विचारों की शक्ति - कल्पना से हकीकत तक
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इंग्लैंड के लेखक एम पी नियरी ने अपनी पुस्तक 'Free Your Mind' (अपना मस्तिष्क स्वतन्त्र करो) में एक वैज्ञानिक प्रयोग का जिक्र किया है, जिसमें बताया कि कुछ वैज्ञानिक विचार की शक्ति के बारे में कुछ लोगों के बीच बनाए दो समूहों में एक प्रयोग कर रहे थे, जिसमें एक समूह के लोग अपनी मांसपेशियों के निर्माण के लिए चार सप्ताह से व्यायाम कर रहे थे और दूसरे समूह के लोग इस अवधि के दौरान केवल व्यायाम करना सोच रहे थे। आश्चर्य की बात यह रही कि जिस समूह के लोग केवल व्यायाम करना सोच रहे थे, वे भी अपनी मांसपेशियों को 22 प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रहे।
है ना आश्चर्यजनक बात .... केवल विचार करने से .... मुझे भी याद आया। कुछ दिनों पूर्व जब मैं बीमार पढ़ गया था। मैं अवसाद में था और मैं सोच रहा था कि अब मेरे से कोई काम नहीं होगा, अब मैं बिस्तर पर पड़ जाऊंगा और वास्तव में ऐसा ही हुआ। मैं बीमार पड़ गया। कई दिनों तक मैं बिस्तर पर पड़ा रहा। एक दिन मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझसे कहा -"तुम कल तक ठीक हो जाओगे। यह बीमारी कुछ नहीं है। कुछ थकान थी, जो उतर चुकी है।" मैं विचार करने लगा - मैं पहले से बेहतर हूँ। कल तक ठीक हो जाऊँगा, जैसा मेरे दोस्त ने कहा। आश्चर्य मैं अगले दिन ठीक हो गया और बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। अपने विचारों को सकारात्मक रखें, वे आपके शब्द बनेंगे। आत्मविश्वास ही हमारी असली ताकत है। अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा ही होगा।
एक कहानी मुझे याद आयी। एक बुजुर्ग महिला को किसी काम से पास के गाँव में जाना था। उस महिला ने अपना सामान एक गठरी में बांधा और पैदल ही चल पड़ी। एक तो बुजुर्ग और दूसरे रास्ते में धूप-गर्मी तेज होने के कारण गठरी के साथ पैदल चलने में उसे बहुत कठिनाई हो रही थी। वह महिला बहुत थक गयी थी। तभी उसे एक घुड़सवार आता दिखाई दिया। उसने घुड़सवार को रोका और पूछा कि कहाँ जा रहे हो। घुड़सवार ने बताया कि वह पास के गाँव जा रहा है। बुजुर्ग महिला ने घुड़सवार से कहा - भैया ! इस गठरी के साथ चलना मुश्किल हो रहा है। मेरी गठरी को तुम अपने घोड़े पर रखकर ले चलो। गाँव पहुँचकर मैं इसे तुमसे ले लूँगी। घुड़सवार नाराज होकर बोला - नाहक मेरा समय खराब किया। मैं क्यों तुम्हारी गठरी उठाकर ले जाऊँ? अपनी परेशानी से तुम खुद ही निपटो। ऐसा कहकर वह घुड़सवार आगे बढ़ गया, लेकिन कुछ दूर जाने पर उसके मन में विचार आया कि मैं गठरी ले लेता तो अच्छा ही रहता। अगर गाँव पहुंचने के बाद मैं उसकी गठरी वापस नहीं देता, तो वह महिला कौन सा मुझे पहचानती है? उसी समय बुजुर्ग महिला के मन में भी विचार आया - अच्छा हुआ, घुड़सवार मेरी गठरी लेकर नहीं गया। अगर गाँव पहुँचकर वह मेरी गठरी नहीं लौटाता तो मैं उसे कहाँ ढूंढती? मैं कौन सा उसे पहचानती हूँ। थोड़ी देर में ही उस घुड़सवार ने वापस आकर महिला से कहा - अम्मा, लाओ अपनी गठरी मुझे दे दो। मैं इसे घोड़े पर रख लेता हूँ। महिला ने घुड़सवार से कहा - कहीं तुम यह सोचकर तो वापस नहीं आए कि मेरी गठरी लेकर भाग जाओगे? ये सुनकर घुड़सवार घबराहट में बोला - नहीं तो, पर तुमने ऐसा क्यों सोचा। बुजुर्ग महिला ने कहा - भैया ! इस घटना से एक कीमती बात जो मैं समझ सकी वह यह है कि व्यक्ति के विचार दूसरों तक बहुत तीव्र गति से पहुँच जाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब मानव-मस्तिष्क के भीतर न्यूरोन्स के कारण होता है, जो हर समय काम करता है। न्यूरोन्स तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं जो हमारे मस्तिष्क में सूचनाएँ प्रसारित और आदेशित करती हैं। यह बेहद रोमांचित करने वाली बात है कि न्यूरोन्स हमारे शरीर की अन्य कोशिकाओं को विद्युतीय और रासायनिक संकेत प्रकाश गति से भेजते हैं। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि हमारे शरीर में दस करोड़ न्यूरोन्स कोशिकाएं होती हैं, औसतन प्रत्येक न्यूरोन कोशिका के पाँच हजार कनेक्शंस होते हैं, जो कि एक नेटवर्क से जुड़े पाँच सौ खरब माइक्रोप्रोसेसर्स के बराबर होते हैं। इस प्रकार हमारा मस्तिष्क एक बहुत ही बढ़िया यंत्र है, कोई संदेह नहीं कि हमारी खोपड़ी के भीतर एक बेहतरीन प्राकृतिक संसाधन है। अपने आस-पास हम जो भी इंसान के द्वारा बनाई गई चीजे देख रहे हैं, वे सभी किसी न किसी के विचार थे। विचार ही है जो हमारी दुनिया को नया आकार देते है और बेहतर से और बेहतर बनाने की ओर बढ़ते हैं।
