शनिवार, 3 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 4

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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आज की अम्मा-चाची के चौपाल विशेष रही। पड़ौस में रहने वाली सुमन मामी ने दोपहर की चाय पर आस-पड़ौस की औरतों को बुलाया। राष्ट्रपति पद के 18 जुलाई 2022 को हुए मतदान का रिजल्ट गया था। द्रोपदी मुर्मू भारी मतों से जीतीं, इसी खुशी में सुमन मामी ने अपने घर पर दोपहर की पार्टी रखी। जैसे ही औरतें रही थीं, एक-दूसरे को बधाई दे रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने ही चुनाव जीता हो। द्रोपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी हैं, पर वे पहली आदिवासी महिला हैं जो इस गौरवपूर्ण पद पर पहुँची हैं। 

 

हर कोई द्रोपदी मुर्मू की प्रशंसा कर रहा था। किसी ने बताया कि द्रोपदी मुर्मू धार्मिक प्रवृति की महिला हैं, जो अपने हाथों से मंदिर में झाड़ू लगाने में हिचक महसूस नहीं करतीं।

 

जब सभी इकट्ठे हो गए तो उम्र के लिहाज से अम्मा जी ने सबसे पहले औपचारिक रूप से मीटिंग शुरू करते हुए कहा - आज हम सभी पास-पड़ौस की महिलाएँ यहाँ सुमन के घर पर एकत्रित हुए हैं। हमें खुशी है इस बार द्रोपदी मुर्मू देश की पंद्रहवीं राष्ट्रपति चुनी गई हैं। द्रोपदी मुर्मू अभी चौसठ वर्ष की हैं तथा इनका जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। इसके पहले 2015 से 2021 तक वे झारखण्ड की राज्यपाल थीं। द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया था। बाद वे राजनीति में गयीं।

 

मीटिंग में शामिल एक महिला ने श्रीमती द्रोपदी मुर्मू के बारे में विस्तार से और बहुत सी जानकारी महिलाओं को दी।

 

चाची ने जानकारी देते हुए सभी को बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू को लगभग 64-65 प्रतिशत वोट मिले हैं। इस बार चुनाव में एनडीए में शामिल दलों के अलावा कई विपक्षी दलों के सांसदों और विधायकों ने भी मुर्मू को वोट दिया होगा, तभी जीत भारी अंतर से हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि "मैं पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वोट देने वाले उन सभी सांसदों और विधायकों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। उनकी रिकॉर्ड जीत हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।

 

सुमन मामी बोलीं - इस बार इस चुनाव से यह पता चल गया है कि भाजपा राजनीतिक रणनीति बनाने में अन्य दलों से अत्यंत कुशल है। द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार घोषित कर उन्होंने आदिवासी और पिछड़े लोगों को यह सन्देश देने की कोशिश की है कि वे उनके साथ हैं और उनके हिमायती हैं।

 

चाची ने पूछा कि राष्ट्रपति पद के लिए शपथ कौन दिलाता है तो अम्मा जी ने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना हैं, जो श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएँगे। 

 


अम्मा की बात ख़त्म हुई कि चाची बोलीं - अम्मा, सुना आपने, मध्यप्रदेश में खरगोन नगर पालिका के चुनाव नतीजे चौंकाने वाले रहे। बुधवार 20 जुलाई 2022 को घोषित परिणामों में वहाँ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने तीन वार्ड जीत लिए। वार्ड नंबर- 2 से AIMIM पार्टी की हिंदू महिला उम्मीदवार अरुणा श्यामलाल उपाध्याय ने जीत दर्ज की है। वार्ड- 15 से शकील खान और वार्ड- 27 से शबनम आदिब जीती हैं। जीत के बाद अरुणा ने कहा कि वे ओवैसी के विचारों से प्रभावित हैं। इसी कारण वे AIMIM पार्टी से मैदान में उतरी थीं। अरुणा ने एक बातचीत में कहा कि पार्टी प्रमुख ओवैसी खुलकर संविधान और देश में कानून और समानता की बात करते हैं। उनकी इसी बात से बहुत प्रभावित हूँ। शहर में अप्रैल में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान मन आहत हुआ था, इसलिए अब शहर में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी प्रमुखता से काम करुँगी। 

