कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल
''''''''''''''''''
लेखक
- केशव राम सिंघल
''''''''''''''''''
17
आज
जब बातचीत शुरू
हुई तो राजरानी
ने सभी को बताया कि
पड़ौस के मोहल्ले
में कल एक व्यक्ति की कोरोना
से मृत्यु हो
गई। चाची कहने
लगीं कि यह तो बहुत
ही चिंता की
बात है।
अम्मा
जी ने कहा -
हमारी थोड़ी सी लापहरवाही और प्रकृति
में से कोरोना
के वायरस के
होने के कारण कोरोना का
खतरा पूरी तरह
से टला नहीं
है। केंद्र सरकार
समय-समय पर कोरोना के
सम्बन्ध में सलाह-निर्देश जारी करती
रहती है, पर जनता
में जागरूकता की
कमी के कारण कोरोना बार-बार लौट
आता है। हालाँकि
कोरोना से बचाव के लिए
दो या तीन टीके लोगों
ने लगवा लिए
हैं, जिससे कोरोना
की तीव्रता में
कमी हुई है, फिर भी
कोरोना का खतरा पूरी तरह
से टला नहीं
है।
राजरानी
ने अम्मा जी
की बात का समर्थन करते
हुए कहा - अम्मा
जी सही कह रही हैं।
देखो ना हम आए दिन
अखबारों में कोरोना
से हुई मौत का समाचार
पढ़ते रहते हैं।
चाची
कहने लगीं - हमने
तो कोरोना से
बचाव के लिए तीन-तीन
टीके लगवा लिए
हैं। और क्या करें?
शैलबाला
बोली - जरुरत इस
बात की है कि बार-बार मुँह-हाथ धोने,
गरम पाने पीने
और मुँह पर मास्क लगाने
की अपनी आदत
को जारी रखें। आजकल
लोग ना तो हाथ-मुँह
बार-बार धोते
हैं, गरम पानी
पीना भी अधिकतर
लोगों ने छोड़ दिया और
मास्क तो लगाते
ही नहीं। अब
तो बाजार में
अधिकतर लोग बिना
मास्क दिखते हैं।
कुछ लोग जो मास्क लगाते
हैं, वे सही तरीके से
नहीं लगाते और
नाक को मास्क
से ढकते नहीं।
राजरानी
बोली - अम्मा जी,
शैलबाला ने सही कहा। हमें
भी ध्यान रखना
चाहिए। हम इकट्ठी
होकर रोज गप-शेप करती
हैं, हमें ध्यान
रखना है कि एक दूसरे
से दूर रहकर
ही बातचीत करनी
है। यह अच्छी
बात है कि अम्मा जी
और चाची अभी
भी मास्क लगाती
हैं। हम सभी को भी
ध्यान रखना चाहिए।
चाची
बोली - हम क्या करें। हमारी
तो मजबूरी है।
उम्र के इस पड़ाव पर
डर लगता है।
बीमार पड़ गए तो सभी
को दिक्कत हो
जाएगी। हम तो चाहते हैं
सब खुश रहें,
स्वस्थ रहें, इसलिए
खुद भी मास्क
लगाते हैं और दूसरों को
भी मास्क लगाने
की सलाह देते
हैं। हमारे घर
से कोई भी घर से
बाहर जाता है तो उसे
बिना मास्क लगाए
जाने नहीं देते
और साथ में सेनेटाइजर रखने की भी सलाह
देते हैं।
राजरानी
बोली - चाची, हमारे
पर्स में एक एक्स्ट्रा मास्क और
छोटा सेनेटाइजर पैक
हरदम साथ रहता
है। हमने तो मास्क पहनने
की अपनी आदत
ही बना ली है।
अम्मा
जी बोलीं - जो
जीवन शेष है, वही विशेष
है। क्यों न हम अपना
जीवन निरोग रहकर
बिताएँ। ज़रा सी असावधानी दुर्घटना को
आमंत्रित करती है।
भार्गव
आंटी आईं तो बताने लगीं
कि उनके पड़ौस
वाले घर में दो व्यक्ति
बीमार हैं, जिन्हे
बुखार, खांसी और
कफ की शिकायत
है।
शैलबाला
बोली - ये तो चिंता की
बात है। उन्होंने
टैस्ट कराया क्या?
डॉक्टर को दिखाया?
भार्गव
आंटी बोलीं - कोरोना
टैस्ट तो नहीं कराया। डॉक्टर
को दिखा दिया
है, जिसने बुखार-खांसी-कफ
की दवा दे दी है।
पड़ौसी बता रहे थे कि
कोरोना तो नहीं हैं क्योंकि
उनमें से एक ने दो
बार और दूसरे
ने तीन बार कोरोना से
बचाव का टीका ले रखा
है।
शैलबाला
बोली - आंटी, जब
टैस्ट नहीं कराया
तो कुछ भी कह दो।
आप तो ध्यान
रखिएगा अपना। उन
लोगों से उचित दूरी बनाने
की जरुरत है
जिन्हे खांसी और
जुखाम है।
चाची
ने कहा - स्वच्छता
के लिए जो भी कदम
उठाने की जरुरत
है उस पर हमारा ध्यान
रहे। हाथ-धोना,
मास्क पहनना, दूसरे
व्यक्ति से उचित दूरी रखना
और गरम पानी
पीते रहना, ये
कुछ सीधे उपाय
हैं जिनसे कोरोना
से बचा जा सकता है।
यह
कथा-श्रृंखला, पाठको
को समर्पित है।
आप पढ़े, आनंद
लें, टिप्पणी करें,
दूसरों को पढ़ाएँ,
अपने सोशल मीडिया
अकाउंट पर साझा करें। स्वागत
है आपके सुझावों
और टिप्पणियों का।
कल्पना
और तथ्यों के
घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी,
ऐसा मेरा विश्वास
है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं
तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।