रविवार, 18 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 15

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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चाची आज कहने लगीं - एक ही तो चैनल था जो सरकार की आलोचना करता था और अपने राजनीतिक विश्लेषण में सरकार की कमियों को सामने रखता था, उसे भी खरीद लिया गया है। अब तो पूरा मीडिया भाजपाई हो गया है।

 

अम्मा ने कहा - छोटी, तू बात आधी-अधूरी ही बताती है। हुआ क्या?

 

चाची ने बताया कि एनडीटीवी को अडानी ने खरीद लिया है।

 

तब भार्गव आंटी बोलीं - खबर तो मैंने भी सुनी थी, एनडीटीवी के अधिग्रहण की खबर चौकाने वाली जरूर है, पर मैंने एनडीटीवी द्वारा दिया एक बयान सुना है, जिसमें उन्होंने कहा कि अधिग्रहण की डील को लेकर एनडीटीवी के फाउंडर और प्रमोटर्स के साथ किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई। एनडीटीवी के बयान के मुताबिक अडानी समूह की सब्सिडरी कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) द्वारा एनडीटीवी को एक नोटिस दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि VCPL ने RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPRH) का नियंत्रण हासिल कर लिया है। RRPRH के पास NDTV के 29.18 प्रतिशत शेयरों का मालिकाना हक है। नोटिस के मुताबिक RRPRH को अपने सभी इक्विटी शेयरों को VCPL को हस्तांतरित करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। अपने बयान में एनडीटीवी ने यह भी बताया है कि उनके मुताबिक VCPL ने अपने जिस अधिकार का प्रयोग किया है, वह वर्ष 2009-10 में NDTV के संस्थापकों के साथ किए गए उसके कर्ज समझौते पर आधारित है। इस अधिकार इस्तेमाल को लेकर VCPL की ओर से किसी तरह की चर्चा नहीं की गई है। NDTV ने आगे कहा कि हमने अपनी पत्रकारिता से कभी समझौता नहीं किया है। हम अपनी उस पत्रकारिता के साथ गर्व से खड़े हैं। भार्गव आंटी ने अपनी बात जारी रखते हुए बताया - मंगलवार 23 अगस्त 2022 को अडानी समूह ने शेयर बाजार को बताया था कि अडानी मीडिया वेंचर्स लिमिटेड (एएमवीएल) ने एनडीटीवी में 29 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी खरीदी है। अडानी ग्रुप ने ये भी कहा कि NDTV में अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी ओपन ऑफर की पेशकश करेगा। अडानी समूह ने अधिग्रहण के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।

 

अम्मा जी बोलीं - खबरों से साफ़ है और मुझे लगता है कि एनडीटीवी का अभी अधिग्रहण अडानी द्वारा नहीं हुआ है। हाँ, अडानी समूह ने अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी ओपन ऑफर की पेशकश करने के लिए सोचा है। अभी अडानी समूह के पास एनडीटीवी के 29.18 प्रतिशत शेयर ही हैं। अधिग्रहण के लिए पचास प्रतिशत से अधिक शेयर होने चाहिए। लोग भी बस जल्दबाजी में जाने क्या क्या बोल देते हैं। हमें भी पूरी खबर को अच्छी तरह से पढ़कर समझकर रिएक्ट करना चाहिए।

 


चाची बोली - अम्मा जी, मुझे तो जितना पता था वही मैंने बताया। यह तो भार्गव आंटी को ज्यादा जानकारी है, जो उन्होंने खबर के बारे में जानकारी अच्छे से बता दी। यह अच्छी बात है कि एनडीटीवी बिका नहीं है, अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए जो ओपन ऑफर अडानी समूह द्वारा दिया गया है, उसे एनडीटीवी प्रबंधन को स्वीकार नहीं करना चाहिए।

 

वैसे तो अम्मा जी के बड़े बेटे की पत्नी दर्शना मोहल्ले में औरतों की रोजमर्रा की बातचीत में उपलब्ध नहीं रहती, क्योंकि वह कामकाजी स्त्री है और प्रतिदिन उसे अपने ऑफिस जाना होता है। उसे टाइम ही नहीं मिल पाता, पर इतवार या छुट्टी के दिन वह भी कभी कभार औरतों की बातचीत में शामिल हो जाती है। दर्शना, बातों को गौर से सुन रही थी, बोली कि आज के जमाने में आलोचनात्मक विश्लेषण की बहुत जरुरत है, इसलिए एनडीटीवी का अधिग्रहण किसी ऐसे कॉर्पोरेट द्वारा नहीं होना चाहिए जो सरकार का समर्थक हो और एनडीटीवी की पत्रकारिता मूल्यों को बदल दे।

 

दर्शना की बात सुनकर चाची हँसकर बोली - अरे भाजपा की कट्टर समर्थक, क्या बोल रही है। मुझे तो आश्चर्य हो रहा है।

 

तभी दर्शना ने कहा - चाची जी, मैं भाजपा समर्थक जरूर हूँ, पर स्वतन्त्र पत्रकारिता की पक्षधर हूँ और कभी नहीं चाहूँगी कि विरोध की आवाज को दबा दिया जाए। मुझे भी एनडीटीवी में रविश कुमार की बात सुनने में आनंद आता है।

 

अम्मा जी बोली - मेरी बहु सही ही तो कह रही है। प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक वाल्तेयर ने कहा था किहो सकता है मैं आप से असहमत होऊं, पर अपनी बात कहने के आपके अधिकार की रक्षा मैं अपनी अंतिम साँस तक करूँगा।उनका यह कथन जनतांत्रिक मूल्यों-आदर्शों को उजागर करने वाला है। हमारा भारतीय जनतंत्र भी तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है।

 


यह सब सुनकर राजबाला ने कहा - अगर अडानी छब्बीस प्रतिशत शेयर और खरीद लेते हैं तो वे एनडीटीवी कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक बन जाएँगे और एनडीटीवी के प्रबंधन में अडानी का प्रभाव प्रमुख होगा और ऐसी स्थिति में एनडीटीवी की स्वतन्त्र सम्पादकीय नीति को प्रभावित का सकेंगे और एनडीटीवी चैनल की विश्वसनीयता भी आहत होगी। फिलहाल एनडीटीवी देश के चंद चैनलों में से एक है जो स्वतन्त्र है। आज भारत के अधिकाँश मीडिया संस्थान पूँजीपतियों के हाथ में हैं। जिन मीडिया संस्थानों में पूँजीपतियों का बड़ा हिस्सा होता है, वहाँ पूँजीपतियों के दखल के कारण वे मीडिया संस्थान सरकार और पूँजीपतियों के खिलाफ नहीं बोल पाते हैं। भारत में स्वतन्त्र मीडिया संस्थानों की जरुरत है और यही देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए जरूरी भी है।

 

अम्मा जी ने कहा - राजबाला भी सही कह रही है। पर भविष्य में क्या होगा, इसके बारे में आज नहीं कहा जा सकता। 

 

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कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।

 

 

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