रविवार, 11 अक्तूबर 2015

जाने किस उम्मीद में .... # 16




अब तो चुपचाप सा खामोश गुजरता है मेरा दिन, फिर भी,
जाने किस उम्मीद में, अब अपने से ही बातें करता हूँ मैं !
© 2015 केशव राम सिंघल

शुभकामना सहित,

केशव राम सिंघल

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