शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

शिक्षा में त्रिभाषा फार्मूला

शिक्षा में त्रिभाषा फार्मूला

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भारत जैसे बहुभाषी देश में शिक्षा नीति का उद्देश्य न केवल ज्ञान देना है, बल्कि भाषाई विविधता को संरक्षित करना भी है। इसी उद्देश्य से त्रिभाषा फार्मूला लागू किया गया, लेकिन इस पर मतभेद बने हुए हैं।

 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, "हम हिंदी थोपने का विरोध करेंगे। हिंदी एक मुखौटा है, जबकि संस्कृत इसका छिपा हुआ चेहरा है।" केंद्र सरकार ने स्टालिन द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मैथिली, ब्रजभाषा, बुंदेलखंडी और अवधी जैसी भाषाओं को हिंदी के प्रभुत्व ने खत्म कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 25 से अधिक उत्तर भारतीय भाषाएँ हिंदी और संस्कृत के प्रभुत्व के कारण प्रभावित हुई हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संस्कृत को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसे राज्य सरकारों पर थोपने की कोशिश हो रही है। यदि तमिलनाडु त्रिभाषा नीति को स्वीकार कर लेता है, तो तमिल को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और भविष्य में संस्कृत का दबदबा रहेगा।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत त्रिभाषा फार्मूला क्या है?

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत प्रस्तावित त्रिभाषा फार्मूला एक शैक्षणिक ढाँचा है, जिसके अनुसार बच्चों को तीन भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। पहली भाषा आमतौर पर छात्र की मातृभाषा या राज्य की क्षेत्रीय भाषा होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक, भारत के सभी छात्रों को कम से कम तीन भाषाएँ सीखनी होंगी, जिनमें से दो भारतीय भाषाएँ होनी चाहिए और तीसरी अंग्रेज़ी होनी चाहिए। यह फार्मूला सरकारी और निजी दोनों स्कूलों पर लागू होता है।

 

समाधान क्या हो सकता है?

 

त्रिभाषा फार्मूला में हिंदी या संस्कृत को लेकर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए। यह मुख्यतः छात्रों की इच्छा पर निर्भर होना चाहिए। भारत की शिक्षा प्रणाली में त्रिभाषा फार्मूले को लेकर अक्सर बहस होती है, क्योंकि यह भाषा, सांस्कृतिक पहचान और व्यावहारिक उपयोगिता से जुड़ा हुआ मुद्दा है। सर्वसम्मत समाधान इस प्रकार हो सकता है -

 

मातृभाषा को प्राथमिकता - प्राथमिक शिक्षा (कम से कम 5वीं कक्षा तक) मातृभाषा में होनी चाहिए, जिससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता और समझ बेहतर हो। इससे बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ेगी और उनकी मौलिक सोच का विकास होगा।

 

संपर्क भाषा का विकल्प - मातृभाषा के अलावा हिंदी, संस्कृत, या कोई अन्य भारतीय भाषा सीखने की छूट होनी चाहिए। जिनकी मातृभाषा हिंदी या संस्कृत है, उन्हें अन्य भारतीय भाषाओं में से कोई भाषा चुनने का विकल्प मिलना चाहिए।

 

वैश्विक संपर्क भाषा - अंग्रेजी या अन्य किसी विदेशी भाषा को सीखने की सुविधा होनी चाहिए, जिससे छात्रों को वैश्विक स्तर पर अवसर मिल सकें।

 

त्रिभाषा फार्मूला में संस्कृत को अन्य भारतीय भाषाओं के बराबर रखा गया है, जबकि यह एक शास्त्रीय भाषा है। इसे अनिवार्य बनाने की बजाय विकल्प के रूप में ही रखना उचित होगा।

 

इस प्रकार गैर-हिंदी राज्य, जैसे तमिलनाडु के छात्र पढ़ेंगे -

 

(1) तमिल

 

(2) तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बंगाली, हिंदी या कोई अन्य भारतीय भाषा

 

(3) अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा

 

वहीं, हिंदी-भाषी राज्य राजस्थान के छात्र पढ़ेंगे -

 

(1) हिंदी

 

(2) तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बंगाली, तमिल या कोई अन्य भारतीय भाषा

 

(3) अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा

 

