बातों ही बातों में - 01
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केशव राम सिंघल
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हर वक्तव्य, हर बात का महत्त्व है, किसी का कम, किसी का अधिक। आप पढ़े और सोचे, यही उद्देश्य है 'बातों ही बातों में' श्रृंखला का।
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नेताओं की जय बोलने से अच्छा है कि उनसे हिसाब माँगो।
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जमीन पर किसानों को अगर दो पैसा ज्यादा मिल रहा, तो वो राहुल गांधी की देन है। भूमि अधिग्रहण कानून राहुल गांधी लेकर आए। ये जिस काम में लगता है, उसे करता है। इसकी (राहुल गांधी) गलती ये है कि ये सच बोलता है, झूठ-पाखंड नहीं करता। - @राकेश टिकैत
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सरकार को घाटा होगा तो वह कम्पनी बेच देगी। और यदि पूंजीपति को घाटा होगा तो वह कंपनी ही बंद कर देगा। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही अडानी ने हिमाचल प्रदेश में सीमेंट प्लांट बंद कर दिया।
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क्या साहब का जलवा अब उतार पर है?
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कमल हसन भी जुड़े भारत जोड़ो यात्रा के साथ।
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क्या आरएसएस इस सदी का कौरव है?
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क्या कुछ ज्यादा ही नहीं हो रहा? सब कुछ अडानी के नाम।
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एक बूढ़ा हो रहा है और दूसरा तैयार हो रहा है। स्थायित्व शाश्वत नहीं, परिवर्तन शाश्वत है।
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अटल बिहारी वाजपेयी भी तो 2004 में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मिले थे।
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आरएसएस (?) का एक आदमी बोलता है - 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बना तब मेरा एक लीटर खून बढ़ गया था, पर जैसा इन्होने देश के साथ किया, उससे मेरा खून पाँच लीटर कम हो गया। एक इंटरव्यू वीडियो में सुना।
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आज भी होता है द्रोपदी का चीरहरण और द्रोण, भीष्म, विदुर जैसे न्यायकर्ता मुँह छिपाते हुए चुप रहते हैं।
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भारत जोड़ो यात्रा में अब आलोचक भी जुड़ रहे हैं। क्या संकेत हैं?
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क्या कांग्रेस ने ब्रांडिंग के लिए 300 करोड़ खर्च करके भारत जोड़ो यात्रा प्रारम्भ की है? क्या यह यात्रा को कमतर करने की कोशिश तो नहीं?
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महाभारत फिर होगा? वे कहते हैं - एक तरफ अर्जुन है दूसरी ओर है हस्तिनापुर की सत्ता।
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पूर्व आर्मी चीफ और कई पूर्व सैन्य अफसर राहुल गांधी से भारत जोड़ो यात्रा में मिले। क्या संकेत है?
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मिले कदम, जुड़े वतन। भारत जोड़ो, नफरत तोड़ो।
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कैद में मिले चाहे राजभोग, पर नहीं मिलती आजादी।
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दया आती है पार्टी कार्यकर्ताओं पर, जो अपनी मेहनत से पार्टी को खड़ा करते हैं और नेतृत्व की भूमिका में उन्हें कोई अहमियत नहीं दी जाती। पार्टी नेतृत्व पर कब्जा दूसरी पार्टी से आए नेता कर लेते हैं। वही लोग चुनाव टिकट पा जाते है और मंत्री भी बन जाते हैं।
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एक भारत जोड़ो यात्री ने बताया कि राहुल जी के साथ पदयात्रा करके वे अपने आपको निरोग और स्वस्थ महसूस करते हैं। इस प्रकार राहुल भारत को निरोग और स्वस्थ रहने का सूत्र लोगों को दे रहा है।
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सत्ता जब पास है तो फिर विचारधारा की जरुरत क्या है। विचारधारा की सीढ़ी की अब जरुरत कहाँ, वह तो अब बेकार है। जिस जीएसटी का विरोध पार्टी 2014 से पहले करती थी, उस जीएसटी को ही वह देश में लेकर आई।
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जब बदलाव मन में आएगा तो बदलाव देखने को मिलेगा।
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नागरिकता कानून क्यों नहीं लागू हुआ?
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कश्मीर में चुनाव क्यों नहीं हुए?
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क्या भाजपा नागरिकता कानून पर राजनीति करने में माहिर है और साथ ही जनता को उलझाने में? काफी समय से पार्टी इस मुद्दे पर चुप है।
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तन्हाई में व्यक्ति सोचता है बहुत।
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गांधीवादी होना आसान है, गांधी होना बहुत मुश्किल है।
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हिलाने से पुल गिर जाता है, नारियल फोड़ने से सड़क टूट जाती है और भैंस के टकराने से इंजन क्षतिग्रस्त हो जाता है। क्या संकेत इन बातों के?
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भारत बन गया है विश्व गुरु, ताली बजाओ, घोषणा हुई है - पाँच सौ विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस भारत में खुलेंगे और मेडिकल-इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब क्षेत्रीय भाषाओं में होगी।
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शेष फिर ,,,,,,,,,,,,,
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