समझ आता नहीं –
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …
मन दु:खाया मेरा बहुत उसने
दिल चुराया बार-बार मेरा उसने
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ
अब तो आँखें भर आती हैं बार-बार ….
मन दु:खाया कहाँ चली गयी वह
दिल चुराया कहाँ छुप गयी वह
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ
अब तो हाल होता बेहाल है बार-बार ….
समझ आता नहीं –
दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …
शुभकामनाओं के साथ,
केशव सिंघल
वर्तनी की कुछ ग़लतियों के लिए माफी।
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