इससे त्रिभाषा फार्मूला भी रहेगा और हिंदी या संस्कृत को किसी पर थोपने की बात नहीं होगी। राज्य सरकारों और शिक्षण संस्थानों को अधिक से अधिक भाषाओं के अध्ययन की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि छात्रों को समुचित विकल्प मिल सके। त्रिभाषा फार्मूले को कठोर नियमों की बजाय लचीलेपन के साथ लागू किया जाना चाहिए।

 

त्रिभाषा फार्मूले का उद्देश्य भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देना है, न कि किसी भाषा को थोपना। राज्य सरकारों और शिक्षण संस्थानों को अधिकतम भाषाई विकल्प प्रदान करने चाहिए, जिससे छात्र अपनी सुविधा और रुचि के अनुसार भाषा चुन सकें। हिंदी-भाषी राज्यों में भी अन्य भारतीय भाषाओं को सीखने की प्रवृत्ति बढ़ाने की जरूरत है। इससे विविधता को संजोने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता को भी मजबूती मिलेगी।

 

सादर,

केशव राम सिंघल

 


बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

रूस और यूक्रेन

रूस और यूक्रेन 
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अट्ठारवीं शताब्दी में रूसी महारानी कैथरीन द ग्रेट ने यूक्रेन के पूरे इलाके को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। बीसवीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन का ज़्यादातर हिस्सा रूसी साम्राज्य का हिस्सा था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, यूक्रेन का ज़्यादातर हिस्सा सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। 1918 में तीन साल के लिए यूक्रेन आजाद हुआ, लेकिन ब्लादिमीर लेनिन के प्रयास पर यूक्रेन को सोवियत संघ में शामिल कर लिया गया और 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। सोवियत संघ के दौरान, यूक्रेन में राष्ट्रवादी और अलगाववादी भावना बढ़ी। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन आज़ाद हो गया। सोवियत संघ के विघटन के बाद, यूक्रेन ने होलोडोमोर की याद में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई और अनेक पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक-आर्थिक सम्बन्ध कायम किए, जो रूस को पसंद नहीं आए। रूस चाहता था कि यूक्रेन पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी न बढ़ाए। 

फरवरी 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, और अप्रैल 2014 में रूस-समर्थित अलगाववादियों ने डोनबास क्षेत्र में विद्रोह किया, जिससे यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष तेज हो गया। मैदान क्रांति के कारण फरवरी 2014 में विक्टर यानुकोविच को यूक्रेन में सत्ता से हटा दिया गया टी वह रूस बाग़ गए थे। रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी, जिसमें चौदह हजार से भी अधिक लोग मारे गए। रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। 11 फरवरी 2015 को बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस, यूक्रेन, जर्मनी और फ़्रांस के नेता इकट्ठे हुए और शान्ति समझौता हुआ, जिससे जंग तो रुक गई पर स्थाई समाधान नहीं निकला। हालांकि, मिन्स्क समझौते के बाद भी संघर्ष पूरी तरह नहीं रुका और समय-समय पर युद्धविराम उल्लंघन होते रहे। रूस और यूक्रेन के बीच समय-समय पर तनाव बढ़ता रहा। अप्रेल 2021 में रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर एक लाख से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए। इस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद करेगा। नवम्बर 2021 में रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर सेना की तैनाती और बढ़ा दी। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से जंग शुरू न करने को कहा तो पुतिन ने शर्त रखी कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाए। 26 जनवरी 2022 को अमेरिका और नाटो ने कहा कि वे किसी भी संप्रभु देश को नाटो में शामिल होने से नहीं रोक सकते, हालांकि वे रूस की सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं। इस दौरान रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चलता रहा और 21 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क प्रदेशों को जीतने के बाद आजादी की मान्यता दे दी और 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ स्पेशल मिलट्री ऑपरेशन का एलान कर दिया। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत प्रमुख शहरों पर हवाई हमले किए और पूर्व, उत्तर और दक्षिण तीन तरफ से जमीनी हमले शुरू कर दिए।  24 फरवरी 2022 को अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन-रूस संघर्ष में तबाही और मौतों के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया, रूस पर कई आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए और यूक्रेन को हथियारों से मदद की। जब तक बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, अमेरिका यूक्रेन का समर्थन और रूस का विरोध कर रहा था। नवम्बर 2024 को हुए चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए और 20 दिसंबर 2024 को उन्होंने विधिवत अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। उसके बाद अमेरिका की नीतियों में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर परिवर्तन देखने को मिला। 

















