही से शुरू होता है अपराधों का पनपना। 

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कानून और अदालतों का सहारा लेकर भी जनतंत्र को कुचला जा सकता है? 

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क्या तुम्हें डर नहीं लगता है?

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किसानों को जो राजनेता समझता हो, वैसा राजनेता ही किसानों के भले के लिए सोच सकता है।

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राजनेता में हिम्मत होनी चाहिए कि वह गलत को गलत कह सके। याद आता है राहुल गांधी का वह वक्तव्य जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार की आलोचना भी की थी। राहुल गांधी ने उस अध्‍यादेश को 'पूरी तरह बकवास' करार दिया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। उन्‍होंने यहाँ तक कह दिया था कि ऐसे अध्‍यादेश को फाड़ कर फेंक देना चाहिए।

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बच्चा रोता है, हँसता है, मुँह से शब्द नहीं बोलता, फिर भी अपनी माँग रख ही देता है। 

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जीने के लिए स्वाभिमान का होना जरूरी है। स्वाभिमान के लिए रोजगार जरूरी है।

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एक समाचार क्लिप, जिसका हैडिंग था - "भारत के 88%, दुनिया के 40% रईसों की संपत्ति बढ़ी।" एक तरफ यह समाचार प्रसन्नता का भाव पैदा कर रहा है और दूसरी तरफ वास्तविकता जान चिंतित होना स्वाभाविक लगा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आकड़ों के अनुसार देश की बेरोजगारी दर सितंबर में 6.4 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर माह 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुँच गई। एक अनुमान के मुताबिक़ 2022 में भारत की बेरोजगारी दर दिसंबर में बढ़कर 8.3% हो गई।

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2022 में, भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संयुक्त संपत्ति 800 अरब डॉलर तक पहुँच गई। भारत में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं। भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि नीचे की आधी आबादी के पास कुल संपत्ति का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल 2023 में भारत चीन को पीछे छोड़ विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।

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शेष फिर ,,,,,,,,,,,,, 




शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

बातों ही बातों में - 01

बातों ही बातों में - 01

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केशव राम सिंघल 

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हर वक्तव्य, हर बात का महत्त्व है, किसी का कम, किसी का अधिक। आप पढ़े और सोचे, यही उद्देश्य है 'बातों ही बातों में' श्रृंखला का। 

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नेताओं की जय बोलने से अच्छा है कि उनसे हिसाब माँगो। 

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जमीन पर किसानों को अगर दो पैसा ज्यादा मिल रहा, तो वो राहुल गांधी की देन है। भूमि अधिग्रहण कानून राहुल गांधी लेकर आए। ये जिस काम में लगता है, उसे करता है। इसकी (राहुल गांधी) गलती ये है कि ये सच बोलता है, झूठ-पाखंड नहीं करता। - @राकेश टिकैत  

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सरकार को घाटा होगा तो वह कम्पनी बेच देगी। और यदि पूंजीपति को घाटा होगा तो वह कंपनी ही बंद कर देगा। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही अडानी ने हिमाचल प्रदेश में सीमेंट प्लांट बंद कर दिया। 

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क्या साहब का जलवा अब उतार पर है? 

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कमल हसन भी जुड़े भारत जोड़ो यात्रा के साथ। 

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क्या आरएसएस इस सदी का कौरव है?

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क्या कुछ ज्यादा ही नहीं हो रहा? सब कुछ अडानी के नाम। 

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एक बूढ़ा हो रहा है और दूसरा तैयार हो रहा है। स्थायित्व शाश्वत नहीं, परिवर्तन शाश्वत है। 

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अटल बिहारी वाजपेयी भी तो 2004 में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मिले थे। 

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आरएसएस (?) का एक आदमी बोलता है - 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बना तब मेरा एक लीटर खून बढ़ गया था, पर जैसा इन्होने देश के साथ किया, उससे मेरा खून पाँच लीटर कम हो गया। एक इंटरव्यू वीडियो में सुना। 

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आज भी होता है द्रोपदी का चीरहरण और द्रोण, भीष्म, विदुर जैसे न्यायकर्ता मुँह छिपाते हुए चुप रहते हैं। 

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भारत जोड़ो यात्रा में अब आलोचक भी जुड़ रहे हैं। क्या संकेत हैं?