विचारों की शक्ति केवल हमारी चेतना को ही नहीं बल्कि भौतिक वास्तविकता को भी प्रभावित कर सकती है। न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) पर हुए वैज्ञानिक अनुसंधान यह सिद्ध करते हैं कि मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को विचारों द्वारा बदला जा सकता है। न्यूरोप्लास्टिसिटी का अर्थ है कि हमारा मस्तिष्क लगातार नए अनुभवों और विचारों के आधार पर स्वयं को पुनः संरचित कर सकता है। अनेक शोध बताते हैं कि सकारात्मक सोच से न्यूरोन्स के बीच मजबूत कनेक्शन बनते हैं, जिससे निर्णय क्षमता, समस्या समाधान, और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। डॉ. कैरल ड्वेक के शोध ने यह सिद्ध किया कि सकारात्मक मानसिकता रखने वाले व्यक्ति जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। सकारात्मक विचार मस्तिष्क में डोपामिन नामक रसायन का स्राव बढ़ाते हैं, जिससे व्यक्ति अधिक आत्मविश्वास महसूस करता है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त करता है।
हमने इस संसार में सफलता की अनेक कहानियाँ सुनी हैं, जिनके पीछे सकारात्मक सोच एक महत्वपूर्ण कारण रहा है। जब थॉमस एडिसन बल्ब का आविष्कार कर रहे थे, तो कई बार असफल होने के बावजूद उन्होंने नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी नहीं होने दिया और अंततः वे सफलता प्राप्त कर सके। दृष्टिहीन और श्रवणहीन होते हुए भी हेलेन केलर ने शिक्षा प्राप्त की और एक सफल लेखिका एवं समाज सुधारक बनीं। उन्होंने अपनी परिस्थितियों को बाधा न मानते हुए अपने विचारों की शक्ति से असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। जन्म से बिना हाथ-पैर के होने के बावजूद निक वुजिसिक ने अपनी कल्पना शक्ति और सकारात्मक सोच के बल पर एक सफल प्रेरक वक्ता (motivational speaker) और लेखक के रूप में पहचान बनाई।
आओ ! हम अपने मस्तिष्क का सही उपयोग कर विचार शक्ति का दोहन करने की कल्पना करें।
यह निर्विवाद रूप से और अनेक अनुभवों से यह प्रमाणित हो चुका है कि विचार सिर्फ चेतना को ही नहीं, वरन पदार्थ को भी प्रभावित करते हैं। उसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर देना, यह विचार शक्ति की ही सामर्थ्य है। इस अद्भुत क्षमता को ध्यान में रखते हुए हमें विचार शक्ति के सदुपयोग के बारे में सोचना चाहिए। विचार शक्ति आपकी ही शक्ति है। यह अत्यंत शक्तिशाली है।
वास्तव में हमारा मस्तिष्क संसार के किसी भी सुपर कम्प्यूटर से अधिक शक्तिशाली है। एक सैकंड मस्तिष्क गतिविधि को मापने के लिए एक बड़े सुपर कम्प्यूटर ने चालीस मिनट का समय लिया। कल्पना (विचार) शक्ति की सांसारिक संभावित सीमाएं अवश्य होंगी।
ज़रा सोचिए - उन सभी चीजों के बारे में जो हम अपनी इच्छा शक्ति से पा सकते हैं !
हमारा कल्पना मस्तिष्क हमारे प्राकृतिक उपहारों, हमारे कौशल, हमारी प्रतिभा और हमारे मस्तिष्क की शक्ति को गजब रूप से बढ़ा सकता है। इसके अलावा अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी यह बहुत कुछ कर सकता है। हमें विश्वास करना चाहिए और हमें अपने जीवन की कठिनाईयों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में आई कथित कठिन सीमाओं के बाहर भी जीना सीख सकें। हमारी विचार शक्ति हमारी क्षमताओं को बढ़ाने में हमारी सहायता कर सकती है।
अल्बर्ट आईन्स्टीन ने कहा था, "कल्पना सब कुछ है। यह जीवन के आने वाले आकर्षण का पूर्वावलोकन है।" क्यों न हम अपनी कल्पना और विचारों का उपयोग अपने सपनों को साकार करने में करें। हमारा शरीर विचारों से प्रभावित होता है। अच्छे विचारों का शरीर पर अच्छा और बुरे विचारों का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति का स्वस्थ-निरोग रहना अथवा रोगग्रस्त हो जाना उत्कृष्ट या निकृष्ट चिंतन पर अवलम्बित होता है। विचार मनुष्य की सबसे अद्भुत शक्ति है। क्यों न हम अपने सपनों को सच करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करें?
शुभकामनाओं सहित,
केशव राम सिंघल
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