शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

समझ आता नहीं .....

समझ आता नहीं –

दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …

मन दु:खाया मेरा बहुत उसने

दिल चुराया बार-बार मेरा उसने

दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ

अब तो आँखें भर आती हैं बार-बार ….

मन दु:खाया कहाँ चली गयी वह

दिल चुराया कहाँ छुप गयी वह

दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ

अब तो हाल होता बेहाल है बार-बार ….

समझ आता नहीं –

दिल के हाल की चर्चा क्या करूँ …

शुभकामनाओं के साथ,

केशव सिंघल

वर्तनी की कुछ ग़लतियों के लिए माफी।

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