शुक्रवार, 6 जून 2025

क्रिप्टोकरेंसी पर चीन का सख्त रुख - वैश्विक प्रभाव और भारत की नीतियाँ

क्रिप्टोकरेंसी पर चीन का सख्त रुख - वैश्विक प्रभाव और भारत की नीतियाँ

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क्रिप्टोकरेंसी का प्रतीकात्मक चित्र - साभार NightCafe 

चीन ने क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन, इथेरियम, सोलाना,डॉजकॉइन, एडीए आदि) पर कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। मई 2025 तक की जानकारी के आधार पर, चीन ने न केवल क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग और माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया है, बल्कि व्यक्तिगत क्रिप्टोकरेंसी होल्डिंग को भी अवैध घोषित कर दिया है। कुछ अपुष्ट रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन में क्रिप्टो वॉलेट पर कार्रवाई की गई है, लेकिन ब्लॉकचेन की प्रकृति के कारण यह तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है। फिर भी, चीन सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित गतिविधियों पर सख्त निगरानी और दंडात्मक कार्रवाइयाँ शुरू कर दी हैं, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकने के लिए कदम शामिल हैं। चीन में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर भी प्रतिबन्ध लग गया है।  


चीन द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के कारण


चीन में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के पीछे निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं - 


- मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियाँ - चीन सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी, और आतंकवादी वित्तपोषण जैसी अवैध और अपराध गतिविधियों के लिए हो सकता है, क्योंकि यह विकेन्द्रीकृत और गुमनाम है।


- वित्तीय स्थिरता को खतरा - क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता और अनियमित प्रकृति को चीन सरकार वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा मानती है, जो पूंजी प्रवाह और मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकती है।


- डिजिटल युआन को बढ़ावा - चीन अब अपनी केंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा, डिजिटल युआन (e-CNY), को बढ़ावा देना चाहती है, जो सरकार द्वारा नियंत्रित है। क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाकर, सरकार डिजिटल युआन को प्राथमिकता देना चाहती है।


- ऊर्जा खपत और पर्यावरण - क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग, विशेष रूप से बिटकॉइन, भारी मात्रा में ऊर्जा की खपत करता है, जो चीन के कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्यों के विपरीत है। 


चीन के क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रभाव 


चीन के क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबन्ध लगाने के फैसले का यह प्रभाव पड़ा है कि तमाम क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट आई है। कुछ देश क्रिप्टोकरेंसी को नियमन के दायरे में ला रहे हैं, जबकि अन्य (जैसे अल सल्वाडोर) इसे अपनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। चीन में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर प्रतिबन्ध के कारण माइनर्स उन देशों का रुख करेंगे, जहाँ क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर प्रतिबन्ध नहीं है। 


विश्व में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाले देश


विश्व में कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगाए हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख देश हैं - 


- चीन - जैसा कि ऊपर बताया गया, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग, माइनिंग, और होल्डिंग पर पूर्ण प्रतिबंध।

- उत्तर कोरिया - क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध, क्योंकि इसे अवैध गतिविधियों से जोड़ा जाता है।

- बोलीविया - 2014 से क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध, क्योंकि यह बोलीविया केंद्रीय बैंक की नीतियों को कमजोर करता है।

- अल्जीरिया - 2018 से क्रिप्टोकरेंसी खरीद, बिक्री, और उपयोग पर प्रतिबंध।

- मोरक्को - 2017 से क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर प्रतिबंध, मनी लॉन्ड्रिंग की चिंताओं के कारण।

- नेपाल - 2017 से क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध, क्योंकि नेपाल में इसे अवैध माना जाता है।

- मिस्र - 2018 में क्रिप्टोकरेंसी को गैर-कानूनी घोषित किया गया, धार्मिक और वित्तीय स्थिरता के आधार पर।

- इराक - क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर प्रतिबंध, वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने के लिए।


कुछ देशों जैसे बांग्लादेश, कतर, और सऊदी अरब में आंशिक प्रतिबंध हैं, जहाँ क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को सीमित किया गया है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। इसके विपरीत, अल सल्वाडोर जैसे देशों ने बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा के रूप में स्वीकार किया है। 


भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत सरकार के कदम


भारत में क्रिप्टोकरेंसी का नियमन एक जटिल और विकासशील मुद्दा है। भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं -


- कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं - भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसे कानूनी मुद्रा के रूप में भी मान्यता नहीं दी गई है। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने RBI द्वारा 2018 में लगाए गए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर प्रतिबंध को हटा दिया था। 


- कर व्यवस्था - 2022 के केंद्रीय बजट में, भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30% टैक्स और प्रत्येक लेनदेन पर 1% TDS (स्रोत पर कर कटौती) लागू किया। भारत सरकार का यह कदम क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल संपत्ति के रूप में मान्यता देता है, न कि मुद्रा के रूप में। 


- नियामक ढांचे की योजना - भारत सरकार ने 2021 में "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक" प्रस्तावित किया था, जिसका उद्देश्य निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और RBI द्वारा डिजिटल रुपये को बढ़ावा देना था। हालांकि, यह विधेयक अभी तक लागू नहीं हुआ है।


- मनी लॉन्ड्रिंग नियम - 2023 में, भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत लाया गया, जिसके तहत एक्सचेंजों को केवाईसी (KYC) और लेनदेन की निगरानी करनी होती है। 


- विदेशी एक्सचेंजों पर कार्रवाई - 2024 में, वित्त मंत्रालय ने बायनेंस जैसे कुछ विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंजों के वेबसाइट (URL) पर प्रतिबंध लगाया, क्योंकि वे भारतीय नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। 


- भारतीय रिजर्व बैंक की सतर्कता - भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है और इसे "जुआ" की तरह माना है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल रुपये (CBDC) के पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।


सार 


चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, जो वित्तीय नियंत्रण, मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम, और डिजिटल युआन को बढ़ावा देने की रणनीति का हिस्सा है। विश्व में कई अन्य देशों ने भी क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगाए हैं। भारत में क्रिप्टोकरेंसी का नियमन प्रारंभिक चरण में है। कराधान और मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के माध्यम से सरकार इसे नियंत्रित करने की दिशा में काम कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  का डिजिटल रुपया भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के रूप में उभर सकता है।


सादर,

केशव राम सिंघल 


(आलेख-लेखक सेवानिवृत बैंक अधिकारी हैं तथा 'बिटकॉइन क्या है' किंडल पुस्तक के लेखक हैं, जो अमेजन पर उपलब्ध है।) 


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