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क्या कांग्रेस ने ब्रांडिंग के लिए 300 करोड़ खर्च करके भारत जोड़ो यात्रा प्रारम्भ की है? क्या यह यात्रा को कमतर करने की कोशिश तो नहीं?

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महाभारत फिर होगा? वे कहते हैं - एक तरफ अर्जुन है दूसरी ओर है हस्तिनापुर की सत्ता। 

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पूर्व आर्मी चीफ और कई पूर्व सैन्य अफसर राहुल गांधी से भारत जोड़ो यात्रा में मिले। क्या संकेत है? 

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मिले कदम, जुड़े वतन। भारत जोड़ो, नफरत तोड़ो। 

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कैद में मिले चाहे राजभोग, पर नहीं मिलती आजादी। 

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दया आती है पार्टी कार्यकर्ताओं पर, जो अपनी मेहनत से पार्टी को खड़ा करते हैं और नेतृत्व की भूमिका में उन्हें कोई अहमियत नहीं दी जाती। पार्टी नेतृत्व पर कब्जा दूसरी पार्टी से आए नेता कर लेते हैं। वही लोग चुनाव टिकट पा जाते है और मंत्री भी बन जाते हैं। 

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एक भारत जोड़ो यात्री ने बताया कि राहुल जी के साथ पदयात्रा करके वे अपने आपको निरोग और स्वस्थ महसूस करते हैं। इस प्रकार राहुल भारत को निरोग और स्वस्थ रहने का सूत्र लोगों को दे रहा है।  

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सत्ता जब पास है तो फिर विचारधारा की जरुरत क्या है। विचारधारा की सीढ़ी की अब जरुरत कहाँ, वह तो अब बेकार है। जिस जीएसटी का विरोध पार्टी 2014 से पहले करती थी, उस जीएसटी को ही वह देश में लेकर आई। 

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जब बदलाव मन में आएगा तो बदलाव देखने को मिलेगा। 

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नागरिकता कानून क्यों नहीं लागू हुआ? 

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कश्मीर में चुनाव क्यों नहीं हुए? 

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क्या भाजपा नागरिकता कानून पर राजनीति करने में माहिर है और साथ ही जनता को उलझाने में? काफी समय से पार्टी इस मुद्दे पर चुप है। 

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तन्हाई में व्यक्ति सोचता है बहुत। 

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गांधीवादी होना आसान है, गांधी होना बहुत मुश्किल है। 

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हिलाने से पुल गिर जाता है, नारियल फोड़ने से सड़क टूट जाती है और भैंस के टकराने से इंजन क्षतिग्रस्त हो जाता है। क्या संकेत इन बातों के? 

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भारत बन गया है विश्व गुरु, ताली बजाओ, घोषणा हुई है - पाँच सौ विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस भारत में खुलेंगे और मेडिकल-इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब क्षेत्रीय भाषाओं में होगी।  

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शेष फिर ,,,,,,,,,,,,,



कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 19

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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19

 

आज सभी खुश थे कि दुबई में कल (28-08-2022) एशिया कप 2022 के भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में भारत ने पाँच विकेट से जीत हासिल कर ली। सब एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे।

 

चाची बोलीं - अम्मा जी, मैं तो बहुत निराश हो गई थी, जब मैंने भारतीय टीम की पहले दस ओवरों की परफॉर्मेंस देखी। बहुत ही कम रन रेट थी।

 

अम्मा जी कहने लगीं - छोटी, तुझे पता है कि मैं आजकल टीवी नहीं देखा करती। हाँ, बच्चे देख रहे थे, वे ही बार-बार मुझे आकर स्कोर आदि बता देते थे। मैंने सुना कि हार्दिक पांड्या ने विजयी छक्का जड़ा, वही मैन ऑफ़ मैच रहे। चलो बधाई।

 

तभी राजरानी बोली - अम्मा जी, वैसे पाकिस्तान भी अच्छा खेली। जब भारत की टीम बैटिंग के लिए उतरी तो शुरू में उनकी फील्डिंग बहुत अच्छी थी।

 

शैलबाला कहने लगी - कल तो बच्चे इतने खुश थे कि जैसे ही हार्दिक पांड्या ने विजयी छक्का जड़ा, वे नाचने लगे और मिठाइयाँ बाँटने लगे।

 









अम्मा जी कहने लगी - खुशी की तो बात है।

 

तभी राजरानी ने बताया - अम्मा जी, कल नोयडा में एक सौ तीन मीटर ऊँची बत्तीस मंजिला इमारत ट्विन टावर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार गिरा दिया गया।

 

अम्मा जी कहने लगीं - यह तो वही टावर थी जो इसके बिल्डरों ने अवैध रूप से बनाई थी।

 

राजरानी कहने लगी - हाँ, अम्मा जी। पर एक दिन में तो नहीं बनी यह इमारत। यह तो सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश थे कि इस इमारत को गिरा दिया जाए, अन्यथा इसके बिल्डरों ने खूब प्रयास किए कि यह बिल्डिंग गिराई जाए। 

 

ट्विन टावर से सम्बंधित जानकारी देते हुए राजरानी ने बताया - इस ट्विन टावर को गिराने के लिए 'वाटरफॉल इम्प्लोजन' तकनीक का सहारा लिया गया तथा 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। यह टावर मात्र सेकेण्ड में जमींदोज हो गई। बिल्डिंग विस्फोट के बाद सतासी हजार टन मलबा फ़ैल गया। इस ट्विन टावर को गिराने का काम एडिफिस इंजीनियरिंग नामक कंपनी ने किया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस टावर के गिराने से आसपास की बिल्डिंगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा है। बहुत बार बिल्डरों के फरेब में लोग जाते हैं और अपनी जिंदगी भर की कमाई को दाँव पर लगा देते हैं। अम्मा जी, जब भ्रष्टाचार की इमारत गिरती है तो  हमारा समाज खुशियाँ मनाता है। यह इमारत भ्र्ष्टाचार की प्रतीक थी, जिसे गिरा दिया गया। जिस समय यह इमारत गिराई गई लोगों ने तालियाँ बजाई। काश, भ्रष्टाचार को मूल से ख़त्म कर दिया जाए।

 

अम्मा जी ने कहा - राजरानी, तुमने तो बहुत सारी जानकारी दे दी। वैसे इतनी ऊँची टावर अवैध बन गई, ताज्जुब की बात है ना।

 

चाची बोली - भ्रष्टाचार के कारण सब कुछ हो जाता है अम्मा जी।  

 

अम्मा जी कहने लगीं - यह भ्रष्टाचार ही हमें ले डूबेगा, अन्यथा क्या कमी है हमारे देश में।

 

सभी अम्मा जी के तरफ देख कर सहमति जाहिर करने लगे।

 









तभी सरोज बुआ बोलीं - अम्मा जी, भ्रष्टाचार से सम्बंधित एक कहानी मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ी है, वही सुनाती हूँ। एक बार एक अमीर व्यक्ति के घर इनकम टैक्स का छापा पड़ा। घंटो की खोजबीन के बाद छापे के लिए आई टीम के अफसर ने उस अमीर व्यक्ति से कहा - आपका हिसाब किताब तो ठीक-ठाक सा लग रहा है, पर एक जगह खातों में लिखा है यमदूत को फल खिलाने का खर्चा चार लाख रुपया, पर इससे सम्बंधित बिल या भुगतान की रसीद नहीं हैं। क्या आपके पास कोई बिल या भुगतान की रसीद है जिससे यह प्रमाणित हो कि यह खर्च आपने किया है। यह सुन वह व्यक्ति बोला - नहीं साहब, इससे सम्बंधित तो कोई बिल या प्राप्ति रसीद नहीं है मेरे पास। मैंने तो नकद भुगतान किया था। व्यक्ति की बात सुनकर अधिकारी ने कहा -  कानूनन आप यह खर्चा अपनी किताबों में नहीं दिखा सकते। इस प्रकार आपको आयकर और पैनल्टी के रूप में करीब ढाई-तीन लाख रुपये देने होंगे। एक रास्ता है, यदि आप मुझे एक लाख रुपये दे दें तो मैं बात को यहीं समाप्त कर दूँगा। व्यक्ति ने सहमति प्रकट करते हुए अपने मुनीम को आवाज लगाईं और कहा - मुनीम जी, साहब को झटपट एक लाख रुपये दे दो और खाते में लिख देना एक यमदूत ने एक लाख का केला खाया। अम्मा जी, मुझे लेखक का नाम नहीं पता। उस अनाम लेखक को साभार।