अमेरिका ने मंगलवार 25 फरवरी 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में यूक्रेनी प्रस्ताव के खिलाफ रूस के समर्थन में वोटिंग की। यूक्रेन ने रूस के साथ युद्ध को 3 साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में रूसी हमले की निंदा करने और यूक्रेन से तत्काल रूसी सेना को वापस बुलाने की मांग की गई थी। अमेरिका ने अपनी पुरानी नीतियों के उलट साथी यूरोपीय देशों के खिलाफ जाकर इस प्रस्ताव के विपक्ष में मतदान किया। जबसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तब से पहली बार अमेरिका और इजराइल ने यूक्रेन के खिलाफ वोट किया है। भारत और चीन समेत 65 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव का समर्थन करने वालों में जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे प्रमुख यूरोपीय देश शामिल हैं। यह प्रस्ताव 18 के मुकाबले 93 मतों से पारित हो गया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश यूक्रेनी प्रस्ताव में तीन प्रमुख बातों का उल्लेख था - (1) यूक्रेन से रूसी सेना की तत्काल वापसी, (2) यूक्रेन में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति, और (3) युद्ध अपराधों के लिए रूस की जवाबदेही। अमेरिका ने भी एक प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किया, जिसमें रूस का जिक्र तक नहीं किया। अमेरिका के प्रस्ताव में न तो रूसी हमले का जिक्र था और न ही किसी तरह की निंदा की। इसमें बस दोनों देशों में हुए जानमाल के नुकसान पर शोक जाहिर किया गया। अमेरिका ने कहा कि वो लड़ाई को जल्द खत्म करके यूक्रेन और रूस के बीच स्थायी शांति की अपील करता है। 

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नीति में बदलाव आया। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया और यूक्रेन को दी जा रही सैन्य व वित्तीय सहायता पर पुनर्विचार कर रहा है। यह परिवर्तन यूक्रेन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। 

सादर, 
केशव राम सिंघल 
रूस-यूक्रेन युद्ध प्रतीकात्मक चित्र - साभार NightCafe 

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

विचारों की शक्ति - कल्पना से हकीकत तक

विचारों की शक्ति - कल्पना से हकीकत तक 
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इंग्लैंड के लेखक एम पी नियरी ने अपनी पुस्तक 'Free Your Mind' (अपना मस्तिष्क स्वतन्त्र करो) में एक वैज्ञानिक प्रयोग का जिक्र किया है, जिसमें बताया कि कुछ वैज्ञानिक विचार की शक्ति के बारे में कुछ लोगों के बीच बनाए दो समूहों में एक प्रयोग कर रहे थे, जिसमें एक समूह के लोग अपनी मांसपेशियों के निर्माण के लिए चार सप्ताह से व्यायाम कर रहे थे और दूसरे समूह के लोग इस अवधि के दौरान केवल व्यायाम करना सोच रहे थे। आश्चर्य की बात यह रही कि जिस समूह के लोग केवल व्यायाम करना सोच रहे थे, वे भी अपनी मांसपेशियों को 22 प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रहे।

है ना आश्चर्यजनक बात .... केवल विचार करने से .... मुझे भी याद आया। कुछ दिनों पूर्व जब मैं बीमार पढ़ गया था। मैं अवसाद में था और मैं सोच रहा था कि अब मेरे से कोई काम नहीं होगा, अब मैं बिस्तर पर पड़ जाऊंगा और वास्तव में ऐसा ही हुआ। मैं बीमार पड़ गया। कई दिनों तक मैं बिस्तर पर पड़ा रहा। एक दिन मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझसे कहा -"तुम कल तक ठीक हो जाओगे। यह बीमारी कुछ नहीं है। कुछ थकान थी, जो उतर चुकी है।" मैं विचार करने लगा - मैं पहले से बेहतर हूँ। कल तक ठीक हो जाऊँगा, जैसा मेरे दोस्त ने कहा। आश्चर्य मैं अगले दिन ठीक हो गया और बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। अपने विचारों को सकारात्मक रखें, वे आपके शब्द बनेंगे। आत्मविश्वास ही हमारी असली ताकत है। अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा ही होगा।

