गुरुवार, 9 जुलाई 2015

एक नजर यह भी ... राष्ट्रगान पर बेवजह विवाद


एक नजर यह भी ...
राष्ट्रगान पर बेवजह विवाद


राजस्थान राज्य के राज्यपाल ने राष्ट्रगान से 'अधिनायक' शब्द हटाने की बात कही है और इस प्रकार एक विवाद को हवा देने का प्रयास किया है।

भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' है, जो मूलतः बांग्ला भाषा में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था, जिसे भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया गया। इसके गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड निर्धारित है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्व के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी रचना को एक से अधिक देशों में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। उनकी एक दूसरी कविता 'आमार सोनार बाँग्ला' को बांग्लादेश में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है।

हमारे देश का राष्ट्रगान ना केवल हमारी पहचान है बल्कि हमारी आन-बान-शान का प्रतीक् भी है। सोशल मीडिया (व्हाट्सअप्प) पर ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि हमारे राष्ट्रगान को यूनेस्को की ओर से विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान करार दिया गया, जो बहुत ही गौरव की बात है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की लिखी कविता, जो भारत का राष्ट्रगान है, पर बहस 1911 से ही होती रही जिस समय इसे लिखा गया था। विवाद पैदा करने वाले लोग इस तथ्य पर ध्यान नही देते कि 1937 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुलिन बिहारी सेन को लिखे एक पत्र में यह स्पष्ट किया था कि यह कविता ब्रिटिश शासकों की प्रशंसा में नहीं लिखी गई।

राष्ट्रगान ऐसा गाना होता है, जो किसी भी देश के इतिहास और परंपरा को दर्शाता है। राष्ट्रगान उस देश को न केवल एक अलग पहचान देता है, बल्कि उसका लयात्मक संगीत सभी देशवासियों को एकजुट भी करता है। हमारा राष्ट्रगान ऐसा ही है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। गुरुदेव टैगोर ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन..’ की रचना की। पहले उन्होंने इसे एक बंगाली कविता के रूप में लिखा था। 27 दिसम्बर 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक सभा में इसे पहली बार गाया गया था। जिस 'अधिनायक' शब्द पर विवाद पैदा किया जा रहा है, उसका अर्थ 'नेतृत्व' (Leadership) से है और यही कवि की भावना थी।

यह सब जानने के बाद हमें राष्ट्रगान पर बेवजह विवाद से बचना चाहिए।

- केशव राम सिंघल

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समय-समय पर 'एक नजर यह भी' के अंतर्गत लघु-लेखों के लिए 'अपनी बात' ब्लॉग http://krsinghal.blogspot.in/ देखने का निवेदन है.


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