सोमवार, 10 दिसंबर 2018

*मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 3*


*मानव अधिकार जागरूकता*
*'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 3*


*अनुच्छेद 11*
1. प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दंडनीय अपरोध का आरोप किया गया हो, तब तक निरपराध माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में, जहां उसे अपनी सफाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों, कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाए।
2. कोई भी व्यक्ति किसी भी ऐसे कृत या अकृत (अपराध) के कारण उस दंडनीय अपराध का अपराधी न माना जाएगा, जिसे तत्कालीन प्रचलित राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार दंडनीय अपराध न माना जाए और न अससे अधिक भारी दंड दिया जा सकेगा, जो उस समय दिया जाता जिस समय वह दंडनीय अपराध किया गया था।

*अनुच्छेद 12*
किसी व्यक्ति की एकांतता, परिवार, घर, या पत्र व्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप न किया जाएगा, न किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप हो सकेगा। ऐसे हस्तक्षेप या आक्षेपों के विरुद्ध प्रत्येक को कानूनी रक्षा का अधिकार प्राप्त है।

*अनुच्छेद 13*
1. प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक देश की सीमाओं के अंदर स्वतंत्रतापूर्वक आने, जाने और बसने का अधिकार है।
2. प्रत्येक व्यक्ति को अपने या पराए किसी भी देश को छोड़ने और अपने देश वापस आने का अधिकार है।

*अनुच्छेद 14*
1. प्रत्येक व्यक्ति को सताए जाने पर दूसरे देशों में शरण लेने और रहने का अधिकार है।
2. इस अधिकार का लाभ ऐसे मामलों में नहीं मिलेगा जो वास्तव में गैर-राजनीतिक अपराधों से संबंधित हैं, या जो संयुक्त राष्ट्रों के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य हैं।

*अनुच्छेद 15*
1. प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी राष्ट्र-विशेष की नागरिकता का अधिकार है।
2. किसी को भी मनमाने ढंग से अपने राष्ट्र की नागरिकता से वंचित न किया जाएगा या नागरिकता का परिवर्तन करने से मना न किया जाएगा।

*अनुच्छेद 16*
1. बालिग स्त्री-पुरुषों को बिना किसी जाति, राष्ट्रीयता या धर्म की रुकावटों के आपस में विवाह करने और परिवार स्थापन करने का अधिकार है। उन्हें विवाह के विषय में वैवाहिक जीवन में, तथा विवाह विच्छेद के बारे में समान अधिकार हैं।
2. विवाह का इरादा रखने वाले स्त्री-पुरुषों की पूर्ण और स्वतंत्र सहमति पर ही विवाह हो सकेगा।
3. परिवार समाज का स्वाभाविक और बुनियादी सामूहिक इकाई है और उसे समाज तथा राज्य द्वारा संरक्षण पाने का अधिकार है।

*अनुच्छेद 17*
1. प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है।
2. किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित न किया जाएगा।

*अनुच्छेद 18*
प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अंतरात्मा और धर्म की आजादी का अधिकार है। इस अधिकार के अंतर्गत अपना धर्म या विश्वास बदलने और अकेले या दूसरों के साथ मिलकर तथा सार्वजनिक रूप में अथवा निजी तौर पर अपने धर्म या विश्वास को शिक्षा, क्रिया, उपसाना, तथा व्यवहार के द्वारा प्रकट करने की स्वतंत्रता है।

*अनुच्छेद 19*
प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इसके अंतर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम के जरिए से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी की सूचना और धारणा का अन्वेषण, ग्रहण तथा प्रदान सम्मिलित है।

*अनुच्छेद 20*
1. प्रत्येक व्यक्ति को शांति पूर्ण सभा करने या समित्ति बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
2. किसी को भी किसी संस्था का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
(क्रमशः - *मानव अधिकार जागरूकता* - *'संयुक्त राष्ट्र संघ' मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा - भाग - 4*)

मानवाधिकार दिवस पर शुभकामनाएं ....
मानवाधिकार दिवस हमें इस बात के लिए सचेत करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें स्वयं सजग होना होगा।

*संकलन और सम्पादन* - केशव राम सिंघल, जिलाध्यक्ष, पीयूसीएल अजमेर इकाई

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