शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

 कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

गुरूवार दिनांक 17 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट का नजरिया किसानों को राहत देने वाला कहा जा सकता हैसुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह फिलहाल आगे की सुनवाई या किसी समाधान के निकलने तक विवादास्पद कानूनों को लागू करने से रोके रखे क्योंकि किसान यूनियनें सुनवाई में उपस्थित नहीं हैं। केंद्र सरकार की और से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वासन देने से इंकार कर दिया कि केंद्र इन कानूनों को तब तक लागू नहीं करेगा जब तक सुनवाई नहीं हो जाती, उन्होंने कहा कि फिर तो किसान चर्चा के लिए आएंगे ही नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस कानूनों को लागू करने से रोकने से इंकार कर दिया। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा कि चर्चा हो। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर विधिवत स्टे (रोक) तो नहीं लगाई, पर केंद्र सरकार से यह अपेक्षा की कि इस बीच कृषि कानूनों के आधार पर कार्रवाई नहीं की जाए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने यह अपेक्षा भी की कि अहिंसक किसान आंदोलन को पुलिस द्वारा हिंसा के लिए उकसाना नहीं चाहिए, न सड़के ब्लॉक करनी चाहिए और न ही उनपर दोषारोपण करना चाहिए। कोर्ट ने एक स्वतन्त्र समिति बनाने की बात कही, जो दौनों पक्षों की बात सुनेगी और अपना निर्णय देगी। 

इस प्रकार देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट का नजरिया किसानों को राहत देने वाला है। आगे देखते हैं कि क्या होता है। वैसे जनतंत्र में वार्ता ही किसान आंदोलन की समस्या का एकमात्र समाधान है।

इसी विषय से सम्बंधित पूर्व लेख 'सरकार के रवैये से किसान संगठन संतुष्ट नहीं' क्लिक कर पढ़ें। 

धन्यवाद।

- केशव राम सिंघल

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