कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल
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लेखक
- केशव राम सिंघल
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चाची
ने बताया कि वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में हादसा हो गया।
20 अगस्त 2022 को सुबह-सुबह विश्व प्रसिद्ध वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर
में जन्माष्टमी के अवसर पर दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ अचानक बेकाबू हो गई। भगदड़ में
दबकर दम घुटने से दो बाहरी श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गये हैं। चाची
ने यह भी बताया कि दरअसल ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव बड़े ही
धूमधाम से मनाया जाता है। वृंदावन में हर साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
इस बार भी जैसे ही मंदिर के पट सुबह 1:45 पर
खुले तो श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और निकास द्वार से भी लोग घुसने लगे, जिसके
चलते निकलने का रास्ता भी बंद हो गया और भीड़ बेकाबू हो गई, भगदड़ मच गई।
अम्मा
जी ने कहा - बहुत ही दुःख की बात है। हमारे यहाँ धार्मिक आस्था की वजह से लोग जल्द
से जल्द भगवान् की मूर्ति के दर्शन को लालायित रहते हैं, व्यवस्था का पालन नहीं करते।
प्रशासन अपनी ओर से समुचित व्यवस्था करता है, पर लोग हैं कि मानते ही नहीं। लोग भीड़
में घुस जाते हैं और व्यवस्था को बिगाड़ देते हैं।
पड़ौस
में रहने वाली एक महिला बोली - सो तो है, पर सरकार को और ज्यादा बंदोबस्त करना चाहिए।
भविष्य में इस तरह की घटना नहीं हो, इसके लिए वृंदावन के स्थानीय प्रशासन को मंदिर
की व्यवस्था समिति के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने चाहिए और मंदिर प्रवेश के लिए कुछ नियम
बनाने चाहिए।
राजरानी
ने उस महिला की बात का समर्थन करते हुए कहा - आप ठीक कह रही हो। भविष्य में अधिक सावधानी
की जरुरत है। कुछ दिन पहले ही सीकर जिले में खाटूश्यामजी मंदिर में सुबह बड़ा हादसा
हो गया था। मंदिर के मासिक मेले में उमड़ी भीड़ के दबाव के कारण वहाँ भगदड़ मच गई,
जिससे तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई घायल हो गये। हादसे के बाद मौके पर पहुँचे
पुलिस प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर हालात को काबू में किया और सुबह नौ बजे के
बाद मंदिर में फिर से दर्शन व्यवस्था चालू करा दी गई। पर मंदिरों में अत्यधिक भीड़ के
कारण ऐसी घटनाएँ होती हैं। सभी को ध्यान देने की जरुरत है।
तभी
दर्शना आती दिखाई दी। जैसे ही वह पास आई चाची बोली - आ गई अम्मा जी बहु और भाजपा की
प्रवक्ता।
दर्शना
ने सभी औरतो से नमस्कार करने के बाद कहा कि आज मैं आप लोगों से हिंदुत्व पर बात करने
आई हूँ। आप लोग इजाजत दो तो मैं अपनी कुछ बात कहूँ।
अम्मा
जी तो चुप रहीं। तभी चाची बोली - हाँ, दर्शना बोलो। या जरूरी नहीं कि हम तुम्हारी बात
माने, पर तुम्हारी बात सुनेंगे जरूर।
तब
दर्शना ने अपनी बात रखते हुए कहा - सामान्यतया बहुत से गैर-भाजपाई दल और बहुत से व्यक्ति
भाजपा द्वारा अपनाई गई हिंदुत्व राजनीति की आलोचना करते हैं। उनकी ओर से यह तर्क दिया
जाता है कि हिंदुत्व की राजनीति एक संकीर्ण दिमाग वाली राजनीति है, जो सांप्रदायिक
विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है और विभिन्न सम्प्रदायों और धर्मों के लोगों के बीच
खाई उत्पन्न करती है। उनके अनुसार हिंदुत्व सोच एक संकीर्ण सोच है। इस तरह की सोच देश
की धार्मिक और सांस्कृतिक बहुलता को समायोजित करने में असमर्थ है।
तभी
शैलबाला बोली - सही तो है, भाजपा जो हिंदुत्व की राजनीति करती है, वह संकीर्ण विचारधारा
ही तो है।
दर्शना
ने कहा - पहले मुझे पूरी बात तो कह लेने दो, फिर आप अपनी बात कहना। मैं कह रही थी कि
