सोमवार, 12 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 9

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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आज सुबह से चाची बिहार की राजनीतिक स्थिति के समाचार सुनकर परेशान थीं। जैसे ही अम्मा जी दिखीं तो बोली - पलटूराम ने फिर पलटा मार ही दिया।

 

अम्मा जी कुछ समझ नहीं पाई तो बोलीं - साफ़-साफ़ बता कि हुआ क्या?

 

चाची कहने लगीं - होता क्या? ये नेता लोग तो बस कुर्सी पर नजर रखे रहते हैं। अब देखो ना, नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और घोषणा कर दी कि अब वे एनडीए के साथ नहीं हैं।

 

अम्मा जी ने कहा - नीतीश ने सही तो किया है। नीतीश के इस कदम से चलो विपक्ष के शरीर में कुछ तो जान आएगी।

 

चाची कहाँ रुकने वाली थीं, बोली - नीतीश ने एनडीए का साथ छोड़ने के साथ मुख्यमंत्री पद से स्तीफा दे दिया और साथ ही आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया है और अब आरजेडी के तेजस्वी यादव बिहार के उप-मुख्यमंत्री बन गए हैं और नीतीश ने फिर से बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ले ली है। नीतीश की चाल क्या होगी, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आती, पर ये बन्दा पिछले बाइस सालों से बिहार का मुख्यमंत्री है, हालाँकि बीच में कुछ समय के लिए राबड़ी देवी और जीतन कुमार मांझी भी मुख्यमंत्री रहे हैं और  2005 में आठ महीने से अधिक समय के लिए बिहार में राष्ट्रपति शासन लग गया था, पर पिछले बाइस वर्षों से अधिकांश समय नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे हैं। कभी ये एनडीए की साथ हो जाते हैं तो कभी यूपीए के साथ। सत्ता से चिपकू हैं ये। 

 

अम्मा जी ने कहा - छोटी, तुम तो नाहक ही नीतीश को ही दोष देती हो। राजनीति में सभी नेताओं का लक्ष्य सत्ता हासिल करना ही तो होता है। बिहार के स्वर्गीय राम विलास पासवान भी तो पाला बदलते रहे, कभी यूपीए में तो कभी एनडीए में।

 

चाची ने कहा - हाँ, अम्मा जी, सो तो है, आप सही कह रही हो।

 

अम्मा जी बोलीं - क्या तुम्हें पता है? स्वर्गीय पासवान छः प्रधानमंत्रियों वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल में रह चुके हैं।

 

चाची बोली - अच्छा। चिराग पासवान उन्ही का बेटा है ना? वह क्या कर रहा है?

 

अम्मा जी ने बताया - चिराग अभी लोकसभा का सदस्य है। उसने 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार राज्य की जमुई लोक सभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सुधांशु शेखर भास्कर को करीब 85,000 मतो से हराया था और 2019 के लोक सभा चुनावों में इसी सीट से भूडियो चौधरी को हराया और दूसरी बार लोक सभा का सांसद बना।

 

फिर चाची ने अम्मा जी से पूछा - अम्मा जी, आप क्या सोचती हैं? अभी भी देश की राजनीति में मोदी का मुकाबला कोई कर नहीं सकता। ऐसे में मुझे समझ नहीं आता कि नीतीश ने पाला कैसे बदल लिया। 

 


अम्मा जी कहने लगीं - देश में विपक्ष बहुत ही दीन-हीन अवस्था में है। विपक्षी दलों में एकता भी नहीं है। भाजपा की रणनीति के आगे सभी परास्त हो जाते हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र में भाजपा ने उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा दिया था और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवा दिया। नीतीश के इस कदम से शिवसेना निश्चित ही खुश हुई होगी कि कोई है जिसने भाजपा और नरेंद्र मोदी को चुनौती देने कि हिम्मत की है। यह विपक्ष के लिए एक छोटा सा आशा का दीप है जो बड़ा उजाला विपक्ष के लिए ला सकता है। जरुरत इस बात की है इस समय विपक्षी पार्टियों को सोच समझकर विपक्ष की एकता के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। शरद पवार, नीतीश, ममता बनर्जी, सोनिया गांधी, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव आदि को साथ आना चाहिए। अम्मा बोले ही जा रहीं थीं, कहने लगीं - देश के अन्य राजनीतिक दलों को अलग-अलग महाशक्ति भाजपा से मुकाबला करना वर्तमान दौर में बहुत कठिन हैं। भाजपा के पास शक्तिशाली संगठन है और साथ ही केंद्र और अनेक राज्यों में उसकी सरकार है। वे आईटी, ईडी, सीबीआई आदि का उपयोग विरोधियों को दबाने और परेशान करने में करते हैं। वे हिंदुत्व कार्ड बड़ी होशियारी से खेलते हैं। देश में कोई भी घटना घटित हो, वे उससे राजनीतिक लाभ लेने का भरसक प्रयत्न करते हैं और अधिकतर मामलों में सफल हो जाते हैं। भाजपा ने सोशल मीडिया सहित प्रिंट और इंटरनेट मीडिया पर अपना कब्जा कर रखा है। जनता भाजपा के निर्णयों से कभी-कभी नाराज होती लगती है, पर हिंदुत्व कार्ड इतना प्रबल हो गया है कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से परेशान होने के बावजूद जनता अभी भी भाजपा के साथ लगती है।