एक कहानी मुझे याद आयी। एक बुजुर्ग महिला को किसी काम से पास के गाँव में जाना था। उस महिला ने अपना सामान एक गठरी में बांधा और पैदल ही चल पड़ी। एक तो बुजुर्ग और दूसरे रास्ते में धूप-गर्मी तेज होने के कारण गठरी के साथ पैदल चलने में उसे बहुत कठिनाई हो रही थी। वह महिला बहुत थक गयी थी। तभी उसे एक घुड़सवार आता दिखाई दिया। उसने घुड़सवार को रोका और पूछा कि कहाँ जा रहे हो। घुड़सवार ने बताया कि वह पास के गाँव जा रहा है। बुजुर्ग महिला ने घुड़सवार से कहा - भैया ! इस गठरी के साथ चलना मुश्किल हो रहा है। मेरी गठरी को तुम अपने घोड़े पर रखकर ले चलो। गाँव पहुँचकर मैं इसे तुमसे ले लूँगी। घुड़सवार नाराज होकर बोला - नाहक मेरा समय खराब किया। मैं क्यों तुम्हारी गठरी उठाकर ले जाऊँ? अपनी परेशानी से तुम खुद ही निपटो। ऐसा कहकर वह घुड़सवार आगे बढ़ गया, लेकिन कुछ दूर जाने पर उसके मन में विचार आया कि मैं गठरी ले लेता तो अच्छा ही रहता। अगर गाँव पहुंचने के बाद मैं उसकी गठरी वापस नहीं देता, तो वह महिला कौन सा मुझे पहचानती है? उसी समय बुजुर्ग महिला के मन में भी विचार आया - अच्छा हुआ, घुड़सवार मेरी गठरी लेकर नहीं गया। अगर गाँव पहुँचकर वह मेरी गठरी नहीं लौटाता तो मैं उसे कहाँ ढूंढती? मैं कौन सा उसे पहचानती हूँ। थोड़ी देर में ही उस घुड़सवार ने वापस आकर महिला से कहा - अम्मा, लाओ अपनी गठरी मुझे दे दो। मैं इसे घोड़े पर रख लेता हूँ। महिला ने घुड़सवार से कहा - कहीं तुम यह सोचकर तो वापस नहीं आए कि मेरी गठरी लेकर भाग जाओगे? ये सुनकर घुड़सवार घबराहट में बोला - नहीं तो, पर तुमने ऐसा क्यों सोचा। बुजुर्ग महिला ने कहा - भैया ! इस घटना से एक कीमती बात जो मैं समझ सकी वह यह है कि व्यक्ति के विचार दूसरों तक बहुत तीव्र गति से पहुँच जाते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब मानव-मस्तिष्क के भीतर न्यूरोन्स के कारण होता है, जो हर समय काम करता है। न्यूरोन्स तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं जो हमारे मस्तिष्क में सूचनाएँ प्रसारित और आदेशित करती हैं। यह बेहद रोमांचित करने वाली बात है कि न्यूरोन्स हमारे शरीर की अन्य कोशिकाओं को विद्युतीय और रासायनिक संकेत प्रकाश गति से भेजते हैं। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि हमारे शरीर में दस करोड़ न्यूरोन्स कोशिकाएं होती हैं, औसतन प्रत्येक न्यूरोन कोशिका के पाँच हजार कनेक्शंस होते हैं, जो कि एक नेटवर्क से जुड़े पाँच सौ खरब माइक्रोप्रोसेसर्स के बराबर होते हैं। इस प्रकार हमारा मस्तिष्क एक बहुत ही बढ़िया यंत्र है, कोई संदेह नहीं कि हमारी खोपड़ी के भीतर एक बेहतरीन प्राकृतिक संसाधन है। अपने आस-पास हम जो भी इंसान के द्वारा बनाई गई चीजे देख रहे हैं, वे सभी किसी न किसी के विचार थे। विचार ही है जो हमारी दुनिया को नया आकार देते है और बेहतर से और बेहतर बनाने की ओर बढ़ते हैं। 

विचारों की शक्ति केवल हमारी चेतना को ही नहीं बल्कि भौतिक वास्तविकता को भी प्रभावित कर सकती है। न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) पर हुए वैज्ञानिक अनुसंधान यह सिद्ध करते हैं कि मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को विचारों द्वारा बदला जा सकता है। न्यूरोप्लास्टिसिटी का अर्थ है कि हमारा मस्तिष्क लगातार नए अनुभवों और विचारों के आधार पर स्वयं को पुनः संरचित कर सकता है। अनेक शोध बताते हैं कि सकारात्मक सोच से न्यूरोन्स के बीच मजबूत कनेक्शन बनते हैं, जिससे निर्णय क्षमता, समस्या समाधान, और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। डॉ. कैरल ड्वेक के शोध ने यह सिद्ध किया कि सकारात्मक मानसिकता रखने वाले व्यक्ति जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। सकारात्मक विचार मस्तिष्क में डोपामिन नामक रसायन का स्राव बढ़ाते हैं, जिससे व्यक्ति अधिक आत्मविश्वास महसूस करता है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त करता है। 

