बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020 क्या है?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के निर्माण की योजना नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत शुरू की जा रही है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020 में देश के सभी 'सामान्य निवासियों' का विवरण होगा, चाहे वे नागरिक हों या नहीं। इसमें भारत के गैर-नागरिकों का विवरण होगा, जो भारत में सामान्य निवासी हैं।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का उद्देश्य क्या है?

देश के हर निवासी (विदेशी सहित) की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के आधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) से सम्बंधित प्रावधान

नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के प्रावधान जोड़े गए। नागरिकता कानून, 1955 के सेक्शन 14A में निम्न प्रावधान तय किए गए -
- केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है।
- सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए राष्ट्रीय पंजीकरण प्राधिकरण (नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी) भी गठित की जा सकती है।

क्या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत पंजीकरण अनिवार्य है?

नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के अनुसार सेक्शन 14 के तहत हर नागरिक के लिए एनपीआर में पंजीकरण अनिवार्य है। देश के हर नागरिक को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में अपना नाम दर्ज करवाना होगा। साल 2021 में भारत की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक रजिस्टर को अद्यतन किया जाएगा।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में कौन सी जानकारियां एकत्र की जाएँगी?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में निम्न जानकारियाँ एकत्र की जाएँगी -
- जनगणना घर का नंबर,
- हाउस होल्ड नंबर,
- जनगणना घर का पता, पिन कोड,
- हाउस होल्ड की स्थिति (पुराना हाउस होल्ड / बंद घर / रहने वाला चला गया /अवधि के दौरान हाउसहोल्ड की गणना नहीं की जा सकी / नया हाउसहोल्ड)
- सदस्यों की संख्या

रहने वाले सदस्यों की संख्या के बाद प्रत्येक सदस्य से सम्बंधित निम्न जानकारियाँ एकत्र की जाएँगी -
- सदस्य की क्रम संख्या और उसका पूरा नाम (यह बहुत ही आवश्यक है कि जनगणना के दौरान नाम सही लिखा जाए। इसके लिए विशेष सावधानी बरतने के निर्देश हैं।)
- घर के सदस्य की उपलब्धता (उपलब्ध है / मृत्यु हो गयी / चला गया / नया),
- मुखिया से सम्बन्ध (मुखिया, पति/पत्नी, बेटा/बेटी, पोता/पोती, माता/पिता, भाई/बहन, बेटे की पत्नी/बेटी का पति, दादा/दादी, सास/ससुर, अन्य रिश्तेदार, घरेलु नौकर, अन्य जो रिश्तेदार नहीं),
- लिंग,
- वैवाहिक स्थिति (कभी शादी नहीं हुई, वर्तमान में विवाहित, विधवा, अलग हुए, तलाकशुदा),
- जन्म तिथि और जन्म स्थान - राज्य, जिला,
- राष्ट्रीयता जो घोषित की,
- पासपोर्ट नंबर,
- शैक्षणिक योग्यता,
- व्यवसाय / गतिविधि,
- मातृभाषा और उसका कोड,
- स्थाई घरेलु पता (संगणक यह जानकारी लेगा कि हाउसहोल्ड का पता ही स्थाई पता है - हाँ या नहीं, यदि नहीं तो वह स्थाई घरेलु का पूरा पता नोट करेगा),
- रहने की अवधि (संगणक यह जानकारी लेगा कि क्या आप वर्तमान पते पर जन्म से रहते हैं, यदि नहीं तो वर्तमान पते पर रहने की अवधि की जानकारी लेगा) और रहने का पिछला निवास स्थान (स्थान, जिला और राज्य),
- पिता, माता और जीवन साथी के विवरण - इस सन्दर्भ में उनके नाम, जन्म तिथि और जन्म स्थान (जिला और राज्य) की जानकारी ली जाएगी,
- यदि उपलब्ध हों तो आपसे आपके आधार नंबर, मोबाईल नंबर, वोटर आईडी कार्ड नंबर और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर की जानकारी भी ली जाएगी।

वर्तमान स्थिति

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए जानकारियाँ (Data), साल 2010 में भारत की जनगणना के लिए घरों के सूचीकरण की प्रक्रिया के दौरान ही एकत्र कर ली गयी थीं। इस जानकारियों (Data) के अद्यतन का काम साल 2015 में हुए घर-घर सर्वेक्षण (डोर-टू-डोर सर्वे) के दौरान ही कर लिया गया था। इस अपडेटेड जानकारी का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है। इसके बाद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अद्यतन करने का निर्णय केंद्र सरकार ने ले लिया है।

अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच होगा सर्वेक्षण

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने का काम साल 2021 की जनगणना के लिए अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच होने वाली घरों की सूचीकरण प्रक्रिया के साथ होगा। केंद्र सरकार इस आशय को लेकर एक राजपत्रित अधिसूचना पहले ही प्रकाशित कर चुकी है। ये प्रक्रिया असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में होगी। असम को बाहर इसलिए रखा गया है क्योंकि अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए वहां एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) की प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है।

प्रक्रिया के चरण

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर 2020 के बीच होगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। दूसरा चरण 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में 1 मार्च 2021 से 5 मार्च 2021 के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से कितना अलग है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। एनआरसी का मकसद देश में अवैध रूप से रह रहे बाहरी नागरिकों की पहचान करना है, वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का उद्देश्य किसी स्थान पर छह महीने या उससे ज्यादा वक्त से रह रहे निवासियों की जानकारी एकत्र करना है। अगर कोई बाहरी नागरिक भी देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा वक्त से रह रहा हो तो उसका नाम भी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज होगा।


संगणकों के लिए नियमावली

संगणकों की जानकारी के लिए नियमावली के तौर पर रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का कार्यालय (गृह मंत्रालय, भारत सरकार) ने 'Instruction Manual for Updation of National Population Register (NPR) 2020 (For Enumerators and Supervisirs)' प्रकाशित की है। अधिक जानकारी के लिए आप जनगणना विभाग की वेबसाइट http://censusindia.gov.in/ देख सकते हैं।

अन्य

पिछली जनगणनाओं में कभी भी पिता और माता की जन्म तिथि और जन्मस्थान की जानकारियाँ एकत्र नहीं की गईं, जो इस बार की जा रही हैं। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के चलते यह विवाद का विषय बन गया है। इस जानकारी-लेख के लेखक का मानना है कि बहुत से नागरिक इस बात से डर रहे हैं कि इन जानकारियों की वजह से उनकी भारतीय नागरिकता जा सकती है, क्योंकि उनके पास इस सम्बन्ध में दिखाने के लिए कोई कागजात नहीं हैं। केंद्र सरकार के एक मंत्री का यह कहना कि पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि नागरिकता के मान्य दस्तावेज नहीं हैं। यह बयान बहुत से नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यक वर्ग, में डर और संशय पैदा कर रहा है। जिस प्रकार असम में अभी भी उन्नीस लाख लोग अभी भी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से बाहर हैं, उससे उनकी चिंता और बढ़ रही है। इस सम्बन्ध में नागरिकों की चिंता को ख़त्म करने के लिए सरकार को विशेष घोषणा करनी चाहिए, जिससे देश में विरोध का वातावरण समाप्त हो सके।

- केशव राम सिंघल

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