भगवान् – पंचतत्त्वों में व्याप्त परम सत्ता
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भगवान् का चित्र - साभार NightCafe
भगवान् = भ + ग + व + आ + न
भ – भूमि (पृथ्वी)
ग – गगन (आकाश)
व – वायु (हवा)
आ – आग (अग्नि)
न – नीर (जल)
इन पंचमहाभूतों (पृथ्वी, आकाश, वायु, अग्नि, जल) से सारा संसार बना है, और जो इन तत्वों का स्वामी और सृष्टिकर्ता है — वही भगवान् है।
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भगवान् है पंचतत्त्वों का अधिपति
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भ से भूमि, देती माँ जैसी ममता,
और देती जीवन को गति-विधा।
ग है गगन, नभ का विस्तार,
अंतरिक्ष जैसा अद्भुत संसार।
व है वायु, प्राण बनती,
हर जीव में वह थमती।
आ है अग्नि, ऊर्जा की धारा,
सृजन-विनाश का किनारा।
न से नीर, जीवन का मूल्य,
इसके बिना सब कुछ शून्य।
इन पंचतत्त्वों से बना यह संसार,
इनके रचयिता हैं हमारे भगवान्।
सृष्टि के स्वरूप में जो समाया,
हर रूप में हमने प्रभु को पाया।
धरा, गगन, जल, अग्नि, पवन,
इनमें बसा है ईश्वर सदा अनंत।
नमन उस सत्ता को बारम्बार,
जो करे सृजन, पालन, संहार।
सादर,
केशव राम सिंघल
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