शुक्रवार, 15 अगस्त 2008

आओ शुरू करें एक और स्वाधीनता संग्राम …


आओ शुरू करें एक और स्वाधीनता संग्राम …


लम्बे स्वाधीनता संघर्ष
और अनेक देश-भक्तों की कुर्बानी के बाद
मिली हमें आजादी ….

१५ अगस्त १९४७
एक ऐसा दिन
जिसने भारतवासियों को अपने तरीके से जीने का हक़ दिया
बोलने का हक़ दिया …

आज हमें आजादी है अपने ढंग से जीने की
पर
आज भी
देखता
महसूसता हूँ
सुनता हूँ
पढता हूँ ….
शोषण की दास्तान, सामाजिक अत्याचार और बम्ब विस्फोटों के समाचार.

मेरी बेटी कहती है –
विचारों कीचाहिए मुझे ….
खोखली परम्पराओं को अब तो बदल दो ….
खुलकर जीने की आजादी दो मुझे ….
अपने निर्णय लेने का अधिकार मुझे दो ….
कोई रोक-टोक न लगाओ मुझपर ….
अब तो मुझे अपने तरीके से जीने का अधिकार दो.

मेरी बेटी कहती है –
गाओ खुश हाली का गान जरुर
पर मत बनाओ इस लोकतंत्र को लहुलुहान
और शुरू करो
एक और स्वाधीनता संग्राम
देश की बेटियों के नाम …. देश की बेटियों के नाम ….

आओ शुरू करें एक और स्वाधीनता संग्राम …

देश की बेटियों के नाम …. देश की बेटियों के नाम ….


मित्रों, यह कविता उन सभी बहनों और बेटियों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने की एक कोशिश है, जो नारी-विकास के लिए प्रयासरत हैं. आइये, हम भी शामिल हों बदलते नए भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास की यात्रा में. शुभकामनाओं के साथ.

आपका,

केशव सिंघल

नोट - वर्तनी की कुछ गलतियों के लिए माफी।

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