गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

लघु कथा - मोंटू और शीनू के साथ अच्छा समय


लघु कथा - मोंटू और शीनू के साथ अच्छा समय

कोरोना को प्रतिबंधित करने के लिए प्रधानमंत्री जी ने देश में 21 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है। सुरेश को अपने बच्चों की चिंता है, जो इन दिनों स्कूल नहीं जाएंगे। वह खुद घर पर है, काम पर नहीं जा सकता। वह पैसे के बारे में चिंतित है, तनाव और अभिभूत महसूस कर रहा है। उसने अपनी समस्याएँ अपनी पत्नी को बताई, जो एक सरकारी स्कूल में शिक्षक है। उसकी पत्नी ने कहा, "ज्यादा चिंता मत करो। स्कूल बंद होना हमारे बच्चों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने का एक मौका है। हमारा व्यक्तिगत समय मस्ती करने के लिए स्वतंत्र है। 'प्रत्येक के साथ अकेले' समय बिताना कितना मजेदार है। यह हमारे लिए एक अवसर है। अब यह समय अपने बच्चों को प्यार और सुरक्षित महसूस कराने का अच्छा मौका है। और हम उन्हें बता सकते हैं कि वे महत्वपूर्ण हैं।" "आप सही कहती हो, लेकिन कैसे?" सुरेश से पूछा। पत्नी ने कहा, "यह सरल है। प्रत्येक बच्चे के साथ बिताने के लिए अलग-अलग समय निर्धारित करो। यह सिर्फ 20 मिनट के लिए हो सकता है, या इससे अधिक - यह हमारे ऊपर है। यह हर दिन एक ही समय पर हो सकता है, ताकि हमारे बच्चे आगे के दिनों में इसके लिए इसी समय तैयार रह देख सकें।" सुरेश ने कहा, "ओह! तुम ठीक कह रही हो। मैं आज से ही शुरू करता हूँ।"

सुरेश अपने बेटे मोंटू के पास गया और बेटे से भौतिक दूरी बनाते हुए उसने मोंटू से पूछा, "तुम कैसा महसूस कर रहे हो?" मोंटू ने जवाब दिया, "पापा, मैं बोर महसूस कर रहा हूँ। मैं इन दिनों अपना समय कैसे गुजारूंगा? मैं खेलना चाहता हूँ।" मोंटू आठवीं कक्षा का छात्र है, गणित में अच्छा है, इसलिए उसने अपने बेटे को एक अखबार लाने के लिए कहा। मोंटू तुरंत अखबार ले लाया। सुरेश ने एक पेज खोला जिसमें सुडोकू पहेली है। उसने मोंटू से कहा, "इस मानसिक खेल को हल करो। क्या तुम इसे कर सकते हो?" मोंटू ने अपने पापा की तरफ देखा और कहा, "मैं सुडोकू नहीं जानता। यह क्या है?" सुरेश ने अपने बेटे को सुडोकू के नियम समझाए और फिर मोंटू को खेल में दिलचस्पी हुई। मोंटू ने पहेली हल की, लेकिन इसमें कुछ समय लगा। सुरेश ने पहेली सुलझाने के लिए मोंटू को बधाई दी। मोंटू के साथ कुछ अच्छा समय बिताने के बाद, सुरेश अपनी बेटी शीनू के पास गया, जो अकेले अपनी गुड़िया के साथ खेल रही थी। शीनू ने अपने पापा को देखा और पूछा, "पापा! कोई काम?" सुरेश ने शीनू को जवाब दिया, "हाँ, मैं भी तुम्हारी गुड़ियों के साथ खेलना चाहता हूँ। क्या मैं तुम्हारे साथ खेल सकता हूँ?" "हाँ, पापा, आप खेल सकते हैं, लेकिन आपको थोड़ी दूरी रखनी होगी। कृपया वहाँ बैठिए और मैं आपको एक गुड़िया दे रही हूँ।" सुरेश यह जानकर खुश हुआ कि उसकी बेटी वर्तमान स्थिति को समझती है, जबकि वह कक्षा तीन की छात्रा है। सुरेश ने लगभग आधा घंटा शीनू के साथ बिताया। शीनू खुश थी क्योंकि उसके पिता उसकी गुड़िया के साथ खेले।

बच्चों के साथ समय बिताने के बाद सुरेश रसोईघर की तरफ गया। वहाँ उसकी पत्नी खाना बनाने में व्यस्त थी। उसने अपनी पत्नी की मदद की और बच्चों के साथ की गई अपनी गतिविधियों के बारे में बताया। उसकी पत्नी खुश हुई। उसने कहा, "आपने अच्छा किया, यह एक ऐसा समय है, जब हम अपने बच्चों में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। अगर हमारे बच्चे ऐसा कुछ करना चाहते हैं जो फिजिकल डिस्टन्सिंग के अनुसार ठीक नहीं है, तो यह समय उनके साथ इस बारे में बात करने का एक मौका है।" "हाँ, आप सही कहती हो," सुरेश ने कहा। उसकी पत्नी ने सुरेश को सुझाव दिया, "आपको मोंटू के साथ खेल, संगीत, मशहूर हस्तियों, दोस्तों के बारे में जैसी कुछ बात करनी चाहिए। शीनू के साथ आपको कोई किताब पढ़नी चाहिए या उसके साथ चित्रों को देखना चाहिए, कोई चित्र बनाना चाहिए, किसी संगीत पर नृत्य करना चाहिए या कोई गीत गाना चाहिए, उसकी पढ़ाई में आपको उसकी मदद करनी चाहिए।" "हाँ, आप सही कहती हो," सुरेश ने फिर कहा और अब उसकी पत्नी खुश है कि उसके पति ने भी बच्चों के साथ अच्छा समय बिताना शुरू कर दिया है।

कहानीकार लेखक - केशव राम सिंघल ©

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डिस्क्लेमर - यह कहानी कहानीकार लेखक की कल्पना के आधार पर लिखी गई है। किसी भी घटना से इस कहानी की कोई भी प्रासंगिकता होना एक संयोग है।

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