मैं घोर अज्ञान के घोर अंधकार में उत्पन्न हुआ था।
मेरे गुरुओं ने ज्ञान रुपी प्रकाश से मेरी आँखे खोलकर मुझे इस संसार को देखने, समझने और जानने का अवसर दिया।
मैं मेरे सभी गुरुओं को सादर नमन करता हूँ.
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
5 सितंबर 2008
अपनी बात अभिव्यक्त करने का प्रयास, चाहे वे आपके विचारों से भिन्न ही क्यों ना हों .... पाठकों की टिप्पणी का स्वागत है, पर भाषा शालीन हो, इसका निवेदन है .... - केशव राम सिंघल, अजमेर, भारत.
मैं घोर अज्ञान के घोर अंधकार में उत्पन्न हुआ था।
मेरे गुरुओं ने ज्ञान रुपी प्रकाश से मेरी आँखे खोलकर मुझे इस संसार को देखने, समझने और जानने का अवसर दिया।
मैं मेरे सभी गुरुओं को सादर नमन करता हूँ.
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
5 सितंबर 2008
समझ आता नहीं –
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …
मन दु:खाया मेरा बहुत उसने
दिल चुराया बार-बार मेरा उसने
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ
अब तो आँखें भर आती हैं बार-बार ….
मन दु:खाया कहाँ चली गयी वह
दिल चुराया कहाँ छुप गयी वह
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ
अब तो हाल होता बेहाल है बार-बार ….
समझ आता नहीं –
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
वर्तनी की कुछ ग़लतियों के लिए माफी।
आशातीत सकारी सोच
निराश-खिन्न व्यथा से भरा मन
कितना ही उदास-दु:खी हो जीवन
लाओ मन में आशातीत सकारी सोच
बनाओ रास्ता सफलता की ओर ...
रखो यही सोच ..... रखो यही सोच .....
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
सकारी = सकारात्मक, निश्चयात्मक
आशातीत = आशा से भरपूर
नोट: वर्तनी की ग़लतियों के लिए माफी।
आओ शुरू करें एक और स्वाधीनता संग्राम …
देश की बेटियों के नाम …. देश की बेटियों के नाम ….
मित्रों, यह कविता उन सभी बहनों और बेटियों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने की एक कोशिश है, जो नारी-विकास के लिए प्रयासरत हैं. आइये, हम भी शामिल हों बदलते नए भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास की यात्रा में. शुभकामनाओं के साथ.
आपका,
केशव सिंघल
नोट - वर्तनी की कुछ गलतियों के लिए माफी।
प्यार का बंधन अटूट …
प्यार का बंधन अटूट,
प्रभु का अनमोल उपहार ,
प्यारा सा रिश्ता अटूट ,
हमारी संस्कृति की सौगात …।
ऐसा पवित्र बंधन अटूट,
जिसमे बंधे हम और तुम,
मेरे दु:ख में तुम दु:खी,
और मेरी चोट का दर्द तुम्हे …।
भाई-बहन का रिश्ता प्यारा,
संसार का यह बंधन न्यारा,
उस डोर से बंधा हूँ मैं,
ऐसा पावन त्योहार हमारा …।
तेरा आशीष मुझे चाहिए,
तेरा दुलार मुझे चाहिए,
यही चाहना तुझसे बहना ,
तेरा पुचकार मुझे चाहिए ....
अब इस ब्लॉग की मेरी बहनों के लिए –
आपने दिया बहुत अनुराग,
आप सभी बहनों को प्रणाम,
हे ईश्वर, मुझे वह शक्ती दे,
करुँ मैं आप सबका जीवन भर सम्मान …।
शुभकामनाओं के साथ ......
आपका,
केशव सिंघल
यह काव्य 16 अगस्त 2008 के लिए. वर्तनी की कुछ ग़लतियों के लिए माफी.
अच्छा बनकर जीवन पथ आलोकित करू मैं ....
बहुआयामी गुणो से भरपूर बनू मैं,
सामाजिक मान्यताओं में उन्नत रहूँ मैं,
हर ओर अपनी भूमिका का निर्वाह करू मैं,
अच्छा बन जाऊँ मै ... सफल बन जाऊँ मैं ...
अच्छा बनकर जीवन पथ आलोकित करू मैं ....
रचनात्मकता मेरे जीवन का लक्ष्य हो,
उल्लास मेरे जीवन कर्म का मर्म हो,
साहस मुझमें हर पल सबसे आगे हो,
अच्छा बन जाऊँ मै ... सफल बन जाऊँ मैं ...
अच्छा बनकर जीवन पथ आलोकित करू मैं ....
व्यावहारिकता का हर चरण सीखूँ मैं,
पढ़ने-लिखने में आगे रहूँ मैं,
नवनिर्माण कार्य में आगे रहूँ मैं,
अच्छा बन जाऊँ मै ... सफल बन जाऊँ मैं ...
अच्छा बनकर जीवन पथ आलोकित करू मैं ....
आत्मनिर्भर बन जाऊँ मैं,
उर्जावान बन जाऊँ मैं,
साहसिक बन जाऊँ मैं,
अच्छा बन जाऊँ मै ... सफल बन जाऊँ मैं ...
अच्छा बनकर जीवन पथ आलोकित करू मैं ....
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
यह सच है ....
यह तो इस गली का मिज़ाज गर्म है,
बातों को इधर-उधर करना उनका कर्म है,
यह ख्वाब की अब बातें नहीं, हकीकत है,
यह सच है - उसने तुम्हे चाहा बहुत है .....
शुभकामनाओं सहित,
केशव सिंघल
उसने कहा ... मैने कहा ...
उसने कहा कि प्यार एक ख्याल बन के रह गया है ...................
मैने कहा कि ख्याल तू इतना रख कि तेरा ख्याल हकीकत में बदल जाए ...
उसने कहा कि सवाल तू अब मत कर क्यों कि यह जिंदगी खुद एक सवाल जो बन गयी है ...
मैने कहा कि जिंदगी में सवालों के जवाब तू इस तरह ढूंढ कि सवाल ही आसान हो जाए और सवाल में जवाब अपने आप मिल जाए ...
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल