सोमवार, 4 अप्रैल 2022

कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का बिल राज्यसभा में पेश

कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का बिल राज्यसभा में पेश 

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कश्मीरी पंडितों पर आई फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने कश्मीरी पंडितों की समस्या पर लोगों को सोचने के लिए मजबूर अवश्य किया है, लेकिन दुःखद सच्चाई यह है कि पिछले बत्तीस सालों से किसी भी सरकार ने कश्मीरी पंडितों की समस्या को सुलझाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया। कुछ लोगों का कहना है कि फिल्म समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि समस्या का समाधान वास्तविक रूप में आना चाहिए। समस्या के समाधान के लिए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने शुक्रवार 1 अप्रेल 2022 को कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल Kashmiri Pandits (Recourse, Restitution, Rehabilitation & Resettlement) Bill, 2022 पेश कर दिया है। ये पहला मौका है जब कश्मीरी पंडितों की समस्याओं के समाधान के लिए कानून बनाने की माँग की गई है और इसके लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया है। इस बिल में कश्मीरी पंडितों के सामाजिक और राजनीतिक पुनर्वास के प्रावधान किए गए हैं। साथ ही बिल में कश्मीर में मंदिरों का जीर्णोद्धार करने और कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा और मुआवज़ा देने का प्रावधान हैं। बिल की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें कश्मीरी पंडितों के नरसंहार (जैनोसाइड) की जाँच के लिए आयोग बनाने का प्रावधान किया गया है। बिल में जाँच आयोग का गठन सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की सदस्यता के साथ करने की माँग की गई है। 


इस बिल के अनुसार केंद्र सरकार को एक सलाहकार (एडवायजरी) समिति बनानी होगी, जिसमें कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधि होने चाहिए। इसमें कश्मीर वैली में रहने वाले गैर कश्मीरी पंडितों को भी शामिल करें, जो अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। इस समिति को अधिक अधिकार दें, जो कश्मीरी पंडितों की दुनिया दोबारा से बसाने के लिए अच्छे से काम कर सके। बिल के मुताबिक कश्मीरी पंडितों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए। कश्मीरी पंडितों के साथ जो भी घटना हुई है, उन्हें पीड़ित माना जाए।


इस बिल पर अब राज्यसभा के सभापति को बहस करवानी होगी। देखना है कि यह बहस कब होती है। यदि यह बिल राज्यसभा और लोकसभा अर्थात्त संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए कानून बन जाएगा। यह बिल कांग्रेस सांसद ने पेश किया है और संसद में कांग्रेस का बहुमत नहीं है, लेकिन यदि संसद में बहुमत में मौजूद भाजपा अगर इस बिल को कानून बनाने का समर्थन नहीं करती है तो कश्मीरी पंडितों के गर्माए मुद्दे पर भाजपा खुद कठघरे में होगी। देखना है कि सत्तारूढ़ भाजपा इस प्राइवेट बिल पर क्या कदम उठाती है। आशा की जाती है कि इस बिल को फाइलों में नहीं दबाया जाएगा और सरकार की ओर से इस पर सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी।


- केशव राम सिंघल 


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