*अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस - औपचारिकता या सशक्तीकरण*
हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना रहा है। 8 मार्च 2021 को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का विषय "नेतृत्व में महिलाएँ - कोविड-19 संसार में बराबरी का भविष्य" (Women in Leadership – An
Equal Future in a COVID-19 World) है। इस वर्ष का यह विषय स्वास्थ्य देखभाल करने वालों, श्रमिकों, अन्वेषकों आदि में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को रेखांकित करने के लिए रखा गया है। यह सही है कि महिलाओं की स्थिति में पहले के मुकाबले सुधार हुआ है। राष्ट्र की प्रगति में तेजी लाने के लिए महिलाओं को हर क्षेत्र में समान हितकारकों के रूप में शामिल करने की जरुरत है। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और वे अब उन क्षेत्रों में कदम रख रहीं हैं, जिन क्षेत्रों में पहले महिलाएँ पहले कदम नहीं रखती थीं। पर महिलाओं की वर्तमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में सुधार की और क्या जरुरत है, इस पर और विचार किया जाना चाहिए।
*महिलाओं की
वित्तीय साक्षरता और आर्थिक स्वतंत्रता*
अर्थव्यवस्था
में महिलाओं की सहभागिता के बिना सामाजिक गतिशीलता को बदला नहीं जा सकता। प्रायः यह
देखा गया कि पढ़ी-लिखी महिलाएं जो अपने पैरों पर खड़ी हैं और अच्छा-खासा कमा रही है,
वे भी आर्थिक मामलों में निकट सम्बन्धी पुरुष (पति, पिता, भाई) पर आश्रित रहती हैं,
क्योंकि वित्तीय साक्षरता का उनमें अभाव होता है। जरुरत इस बात की है कि हर महिला अपने,
अपने परिवार, समाज और देश से जुड़े आर्थिक मामलों को समझे और यह तभी संभव होगा जब वित्तीय
मामलों में उनकी जागरूकता में वृद्धि होगी। वित्तीय अधिकारों, जिम्मेदारियों एवं आय
सृजन के अवसरों के बारे में महिलाओं की समझ को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। आज हमारे
देश में आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण की प्रक्रिया तेजी बढ़ रही है, ऐसे में वित्तीय
सेवाओं के बारे में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करना, उनमें आरंभ में ही वित्तीय
नियमों और विनियमों की जानकारी बढ़ाना, उनमें वित्तीय निवेश के अनुशासन की भावना का
संचार करना न केवल उन्हें बेहतर ढंग से घर चलाने में सक्षम बनायेगा बल्कि इससे हमारे
देश के भाग्य में बदलाव लाने में भी मदद मिलेगी। वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं
को सशक्त बनाना न केवल लैंगिक अंतर को पाटने में सहायक होगा बल्कि यह महिलाओं के लिए
अधिक खुशहाल भविष्य भी सुनिश्चित करेगा। आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण
और कौशल प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। वित्तीय रूप से साक्षर महिलाएं निवेशों और
बचतों के जरिये बेहतर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं। महिलाओं द्वारा निर्मित
उत्पादों को बढ़ावा देने, बेचने और उनकी आय का समुचित निवेश सुनिश्चित करने के लिए
डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में हर तबके की महिलाओं को प्रशिक्षित करने की जरुरत
है।
*लैंगिक समानता
के लिए लैंगिक तटस्थता की जरुरत*
प्रत्येक बच्चे
का अधिकार है कि उसकी क्षमता के विकास का उसे पूरा मौका मिले, लेकिन लैंगिक असमानता
की वजह से वह ठीक से फल फूल नहीं पाते हैं। भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में, बल्कि हर जगह लिंग
असमानता दिखाई देती है। पाठ्यपुस्तकों, फिल्मों, मीडिया ,
कार्यस्थलों आदि सभी जगह उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। लैंगिक समानता
न केवल महिलाओं की बल्कि हर व्यक्ति की चिंता होनी चाहिए। लैंगिक समानता के लिए जरूरी
है कि पुरुष प्रधान समाज का खात्मा हो, पर इसका अर्थ स्त्री प्रधान समाज की स्थापना
नहीं है। समाज समता-मूलक समाज की ओर बढ़े जहाँ सभी के साथ समानता का व्यवहार हो। लैंगिक
समानता के लिए लैंगिक तटस्थता की जरुरत है। इसके लिए भाषा में भी तटस्थ शब्दों का उपयोग
जरूरी है। भारत में लैंगिक असमानता के कारण अवसरों में भी असमानता उत्पन्न होती है।
आँकड़ों के आधार पर देखें तो इस भेदभाव से सबसे अधिक लड़कियां बहुत से अवसरों से वंचित
रह जाती हैं।
*सामाजिक और
शैक्षणिक स्तर पर*
नेतृत्व की दृष्टि
से देखें तो नेतृत्व में पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या बहुत कम है। सामाजिक
और शैक्षणिक स्तर पर अधिक प्रयत्न करने की जरुरत है। महिला आरक्षण से अधिक महिलाओं
के सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों और गरीब घरों
में अभी भी बालिकाओं की शिक्षा पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाता। इसके लिए अनिवार्य
शिक्षा कानून लाने की जरुरत है, जिसके अंतर्गत सोलह साल तक के बच्चों को शिक्षा देने
के लिए स्कूल भेजने का दायित्व अभिभावक का हो और सरकार की जिम्मेदारी हो कि वह हर बच्चे
को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराए। जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी
महिलाओं के सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर बदलाव आएगा और महिलाएं सशक्त हो सकेगीं।
अंतरराष्ट्रीय
महिला दिवस पर सभी महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएँ। आओ इस बार का अंतरराष्ट्रीय महिला
दिवस मनाते समय औपचारिकता से आगे बढ़कर महिला सशक्तिकरण की ओर कदम उठाने का प्रण लें,
तभी महिला दिवस मनाना सार्थक हो सकेगा।
जय हिन्द, जय
भारत !
- केशव राम सिंघल
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