हमने इस संसार में सफलता की अनेक कहानियाँ सुनी हैं, जिनके पीछे सकारात्मक सोच एक महत्वपूर्ण कारण रहा है। जब थॉमस एडिसन बल्ब का आविष्कार कर रहे थे, तो कई बार असफल होने के बावजूद उन्होंने नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी नहीं होने दिया और अंततः वे सफलता प्राप्त कर सके। दृष्टिहीन और श्रवणहीन होते हुए भी हेलेन केलर ने शिक्षा प्राप्त की और एक सफल लेखिका एवं समाज सुधारक बनीं। उन्होंने अपनी परिस्थितियों को बाधा न मानते हुए अपने विचारों की शक्ति से असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। जन्म से बिना हाथ-पैर के होने के बावजूद निक वुजिसिक ने अपनी कल्पना शक्ति और सकारात्मक सोच के बल पर एक सफल प्रेरक वक्ता (motivational speaker) और लेखक के रूप में पहचान बनाई।

आओ ! हम अपने मस्तिष्क का सही उपयोग कर विचार शक्ति का दोहन करने की कल्पना करें।

यह निर्विवाद रूप से और अनेक अनुभवों से यह प्रमाणित हो चुका है कि विचार सिर्फ चेतना को ही नहीं, वरन पदार्थ को भी प्रभावित करते हैं। उसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर देना, यह विचार शक्ति की ही सामर्थ्य है। इस अद्भुत क्षमता को ध्यान में रखते हुए हमें विचार शक्ति के सदुपयोग के बारे में सोचना चाहिए। विचार शक्ति आपकी ही शक्ति है। यह अत्यंत शक्तिशाली है।

वास्तव में हमारा मस्तिष्क संसार के किसी भी सुपर कम्प्यूटर से अधिक शक्तिशाली है। एक सैकंड मस्तिष्क गतिविधि को मापने के लिए एक बड़े सुपर कम्प्यूटर ने चालीस मिनट का समय लिया। कल्पना (विचार) शक्ति की सांसारिक संभावित सीमाएं अवश्य होंगी।

ज़रा सोचिए - उन सभी चीजों के बारे में जो हम अपनी इच्छा शक्ति से पा सकते हैं !

हमारा कल्पना मस्तिष्क हमारे प्राकृतिक उपहारों, हमारे कौशल, हमारी प्रतिभा और हमारे मस्तिष्क की शक्ति को गजब रूप से बढ़ा सकता है। इसके अलावा अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी यह बहुत कुछ कर सकता है। हमें विश्वास करना चाहिए और हमें अपने जीवन की कठिनाईयों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में आई कथित कठिन सीमाओं के बाहर भी जीना सीख सकें। हमारी विचार शक्ति हमारी क्षमताओं को बढ़ाने में हमारी सहायता कर सकती है।

अल्बर्ट आईन्स्टीन ने कहा था, "कल्पना सब कुछ है। यह जीवन के आने वाले आकर्षण का पूर्वावलोकन है।" क्यों न हम अपनी कल्पना और विचारों का उपयोग अपने सपनों को साकार करने में करें। हमारा शरीर विचारों से प्रभावित होता है। अच्छे विचारों का शरीर पर अच्छा और बुरे विचारों का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति का स्वस्थ-निरोग रहना अथवा रोगग्रस्त हो जाना उत्कृष्ट या निकृष्ट चिंतन पर अवलम्बित होता है। विचार मनुष्य की सबसे अद्भुत शक्ति है। क्यों न हम अपने सपनों को सच करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करें?

शुभकामनाओं सहित,
केशव राम सिंघल

शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

सस्ते चैटजीपीटी-4 एक्सटेंशन - सुविधा या बड़ा धोखा?

सस्ते चैटजीपीटी-4 एक्सटेंशन - सुविधा या बड़ा धोखा?

