मंगलवार, 7 जुलाई 2015

एक नजर यह भी ..... राजनीति में नैतिक मूल्य


एक नजर यह भी .....

राजनीति में नैतिक मूल्य


भ्रष्टाचार समाप्त करने और शासन में पारदर्शिता लाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दावे अब छिन्न-भिन्न हो गए लगते हैं. मोदी सरकार के गठन के 14 महीनों के अन्दर ही भाजपा शासित राज्यों में घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है.

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज व राजस्थान मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा ललित मोदी की तरफदारी, मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा शैक्षणिक योग्यता के लिए दिए गए हलफनामें, मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला तथा छत्तीसगढ़ में पीडीएस चावल घोटाला ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर संसद के आगामी मानसून सत्र में विपक्ष तीखे तेवर दिखा सकता है, पर लोकसभा में विपक्ष संख्याबल के आधार पर कमजोर स्थिति में है. इन सब मुद्दों के कारण जनता के बीच नरेन्द्र मोदी सरकार की छवि तेजी से गिरने लगी है.

व्यापम घोटाला उजागर होने के बाद घोटाले से संबंधित 45 से अधिक लोग रहस्यमय परिस्थितियों में मर चुके हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सीबीआई जाँच की माँग ठुकरा दी है. 'मन की बात' कहने वाले प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर चुप हैं. नैतिक रुप से तीनों मुख्यमंत्रियों और दोनों केंद्रीय मंत्रियों को अपने पदों से इस्तीफा देकर स्वतंत्र जाँच में सहयोग करना चाहिए, पर वर्तमान भारतीय राजनीति में ऐसा संभव नहीं लग रहा क्योंकि राजनीति में नैतिक मूल्यों का बहुत तेजी से ह्रास होता दिख रहा है.

- केशव राम सिंघल
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समय-समय पर 'एक नजर यह भी' के अंतर्गत लघु-लेखों के लिए 'अपनी बात' ब्लॉग http://krsinghal.blogspot.in/ देखने का निवेदन है.

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