 

अम्मा जी ने कहा - अच्छा व्यंग्य किया है। भ्रष्टाचार तो रच-बस गया है आज। दुःख की बात है यह।

 

भार्गव आंटी अम्मा जी की तरफ देख कर बोलीं - अम्मा जी, आपको तो पता ही है कि बेटी पत्रकारिता का कोर्स कर रही है, पर चाहती है कि बिहार की राजनीति पर कुछ लिखे। बिहार राज्य और वहाँ की राजनीति पर समझ विकसित करने के लिए कोई पुस्तक बताइये।

 

अम्मा जी बोलीं - बिहार या किसी भी राज्य की राजनीति को समझना है तो विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में राज्य से संबंधित लेख पढ़े और अपने नोट्स तैयार करे। अगर उसने पच्चीस-पचास लेख पढ़ लिए तो राज्य से संबंधित एक अच्छी समझ उसको हो जाएगी। इसके लिए उसको कुछ पत्रिकाओं के पुराने अंक भी पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ हिंदी पत्रिकाएँ हैं जैसे - आउटलुक हिंदी पाक्षिक, इंडिया टुडे आदि। बेटी को मेरी शुभकामनाएँ।

 

चाची बोली - प्रसन्न कुमार चौधरी और श्रीकांत की लिखी एक किताब है 'बिहार में सामाजिक परिवर्तन के कुछ आयाम' इस किताब का पेपरबैक संस्करण भी उपलब्ध है तथा इसे अमेजन से भी मँगाया जा सकता है। यदि भोजपुर बिहार के नक्सलवादी आंदोलन को जानना है तो कल्याण मुखर्जी और राजेंद्र सिंह यादव की लिखी एक किताब है 'भोजपुर - बिहार में नक्सलवादी आंदोलन', जिसे राधाकृष्ण प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

 

शैलबाला बोली - बिहार पर बहुत सी किताबें हैं। यदि वहाँ के परिवेश के बारे में अधिक जानना है तो फणीश्वर नाथ रेणु का उपन्यास 'मैला आँचल' बिटिया को जरूर पढ़ना चाहिए। इस उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है तथा यह पेपरबैक और किंडल संस्करणों में उपलब्ध है।

 









भार्गव आंटी ने कहा - चाची, रेणु जी का यह उपन्यास तो मैंने भी पढ़ रखा है। यह तो हिंदी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है।

 

तभी राजरानी बोली - भार्गव आंटी, मेरे पास है इसकी प्रति। मैं आपके घर भिजवा दूँगी।

 

यह कथा-श्रृंखला, पाठको को समर्पित है। आप पढ़े, आनंद लें, टिप्पणी करें, दूसरों को पढ़ाएँ, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करें। स्वागत है आपके सुझावों और टिप्पणियों का।

 

कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।

 

गुरुवार, 12 जनवरी 2023

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 18

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेख - केशव राम सिंघल

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18

 

आज की बातचीत की शुरुआत चाची ने की। उन्होंने कहा - कांग्रेस दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। 26 अगस्त 2022 को 51 साल कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। 25 अगस्त 2022 को कांग्रेस के युवा प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कपिल सिब्बल, सुष्मिता देव, जितिन प्रसाद, हार्दिक पटेल, सुनील जाखड़ आदि ऐसे बहुत से नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।

 

