महाभारत से सीख - शांति की ओर
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प्रतीकात्मक चित्र - साभार - ओपनएआई (OpenAI)
कई बार चुप्पी व्यक्ति को कमजोर नहीं, बल्कि भीतर से मजबूत बनाती है, सह लेने की शक्ति के साथ। जब बात आपसी रिश्तों की होती है, तब कई बार चुप रह जाना एक विवशता बन जाती है, न कि विकल्प।
महाभारत हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के लिए संघर्ष आवश्यक है।
परंतु अंत क्या हुआ?
भले ही वह युद्ध धर्म की रक्षा के लिए था, लेकिन उसका परिणाम केवल विनाश रहा।
महाभारत युद्ध में लाखों योद्धा मारे गए, और अंत में केवल अट्ठारह योद्धा — कौरवों के तीन और पांडवों के पंद्रह — ही जीवित बचे।
स्पष्ट है कि कोई भी युद्ध, चाहे कितना भी धर्मयुक्त क्यों न हो, अंततः हानि ही लाता है।
इसलिए, यदि बड़े नुकसान की आशंका हो, तो छोटे नुकसान को सह लेना कहीं अधिक बुद्धिमत्ता भरा निर्णय हो सकता है।
स्वयं को कमजोर मान लेना, स्वयं की हार मान लेना और अपना नुकसान सह लेना ठीक हो सकता है, यदि अन्य लोग खुश रह सकें और अपने को विजयी होने का अनुभव कर सकें।
कई बार ऐसा लगता है कि विवादों में उलझकर अपनी ऊर्जा नष्ट करने से बेहतर है कि अपनी ऊर्जा को किसी सकारात्मक दिशा में लगाया जाए, जहाँ उसका परिणाम इतना संतोषजनक हो कि अपना नुकसान नगण्य प्रतीत हों।
सादर,
केशव राम सिंघल
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