 

अम्मा जी कहने लगीं - ओवैसी की पार्टी से हिन्दू उम्मीदवार और वो भी महिला। ताज्जुब है।

 

सुमन मामी ने कहा - यही तो भारत की खासियत है कि चाहे कितनी कोशिश करो धार्मिक आधार पर विभाजन की, पर ऐसे उदाहरण मिल ही जाते हैं जो लोगों में एकता और विश्वास का सन्देश देते हैं।

 

पड़ौस में रहने वाली सरोज बुआ गुस्से में कहने लगी - इन राजनीतिज्ञों मंत्रियों की बात निराली है। देश के लिए ये ही तो मेहनत करते हैं। सच्चे देशभक्त तो ये ही हैं, तभी तो किसान के वाहन पर टोल टैक्स लगता है और मंत्री की गाड़ी पर कोई टोल टैक्स नहीं। किसान तो मुफ्त की खाता है जैसे। इतनी मेहनत के बाद किसान की दशा सुधर नहीं रही।

 

अम्मा जी कहने लगी – सरोज, तुम्हारा गुस्सा झलकना स्वाभाविक है। ज्यादातर राजनेता चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं और जब चुनाव जीत जाते हैं तो भूल जाते हैं।

 

बुआ बोली - ये वादे दिखावे के होते हैं। अधिकतर तो जुमले ही होते हैं।

 

तभी एक औरत का बच्चा रोने लगा। उसने चुप करना चाहा तो भी रोता रहा। आखिर वह औरत बोली - मत रो बेटा, चुप हो जा। कहीं सरकार ने सुन लिया तो वे रोने पर जीएसटी लगा देंगे। और सभी औरते खिलखिलाकर हंसने लगीं।

 


अम्मा जी कहने लगीं, आज की मीटिंग बहुत ही अच्छी रही। सुमन को धन्यवाद। हमारे बचपन के जमाने में व्हाट्सएप्प और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया साधन नहीं हुआ करते थे। घर की औरतें अपने घर के मुख्य दरवाजे पर खड़ी होकर पड़ोसनों से बातें किया करती थीं और युवा लडके मोहल्लें में किसी स्थान पर एकत्र होकर गपशप किया करते थे। बातों में घरों और मोहल्ले में घटित हुई घटनाओं से लेकर देश-विदेश की बातें हुआ करती थीं। अब तो लोग घरों में घुसे रहते हैं। या तो टीवी के सामने या फिर अपने मोबाईल में आँखे गढ़ाए रहते हैं। अब तो एक दूसरे से बातें करने के लिए पड़ौसियों के पास समय ही कहाँ है। सब इतने व्यस्त हैं कि उन्हें यह पता यहीं चलता कि पड़ौस में क्या हो रहा है। पहले एक घर का दामाद पूरे मोहल्ले का दामाद हुआ करता था और एक घर की नई नवेली बहु पूरे मोहल्ले में बहु जैसा स्नेह पाया करती थी। पहले रिश्तों में मिठास दिखलाई पड़ती थी। बारातें घरों में आया करती थीं और दूल्हा घर के दरवाजे पर तोरण मारा करता था। जब भी कोई बरात मोहल्ले में प्रवेश करती लोग घरों की छतों पर चढ़कर बरात देखा करते और दूल्हे के बारे में बात किया करते। जैसे - दूल्हा दिखने में तो अच्छा है पर मोटा है। क्या करता है दूल्हा? सुना है बहुत पैसे वाला है दूल्हा। आदि आदि।

 

सभी ने अम्मा की हाँ में हाँ मिलाई और इस तरह आज की चौपाल समाप्त हुई।

 

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कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

 

 

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