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मैं चैटजीपीटी का एक संतुष्ट उपयोगकर्ता हूँ और इसकी निःशुल्क सेवाओं का लाभ लेता हूँ। हाल ही में, मैंने एक विज्ञापन देखा जिसमें आधिकारिक कीमत से कम कीमत में चैटजीपीटी-4 प्रीमियम खाता देने का दावा किया गया, लेकिन इसकी लॉगिन विधि ‘एक्सटेंशन के माध्यम से’ बताई गई। इससे मेरे मन में दो सवाल आए – यह एक्सटेंशन लॉगिन क्या है और क्या इसका उपयोग सुरक्षित है? चैटजीपीटी से मिले इनपुट्स के आधार पर, इस आलेख में मैं इन प्रश्नों के उत्तर साझा कर रहा हूँ ताकि अन्य लोग भी सतर्क रहें।


मेरा पहला सवाल - एक्सटेंशन लॉगिन क्या होता है और यह कैसे काम करता है? इस प्रश्न के उत्तर में मुझे पता चला कि "एक्सटेंशन के ज़रिए लॉगिन" विधि में आम तौर पर ब्राउज़र एक्सटेंशन या थर्ड-पार्टी सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करना शामिल होता है, जो बिना आधिकारिक सदस्यता के चैटजीपीटी-4 तक पहुँच प्रदान करने का दावा करता है। इस तरह का एक्सटेंशन अक्सर मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, मौजूदा प्रीमियम खाते में लॉग इन करते हैं और कई उपयोगकर्ताओं के साथ पहुँच साझा करते हैं। 


मेरा दूसरा सवाल - क्या यह एक्सटेंशन विधि सुरक्षित है? नहीं, यह सुरक्षित नहीं है। इसके कई गंभीर जोखिम हैं:


(1) सुरक्षा जोखिम

✔️ यह आपकी व्यक्तिगत जानकारी और लॉगिन क्रेडेंशियल्स चुरा सकता है।

✔️ कुछ एक्सटेंशन आपकी ब्राउज़िंग गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं।

✔️ इनमें से कई को ऐसे अनुमतियाँ चाहिए जो आपकी सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकती हैं।


(2) ओपनएआई (OpenAI) की सेवा शर्तों का उल्लंघन

✔️ ओपनएआई ऐसे किसी भी तृतीय-पक्ष पुनर्विक्रेता को अधिकृत नहीं करता।

✔️ यदि आप इस तरह की सेवा का उपयोग करते हैं, तो आपका अकाउंट स्थायी रूप से प्रतिबंधित (ban) किया जा सकता है।


(3) घोटाले और धोखाधड़ी

✔️ कई बार ये सेवाएँ कुछ दिनों या हफ्तों में बंद हो जाती हैं और इस तरह के उपयोगकर्ता को कोई रिफंड नहीं मिलता।

✔️ इस तरह के उपयोगकर्ता के डिवाइस पर वायरस, मैलवेयर या अन्य हानिकारक सॉफ़्टवेयर आ सकते हैं।


सुरक्षित विकल्प क्या हैं?


✅ ऐसे तृतीय-पक्ष पुनर्विक्रेताओं के ऑफ़र से बचें। यदि आपको जीपीटी-4 की ज़रूरत है, तो ओपनएआई की आधिकारिक वेबसाइट से ही चैटजीपीटी आधिकारिक मूल्य पर खरीदें।


✅ अगर आप चैटजीपीटी-4 का मुफ्त में उपयोग करना चाहते हैं, तो माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट का विकल्प आज़माएँ, जो GPT-4 का निःशुल्क एक्सेस देता है।


✅ गूगल जैमिनी और क्लाउड एआई भी मुफ्त विकल्प हैं।


अंतिम विचार: सतर्क रहें! 


एक्सटेंशन आधारित सस्ते ऑफर लुभावने लग सकते हैं, लेकिन वे उपयोगकर्ता की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। अगर आप चैटजीपीटी-4 का उपयोग करना चाहते हैं, तो सिर्फ ओपनएआई की आधिकारिक साइट से ही सदस्यता लें।


अगर निःशुल्क विकल्प की तलाश है, तो निःशुल्क चैटजीपीटी-3.5, माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट और अन्य विश्वसनीय एआई सेवाओं का उपयोग करें। 


सावधान रहें, सुरक्षित रहें! सिर्फ थोड़े पैसों की बचत के चक्कर में अपनी सुरक्षा से समझौता न करें।  


सादर, 

केशव राम सिंघल