अब तो चुपचाप सा खामोश गुजरता है मेरा दिन, फिर भी,
जाने किस उम्मीद में, अब अपने से ही बातें करता हूँ मैं !
© 2015 केशव राम सिंघल
शुभकामना सहित,
केशव राम सिंघल
अपनी बात अभिव्यक्त करने का प्रयास, चाहे वे आपके विचारों से भिन्न ही क्यों ना हों .... पाठकों की टिप्पणी का स्वागत है, पर भाषा शालीन हो, इसका निवेदन है .... - केशव राम सिंघल, अजमेर, भारत.
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