राष्ट्रीय सड़क रख-रखाव नीति की आवश्यकता
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प्रतीकात्मक चित्र साभार NightCafe
भारत में सड़कों का जाल पूरे देश में फैला हुआ है और नित नई सड़कें बन रही हैं। लेकिन, समय पर रख-रखाव और मरम्मत न होने के कारण अनेक सड़कें टूट जाती हैं, जिनसे दुर्घटनाएँ होती हैं और जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। जान-माल का नुकसान भी होता है। सड़क निर्माण जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण उनका समुचित रख-रखाव है। इस दिशा में एक राष्ट्रीय सड़क रख-रखाव नीति बनाना समय की आवश्यकता है, जिसके निम्न प्रमुख बिंदु हों –
1. सड़क वर्गीकरण और जिम्मेदारी निर्धारण
* ग्राम पंचायत सड़के – जिम्मेदारी ग्राम पंचायत / ब्लॉक पंचायत।
* नगर निगम/नगर पालिका की सड़कें – जिम्मेदारी नगर निगम / नगर पालिका।
* राज्य सरकार की सड़कें (राज्य राजमार्ग, जिला सड़कें) – जिम्मेदारी PWD (लोक निर्माण विभाग)।
* केंद्र सरकार की सड़कें (राष्ट्रीय राजमार्ग) – जिम्मेदारी NHAI/केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय।
2. शिकायत और समय-सीमा
* नागरिकों की सुविधा हेतु एक राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म / मोबाइल ऐप बने, जिस पर फोटो और लोकेशन सहित टूटी सड़क की शिकायत दर्ज हो सके।
* शिकायत दर्ज होने के बाद निश्चित समय-सीमा में मरम्मत हो –
* ग्राम पंचायत और नगर निगम/नगर पालिका सड़के – 2 दिन
* राज्य सरकार की सड़कें – 5 दिन
* केंद्र सरकार की सड़कें – 10 दिन
3. जनभागीदारी और पारदर्शिता
* शिकायत दर्ज होने पर एक ट्रैकिंग नंबर मिले।
* नागरिक शिकायत की स्थिति (Pending / Under Repair / Completed) देख सकें।
* मरम्मत पूर्ण होने के बाद नागरिक फीडबैक और तस्वीर अपलोड कर सकें।
4. फंड और गुणवत्ता नियंत्रण
* प्रत्येक स्तर पर एक अलग सड़क रख-रखाव कोष बनाया जाए।
* छोटे गड्ढों की तुरंत मरम्मत के लिए इंस्टेंट रिपेयर तकनीक का प्रयोग हो।
* स्वतंत्र एजेंसियाँ मरम्मत की गुणवत्ता की जाँच करें।
5. जवाबदेही और प्रोत्साहन
* समय पर और गुणवत्तापूर्ण मरम्मत करने वाले प्राधिकरण को प्रशंसा और अतिरिक्त बजट मिले।
* लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई हो।
सार
सड़कें प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था और जनजीवन की धमनियाँ होती हैं। भारत में सड़क निर्माण के साथ-साथ अब समयबद्ध रख-रखाव और मरम्मत के लिए नीति एवं ठोस प्रक्रियाएँ बनाना अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रीय सड़क रख-रखाव नीति से दुर्घटनाएँ कम होंगी, जनता को राहत मिलेगी और देश का विकास मार्ग और सुगम होगा।
पाठकों से निवेदन है कि इस सम्बन्ध में जागरूकता अभियान चलाएँ, जागरूकता लेख समाचार पत्रों को और उचित प्रस्ताव पत्र राज्य और केंद्र सरकार को भेजें, ताकि उचित नीति और प्रणाली बन सके। पाठकों की प्रतिक्रिया और विचार आमंत्रित हैं।
सादर,
केशव राम सिंघल

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