राजरानी बोली - ऐसा सुनने में आया है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव कुछ हफ्तों के लिए टाला जा सकता है। चुनाव कब होगा इस पर फैसला 28 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में लिया जाएगा। पहले यह घोषणा की गई थी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होगा।

 

दर्शना बोली - अच्छा हुआ गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। वे तो भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाते हैं। मोदी के प्रति उदार रुख है उनका। मैं तो स्वागत करती हूँ यदि वे भाजपा में शामिल हो जाएँ। कांग्रेस तो ख़त्म होने की राह पर है। देखना जल्द ही कांग्रेस ख़त्म हो जाएगी। 

 









शैलबाला बोली - मैं नहीं मानती तुम्हारी बात। कांग्रेस फिर से ज़िंदा होकर लौट आएगी। कांग्रेस कभी ख़त्म नहीं होगी। याद रखना, राहुल गांधी ही कांग्रेस में नई जान फूकेंगे। कांग्रेस को युवा चेहरों की जरुरत है। ऐसे युवाओं की जो वर्तमान सरकार का वैचारिक स्तर पर मुकाबला कर सकें। कन्हैया कुमार जैसे युवाओं की जरुरत है, ना कि बूढ़े लोगों की जो करते-धरते कुछ नहीं, बस जिन्हें पद चाहिए, प्रतिष्ठा भी चाहिए। 

 

सुमन मामी बोलीं - गुलाम नबी कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बरबाद हो गई है, पर राहुल गांधी और उनकी युवा ब्रिगेड भाजपा पर सीधा हमला करने की हिमायती है। ऐसे में गुलाम नबी आजाद का राहुल गांधी से मतभेद होना स्वाभाविक है।

 

यह तो सभी जानते हैं कि अम्मा जी के बड़े बेटे की बहु दर्शना भाजपा समर्थक है, सभी उसकी ओर देखने लगे। तभी दर्शना ने कहा - गुलाम नबी आजाद क्या करेंगे। यह तो भविष्य बताएगा। पर संभावना है कि मोदी जी उन्हें कोई ना कोई जिम्मेदारी का पद अवश्य ऑफर करेंगे। वे किसी राज्य के राज्यपाल भी बनाए जा सकते हैं। मोदी जी भी गुलाम नबी आजाद के प्रति अच्छी राय रखते है। राज्यसभा से गुलाम नबी आजाद की बिदाई के समय मोदी जी ने अपने भाषण में उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि काश उनकी सेवाएँ लम्बे समय तक मिल पाती।

 

शैलबाला बोली - गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़नी चाहिए। कांग्रेस ने उन्हें क्या नहीं दिया। उन्हें पद, शोहरत सभी तो कांग्रेस की वजह से मिला है। मुझे तो अच्छा नहीं लगा। ऐसे समय में जब कांग्रेस को ताकत की जरुरत है, लोग कांग्रेस छोड़ रहे हैं। संघर्ष के समय वे जिम्मेदारी से हट गए और कांग्रेस छोड़ दी। 

 












चाची ने पूछा - गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है तो अब वह क्या करेंगे? क्या भाजपा में जाएंगे?

 

सरोज बुआ ने बताया - ऐसा सुनने में आया है कि गुलाम नबी आजाद ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है कि वह भाजपा के संपर्क में हैं या उसमें शामिल होंगे। शायद वह अब अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएँ। जम्मू-कश्मीर से उनके समर्थक दिल्ली पहुँच रहे हैं और उनसे विचार-विमर्श के बाद ही आजाद कोई निर्णय लेंगे।

 

राजरानी ने कहा - कांग्रेस को अंदर से अपने को मजबूत बनाना होगा। देश के बहुत से लोग चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूती के साथ आगे आए। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यह पार्टी मजबूती के साथ फिर आगे आएगी। 

 

विषयांतर करने की दृष्टि से चाची बोली - अम्मा जी, आपने अटारी-बाघा बॉर्डर के बारे में बताया था। जब आप वहाँ गई थीं तो क्या अमृतसर में स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग़ नहीं देखा था क्या?

