दुःखद ! राजनीति अँधेरे में भटकती रही
और
दिल्ली सुलगती रही !
विपक्ष खामोश रहा
और
सत्ता पक्ष हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा !
पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता देखने को मिली !
परिणाम -
चार दर्जन से अधिक मौते,
ढाई सौ से अधिक घायल
और
हजारों करोड़ों की संपत्ति स्वाहा !
कुछ प्रश्न सामने हैं -
कोसे किसे ?
पंगु राजनीतिक नेतृत्व ?
ढहती राजनीतिक प्रणाली ?
देश खो रहा धर्म-निरपेक्ष चरित्र ?
देश अग्रसर गैर-लोकतांत्रिक चरित्र की ओर ?
पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक ?
सामाजिक विचलन ?
साम्प्रदायिकता ?
टूटता सामाजिक सौहार्द ?
ध्रुवीकरण ?
शस्त्र नहीं, सौहार्द चाहिए !
दंगा नहीं, अमन चाहिए !
नफ़रत नहीं, प्यार चाहिए !
हिंसा नहीं, अहिंसा चाहिए !
जय हिन्द ! जय भारत !!
- केशव राम सिंघल
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