 

तभी शैलबाला ने अपनी बात बताते हुए कहा - कुछ लोग नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का भावी उम्मीदवार मान रहे हैं, पर कुछ लोग राहुल गांधी को। अभी स्थिति साफ़ बिलकुल नहीं है। कांग्रेस पार्टी महंगाई, बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरना शुरू करना चाहती है और थोड़ा बहुत घेरना शुरू किया भी है। कांग्रेस पार्टी ने अपना मिशन 2024 बनाकर तैयारी शुरू की है। मैंने सुना है कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष  राहुल गांधी 7 सितंबर 2022 से 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू करने वाले हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक चलने वाली यह यात्रा 5 महीने में पूरी होगी। पार्टी इसे 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देख रही है। खास बात ये है कि राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देंगे जहाँ विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी की तैयारी कैसी है यह पता लग जाएगा। जहाँ तक नीतीश के विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने की बात है वह तो तभी संभव है जब राहुल गांधी खुद को प्रधानमंत्री के दौड़ से अलग कर लें। 

 

सरोज बुआ ने कहा - भाजपा से मुकाबला करने के लिए नेता ऐसा होना चाहिए जो विपक्ष को एक डोर में बाँध दे। नाम भर के गठबंधन की जरुरत नहीं है। भाजपा जोड़-तोड़ में माहिर है। यदि विपक्षी पार्टियाँ 2024 में साठ प्रतिशत सीटें ले भी आती हैं और भाजपा केवल चालीस प्रतिशत सीटें ही ला पाती है, तब भी वह कुछ विपक्षी दलों को अपनी ओर खींच कर वह सरकार बना ही लेगी।

 

सुमन मामी बोलीं - इस साल 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के बाद अगले साल 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव हैं। इन् चुनावों को लोकसभा का सेमीफाइनल समझा जाना चाहिए।

 

औरतें आपसी बातचीत में ऐसी उलझी कि किसने क्या कहा, पता ही नहीं चला। कुछ बातें जो सामने आईं, वे इस प्रकार थीं। सत्ता का मोह क्या न करवा देता। नीतीश शायद अपने मन में प्रधानमंत्री बनाने का सपना पाले है क्या? कुछ कह नहीं सकते। ये राजनेता बहुत ही चालाक होते हैं। इनका सीधा हाथ क्या कर रहा है, उसका पता इनके उलटे हाथ को भी नहीं होता। अब नीतीश को देखो, पाला तो बदल लिया, अब भाजपा नेता गिरिराज सिंह को चैन कहाँ हर दिन नीतीश के पीछे पड़े रहते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद की एक पुरानी टिप्पणी का हवाला देते हुए नीतीश कुमार को 'साँप' की संज्ञा दे डाली। दरअसल, नीतीश कुमार ने 2017 में जब महागठबंधन से अलग होकर फिर से भाजपा से हाथ मिलाया था तो लालू प्रसाद ने ट्वीट कर कहा था, 'नीतीश साँप है जैसे साँप केंचुल छोड़ता है वैसे ही नीतीश भी केंचुल छोड़ता है और हर दो साल में साँप की तरह नया चमड़ा धारण कर लेता है। किसी को शक?' उनके इसी ट्वीट का स्क्रीन शॉट साझा करते हुए अब गिरिराज सिंह ने कहा, 'साँप आपके घर घुस गया है।' साथ ही उन्होंने यह भी कहा, 'बिहार में राजद के पास असली सत्ता होगी। नीतीश ने प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा के चलते राजद से हाथ मिलाया। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के तौर पर अपने आखिरी कार्यकाल में हैं। उन्हें ये कुर्सी फिर कभी नहीं मिलेगी।' नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईर्ष्या करते हैं। उनके मन में फिर से प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा जाग गई है। नीतीश कुमार ने बिहार की जनता और भाजपा को धोखा दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जनता ने एनडीए को अपना जनादेश दिया था। यह उसके साथ धोखा है। चाची कहने लगीं - इस देश में कानूनन फरार व्यक्ति कानून मंत्री बन सकता है, शपथ ले सकता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की महागठबंधन सरकार में कानून मंत्री बनाए गए आरजेडी के कार्तिकेय सिंह फिलहाल विवादों में हैं। साल 2014 के अपहरण के एक मामले में वे कोर्ट की नजर में फरार हैं। उन्‍होंने अभी तक न तो कोर्ट में सरेंडर किया है, न ही जमानत के लिए अर्जी दी है। उन्‍हें 16 अगस्त 2022 को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वे राजभवन में मंत्री पद की शपथ ले रहे थे। कोर्ट में हा‍जिर नहीं होने पर उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है। कोई कुछ तो कोई कुछ बोले ही जा रहा था, तभी पड़ौस की राजरानी वहाँ से निकली, तो बातचीत अचानक रुकी और उससे राम-राम हुई।