 









अम्मा जी कहने लगीं - उस दिन पूरी बात नहीं बता पाई। हम बहुत सी जगह होकर आए थे। स्वर्ण मंदिर तो एक बार हम सुबह पाँच बजे ही चले गए थे। स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह सिखों की आस्था का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है। दस सिख गुरुओं में से चौथे गुरु रामदास साहिब ने पन्द्रवीं सदी में यह गुरुद्वारा और इसका सरोवर बनवाया था, जहाँ सभी लोग प्रार्थना कर सकें। समय-समय पर गुरुद्वारे की इमारत में कई बार नई-नई चीज़ें जोड़ी गईं, जिसमें फ़र्श पर संगमरमर लगाया जाना शामिल है। ऐसा बताया जाता है कि भारत के सिख साम्राज्य (1799-1849) के संस्थापक, महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी मंजिल को 750 किलो शुद्ध सोने से मढ़वाया था। सिख धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, स्वर्ण मंदिर में ही रखा गया है।

 

चाची बोलीं - तभी इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। मैंने इसकी फोटो देखी है। सोने की भाँति चमकता है यह मंदिर। मेरा भी देखने का मन है। एक बार जाऊँगी वहाँ।

 

अम्मा जी कहने लगीं - बिलकुल जाना चाहिए। अमृतसर देश के ज्यादातर हिस्‍सों से वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अमृतसर शहर से तेरह किलोमीटर की दूरी पर एयरपोर्ट है। अमृतसर में रुकने की व्यवस्था भी अच्छी है। स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में ठहरने की व्यवस्था है। वैसे आप चाहो तो होटल में भी रुक सकते हो।

 

चाची ने पूछा - अम्मा जी, और क्या-क्या देखा अमृतसर में।

 

अम्मा जी ने बताया - हमारे पास केवल आधा दिन था अमृतसर देखने के लिए। इसलिए हम ज्यादा जगह तो नहीं जा पाए, पर हमने जलियांवाला बाग़ देखा और अमृतसर का पार्टिशन म्यूजियम भी देखा। अगर अमृतसर जाओ तो इन तीनों जगहों पर जरूर जाना चाहिए। 1947 में आजादी के साथ ही देश के नक्शे पर खिंची गई विभाजन की रेखा की वजह से अपने ही देश में बहुत से लोग परदेसी हो गए। लाखों लोगों ने जबरन पलायन का दुःख झेला। इतिहास के सबसे बड़े पलायन और उससे जुड़े घटनाक्रम को अमृतसर की पार्टीशन म्यूजियम में सहेजा गया है, जो यादों के ऐसे पन्ने खोलती हैं, जिसके लफ्ज कहीं आंसुओं से भरे हैं तो कहीं खून से तरबतर। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग से कुछ ही दूरी पर स्थितपार्टिशन म्यूजियमकी विभिन्न दीर्घाओं में देश के बंटवारे से जुड़े घटनाक्रम को बयान करने का प्रयत्न किया गया है। उस समय के अखबारों की बहुत सी कतरने और तस्वीरें उस वक्त के बारे में बताती हैं।

 












चाची ने कहा - अम्मा जी, मैंने स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग़ के बारे में तो बहुत सुना था, पर पार्टीशन म्यूजियम के बारे में पहली बार ही सुन रही हूँ। कभी अमृतसर जाने का मौक़ा ही नहीं मिला। एक बार अमृतसर जरूर जाऊँगी।शैलबाला ने कहा - मैंने सुना है कि वहाँ के छोले-कुलचे बहुत ही प्रसिद्ध हैं। अम्मा जी, आपने खाए या नहीं? और वहाँ के लंगर में खाना खाया?

 

अम्मा जी ने जवाब दिया - हमने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास एक ढाबे में सुबह नाश्ते में छोले-कुलचे, दूध- जलेबी और चाय आदि और दोपहर में स्वर्ण मंदिर के लंगर में खाना खाया था। स्वर्ण मंदिर के लंगर को गुरु का लंगर भी कहा जाता है, जहाँ हजारों लोगों का भोजन वहाँ की रसोई में तैयार किया जाता है। वहाँ का भोजन और काडा प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट था।

 

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कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।