सोमवार, 29 जून 2015

एक नजर यह भी .... आम नागरिक टकटकी लगाए देख रहा है ....


एक नजर यह भी ....

मुझे अभी-अभी इंडिया टुडे 8 जुलाई अंक देखने का अवसर मिला और मै अंशुमान तिवारी की बातों से सहमत हूँ. मोदी सरकार में साहसी बदलावों की जरूरत है, अन्यथा देश को एक कमजोर और लिजलिजी सरकार को अगले चार सालों तक झेलना होगा. वास्तव में नरेन्द्र मोदी के लिए अपनी सरकार की सर्जरी करने का वक्त आ गया है. सुषमा, वसुन्धरा, स्मृति. पंकजा ऐसे विवाद हैं जिनसे मोदी सरकार की साफ़-सुथरी छवि अब दागी हो गई है. अपेक्षा और मंशा के मुकाबले नतीजे कमजोर हैं. कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ. पिछले तेरह महीनों में मोदी सरकार के दो चेहरे देखने को मिलें. पहला, भव्य और शानदार आयोजनों वाला चेहरा, और दूसरा, गवर्नेंस में यथास्थिति - कोई बदलाव नहीं दिखा. महत्वपूर्ण संस्थाओं में खाली शीर्ष पद यह बता रहे हैं कि सरकार का आकार अभी तक पूरा नहीं हो सका है. मोदी सरकार के कई मिथक अब टूटते प्रतीत हो रहे हैं. सरकार और बीजेपी दोनों मोदी में समाहित हैं, इसलिए जो कुछ करना है नरेन्द्र मोदी को करना है और आम नागरिक उनकी ओर टकटकी लगाए देख रहा है.

- केशव राम सिंघल

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