बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

रूस और यूक्रेन

रूस और यूक्रेन 
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अट्ठारवीं शताब्दी में रूसी महारानी कैथरीन द ग्रेट ने यूक्रेन के पूरे इलाके को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। बीसवीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन का ज़्यादातर हिस्सा रूसी साम्राज्य का हिस्सा था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, यूक्रेन का ज़्यादातर हिस्सा सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। 1918 में तीन साल के लिए यूक्रेन आजाद हुआ, लेकिन ब्लादिमीर लेनिन के प्रयास पर यूक्रेन को सोवियत संघ में शामिल कर लिया गया और 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। सोवियत संघ के दौरान, यूक्रेन में राष्ट्रवादी और अलगाववादी भावना बढ़ी। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन आज़ाद हो गया। सोवियत संघ के विघटन के बाद, यूक्रेन ने होलोडोमोर की याद में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई और अनेक पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक-आर्थिक सम्बन्ध कायम किए, जो रूस को पसंद नहीं आए। रूस चाहता था कि यूक्रेन पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी न बढ़ाए। 

फरवरी 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, और अप्रैल 2014 में रूस-समर्थित अलगाववादियों ने डोनबास क्षेत्र में विद्रोह किया, जिससे यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष तेज हो गया। मैदान क्रांति के कारण फरवरी 2014 में विक्टर यानुकोविच को यूक्रेन में सत्ता से हटा दिया गया टी वह रूस बाग़ गए थे। रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी, जिसमें चौदह हजार से भी अधिक लोग मारे गए। रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। 11 फरवरी 2015 को बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस, यूक्रेन, जर्मनी और फ़्रांस के नेता इकट्ठे हुए और शान्ति समझौता हुआ, जिससे जंग तो रुक गई पर स्थाई समाधान नहीं निकला। हालांकि, मिन्स्क समझौते के बाद भी संघर्ष पूरी तरह नहीं रुका और समय-समय पर युद्धविराम उल्लंघन होते रहे। रूस और यूक्रेन के बीच समय-समय पर तनाव बढ़ता रहा। अप्रेल 2021 में रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर एक लाख से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए। इस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद करेगा। नवम्बर 2021 में रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर सेना की तैनाती और बढ़ा दी। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से जंग शुरू न करने को कहा तो पुतिन ने शर्त रखी कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाए। 26 जनवरी 2022 को अमेरिका और नाटो ने कहा कि वे किसी भी संप्रभु देश को नाटो में शामिल होने से नहीं रोक सकते, हालांकि वे रूस की सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं। इस दौरान रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चलता रहा और 21 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क प्रदेशों को जीतने के बाद आजादी की मान्यता दे दी और 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ स्पेशल मिलट्री ऑपरेशन का एलान कर दिया। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत प्रमुख शहरों पर हवाई हमले किए और पूर्व, उत्तर और दक्षिण तीन तरफ से जमीनी हमले शुरू कर दिए।  24 फरवरी 2022 को अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन-रूस संघर्ष में तबाही और मौतों के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया, रूस पर कई आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए और यूक्रेन को हथियारों से मदद की। जब तक बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, अमेरिका यूक्रेन का समर्थन और रूस का विरोध कर रहा था। नवम्बर 2024 को हुए चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए और 20 दिसंबर 2024 को उन्होंने विधिवत अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। उसके बाद अमेरिका की नीतियों में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर परिवर्तन देखने को मिला। 

















अमेरिका ने मंगलवार 25 फरवरी 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में यूक्रेनी प्रस्ताव के खिलाफ रूस के समर्थन में वोटिंग की। यूक्रेन ने रूस के साथ युद्ध को 3 साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में रूसी हमले की निंदा करने और यूक्रेन से तत्काल रूसी सेना को वापस बुलाने की मांग की गई थी। अमेरिका ने अपनी पुरानी नीतियों के उलट साथी यूरोपीय देशों के खिलाफ जाकर इस प्रस्ताव के विपक्ष में मतदान किया। जबसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तब से पहली बार अमेरिका और इजराइल ने यूक्रेन के खिलाफ वोट किया है। भारत और चीन समेत 65 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव का समर्थन करने वालों में जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे प्रमुख यूरोपीय देश शामिल हैं। यह प्रस्ताव 18 के मुकाबले 93 मतों से पारित हो गया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश यूक्रेनी प्रस्ताव में तीन प्रमुख बातों का उल्लेख था - (1) यूक्रेन से रूसी सेना की तत्काल वापसी, (2) यूक्रेन में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति, और (3) युद्ध अपराधों के लिए रूस की जवाबदेही। अमेरिका ने भी एक प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किया, जिसमें रूस का जिक्र तक नहीं किया। अमेरिका के प्रस्ताव में न तो रूसी हमले का जिक्र था और न ही किसी तरह की निंदा की। इसमें बस दोनों देशों में हुए जानमाल के नुकसान पर शोक जाहिर किया गया। अमेरिका ने कहा कि वो लड़ाई को जल्द खत्म करके यूक्रेन और रूस के बीच स्थायी शांति की अपील करता है। 

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नीति में बदलाव आया। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया और यूक्रेन को दी जा रही सैन्य व वित्तीय सहायता पर पुनर्विचार कर रहा है। यह परिवर्तन यूक्रेन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। 

सादर, 
केशव राम सिंघल 
रूस-यूक्रेन युद्ध प्रतीकात्मक चित्र - साभार NightCafe 

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