यह सच है ....
यह तो इस गली का मिज़ाज गर्म है,
बातों को इधर-उधर करना उनका कर्म है,
यह ख्वाब की अब बातें नहीं, हकीकत है,
यह सच है - उसने तुम्हे चाहा बहुत है .....
शुभकामनाओं सहित,
केशव सिंघल
अपनी बात अभिव्यक्त करने का प्रयास, चाहे वे आपके विचारों से भिन्न ही क्यों ना हों .... पाठकों की टिप्पणी का स्वागत है, पर भाषा शालीन हो, इसका निवेदन है .... - केशव राम सिंघल, अजमेर, भारत.
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