 


अम्मा जी ने पूछा कि कहाँ जा रही हो तो राजरानी कहने लगी कि जेठानी के पास जा रही हूँ।

 

चाची ने कहा - सब कुशल मंगल है?

 

राजरानी ने कहा - आपको तो पता ही है कि जेठानी का बेटा और बहु पूणे में हैं। बेटा और बहु ने ज्यादा ब्याज की वजह से अपनी डिपॉज़िट्स एक को-ऑपेरेटिव बैंक में जमा करा दी थीं। अब भारतीय रिजर्व बैंक ने उस बैंक पर कार्रवाई करते हुए बैंक का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। अब देखों ना, ज्यादा ब्याज के लालच में सूद तो सूद मूल से भी हाथ धोना पडेगा।

 

अम्मा बोली - दुर्भाग्य है कि भारत में बैंकिंग में सहकार आंदोलन लगभग फेल सा ही रहा है। आये दिन हम किसी ना किसी कोऑपरेटिव बैंक के बंद होने की खबर सुनते हैं।

 

चाची बोली - राजरानी बहन, लगभग कितना रुपये की डिपॉज़िट्स हैं उस कोऑपरेटिव बैंक में?

 

राजरानी बोली - बहु तो रोए जा रही है। बार-बार कहे जा रही है - मैं ही लालची हूँ जो इस बैंक में पैसा जमा करा दिया। मैंने पूछा तो बड़ी मुश्किल से उसने मोबाइल पर बताया कि लगभग साढ़े चार लाख रूपये उस बैंक में जमा है।

 

चाची बोली - फिर तो अपनी बहु से कहना कि रोने की जरुरत नहीं है। उसका पैसा सुरक्षित है।

 

राजरानी बोली - पर रिजर्व बैंक ने तो उस बैंक का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंक के ग्राहकों का जमा पैसा बैंक में अटक गया है क्‍योंकि रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंक अपने सभी डिपॉजिटर्स का पैसा लौटाने की स्थिति में नहीं है।

 

चाची ने बताया - बैंकों में पाँच लाख रूपये तक की जमा राशि का बीमा होता है अतः किसी भी बैंक के फेल होने की स्थिति में ग्राहकों को उनकी जमा का अधिकतम 5 लाख रुपये तक वापस मिल जाने का प्रावधान है, जो डीआईसीजीसी द्वारा बैंक के डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर ही दे दी जाती है।

 

राजरानी के चहरे पर मुस्कान दिखी, कहने लगी - चाची आपने तो बहुत ही अच्छी बात बता दी। अब भाभी को यह बात बता दूँ ताकि वे पुणे फोन कर अपने बेटे को बता दें। और कहते हुए बड़े-बड़े डग भरती हुई अपनी जेठानी के घर की ओर चली गई।

 

यह कथा-श्रृंखला, पाठको को समर्पित है। आप पढ़े, आनंद लें, टिप्पणी करें, दूसरों को पढ़ाएँ, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करें। स्वागत है आपके सुझावों और टिप्पणियों का।

 

कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

 

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