अप्प दीपो भवः
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सार्थक जीवन के लिए
अप्प दीपो भवः अपना दीपक खुद बनो
अपनी बुद्धि-विवेक और प्रज्ञाशक्ति का इस्तेमाल करो।
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सार्थक जीवन के लिए
अंधविश्वास आडम्बर रूढ़िवादी परम्पराएँ त्यागो
दर्शन अनुभव अनुभूति से अंतर्मन शुद्ध करो।
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सार्थक जीवन के लिए
बुद्धं शरणं गच्छामि
मुक्ति के लिए सम्यक मार्ग अपनाओ।
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सार्थक जीवन के लिए
अहिंसा और करुणा से संवेदनशील बनो
और इस जगत के हर प्राणी के साथ मैत्रीभाव रखो।
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टिप्पणी - “बुद्धं शरणं गच्छामि” बौद्ध धर्म का मूलमंत्र है। इसकी दो और पंक्तियों में “संघं शरणं गच्छामि” और “धम्मं शरणं गच्छामि” भी है। बौद्ध धर्म की मूल भावना को बताने वाला यह पद गौतम बुद्ध की शरण में जाने का अर्थ रखता है। बुद्ध को जानने के लिए उनकी शिक्षाओं की शरण लेना हितकर है। मुक्ति के लिए बुद्ध के सम्यक मार्ग के आठ अंग, जिन्हें अष्टांगिक मार्ग भी कहा जाता है - (1) सम्यक दृष्टि, (2) सम्यक संकल्प, (3) सम्यक वचन, (4) सम्यक कर्म, (5) सम्यक आजीविका, (6) सम्यक व्यायाम, (7) सम्यक स्मृति, और (8 ) सम्यक समाधि।
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बुद्ध पूर्णिमा और श्री बुद्ध जयन्ती पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
- केशव राम सिंघल
सम्यक = उचित = यथोचित = विशिष्ट = आत्मीय = संगत = शुद्ध
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