गुरुवार, 5 जून 2025

🌿पर्यावरण के लिए सकारात्मक परिवर्तन आवश्यक🌿

 🌿पर्यावरण के लिए सकारात्मक परिवर्तन आवश्यक🌿











आज बच्चे हों या बड़े – सभी पर्यावरण संरक्षण की बात करते हैं। इस विषय में जानकारी की कोई कमी नहीं है, लेकिन व्यवहारिक अमल अत्यंत सीमित है। यह हमारी उदासीन मानसिकता को दर्शाता है कि जिस विषय पर हम सजग हैं, उसे केवल चर्चाओं और औपचारिक आयोजनों तक सीमित कर देते हैं। यह स्थिति निश्चित ही चिंता का विषय है।


आज विश्व पर्यावरण दिवस है। समाचार-पत्रों में पर्यावरण संबंधी लेख, विचार और आकंड़े प्रकाशित हो रहे हैं। मंचों पर भाषण हो रहे हैं। हम सब पर्यावरण के प्रति जागरूक दिखते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या हमने स्वयं अपने जीवन में कोई बदलाव किया है? क्या हमने प्लास्टिक, पेट्रोल, बिजली जैसी संसाधनों की खपत को घटाने का प्रयास किया है?


सच्चाई यह है कि हम में से अधिकांश केवल 'पर्यावरण पर उपदेश' देने तक सीमित हैं। अब समय आ गया है कि हम केवल विचार और ज्ञान तक न रुकें, बल्कि अपने व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ।


विश्व पर्यावरण दिवस की **सार्थकता** तभी सिद्ध होगी, जब हम व्यक्तिगत, सामाजिक और नीति-निर्माण स्तर पर ठोस कदम उठाएँ। उदाहरण स्वरूप -


व्यक्तिगत स्तर पर - 


* पुनः उपयोग (Reuse), पुनः चक्रण (Recycle) और ऊर्जा संरक्षण जैसे उपाय अपनाएँ।

* बिजली, पानी और ईंधन की बचत करें।

* प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।


✅  सामाजिक स्तर पर -


* स्थानीय स्तर पर जन-जागरण करें।

* स्कूलों, संस्थानों व कॉलोनियों में वृक्षारोपण व पर्यावरणीय गतिविधियाँ आयोजित करें।

* समाज में सकारात्मक वातावरण निर्माण करें।


नीति-निर्माण स्तर पर - 


* सरकारों पर पर्यावरण हितैषी नीतियाँ लागू करने का दबाव बनाएँ।

* विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन पर बल दें।


हमें यह समझना होगा कि पर्यावरण संरक्षण कोई एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि 'हर दिन का जीवन मूल्य' है। पर्यावरण संरक्षण केवल एक "दिन" का मुद्दा नहीं है, यह हमारे "हर दिन" का व्यवहार बनना चाहिए। विचारों को कर्म में बदलना ही सच्चा पर्यावरण प्रेम है। जब विचारों को व्यवहार में ढाला जाएगा, तभी हम वास्तव में पर्यावरण प्रेमी कहला सकेंगे। 


🌱आइए, इस पर्यावरण दिवस पर हम संकल्प लें कि हम अपने व्यवहार से धरती माँ का ऋण चुकाने की दिशा में सार्थक कदम उठाएँगे।


विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ,

केशव राम सिंघल


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