गैर-भाजपाई लोगों के अनुसार हिंदुत्व सोच एक संकीर्ण सोच है। अपनी बात को सही ठहराने
के लिए गैर-भाजपाई लोग सावरकर की हिंदुत्व पर किताब और और गोलवलकर के विचार से जोड़ते
हैं। गैर-भाजपाई दल इन बातों के लिए गांधी, नेहरू और अम्बेडकर के लेखन का सहारा लेते
हैं और यह विश्वास करते हैं कि वे जिस विचारधारा का पालन करते हैं, वह ऐतिहासिक रूप
से मान्य और राजनीतिक रूप से समझने योग्य एकमात्र विचारधारा है। इस प्रकार गैर-भाजपाई
दल और लोग गांधी, नेहरू और अम्बेडकर जैसी राजनीतिक हस्तियों से आगे सोच नहीं पाते और
इस प्रकार वे भविष्य की कोई राजनीतिक तस्वीर देख नहीं पाते हैं।
शैलबाला
कहने लगी - लगता है आज दर्शना लेक्चर देने के मूड में है।
दर्शना
ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - हालाँकि यह बात सही है कि भाजपा हिंदुत्व का समर्थन
करती है, पर इस बात को भी समझने की जरुरत है कि हिंदुत्व केवल सावरकर और गोवलकर के
हिंदुत्व विचारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हिंदुत्व और अधिक व्यापक दृष्टिकोण है,
जो सभी के कल्याण की बात कहता है। हिन्दू धर्म ही प्राचीन सनातन धर्म है जिसका मूल
संस्कार और विचारधारा "वसुधैव कुटुम्बकम्" पर आधारित है। यह श्लोक महा उपनिषद
सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। "वसुधैव कुटुम्बकम्" का अर्थ होता है
- यह धरती ही परिवार है। भारतीय संसद भवन के प्रवेश कक्ष में भी यह श्लोक अंकित है,
जो इसकी महत्ता स्वीकारता है।
सभी
दर्शना की बात को गौर से सुन रहे थे। वह आगे बोली - भाजपा विरोधी प्रमुख राजनीतिक पार्टी
कांग्रेस भाजपा के हिंदुत्व का विरोध करती है, पर खुद भी सॉफ्ट-हिंदुत्व नजरिया रखती
है। अनेक अवसरों पर कांग्रेस के नेता हिन्दू मंदिरों में अपना सिर नवाने जाते हैं।
न केवल सिर नवाने जाते हैं बल्कि उसका प्रचार-प्रसार भी खूब करते हैं।
तब
शैलबाला बोली - यह तो हिन्दू वोट बैंक पूरा का पूरा भाजपा की तरफ ना चला जाए, उसे रोकने
के लिए करते हैं।
भार्गव
आंटी ने कहा - सैद्धांतिक रूप से भाजपा के समर्थक अपनी बात बहुत ही कुशलता से सामने
रखते हैं और हमारी दर्शना भी बहुत ही काबिल है, पर हमें समझना चाहिए कि भाजपा देश को
हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करना चाहती है और यह उनका सपना है। हमारा देश बहु-सांस्कृतिक
और बहु-धार्मिक देश है, ऐसे में धर्मनिरपेक्षता की मुख्य भावना का होना अत्यंत जरूरी
है और मुझे खुशी है कि हमारा संविधान बहुत ही सोच-समझकर विकसित किया गया संविधान है।
फिर
भार्गव आंटी ने अपना मोबाइल निकाला और उसमे से पढ़कर कहा - हमारे संविधान की प्रस्तावना
में लिखा गया है "हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी,
पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक,
आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा
और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए, दृढ़
संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल
सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित
और आत्मार्पित करते हैं।"
अम्मा
जी ने कहा - भार्गव आंटी ने हमारे देश के संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सभी को बता दी
है। मुझे लगता है कि आज की चर्चा यहीं समाप्त कर दी जाए और इस प्रकार चौपाल समाप्त
हुई।
यह
कथा-श्रृंखला, पाठको
को समर्पित है।
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और टिप्पणियों का।
कल्पना
और तथ्यों के
घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी,
ऐसा मेरा विश्वास
है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं
तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।
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