कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल
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लेखक
- केशव राम सिंघल
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16
कभी-कभी महिलाओं
की बातचीत में आध्यात्मिक और नैतिक विषयों पर
भी चर्चा शुरू
हो जाती है।
आज जब महिलाएँ
इकट्ठी हुईं तो राजरानी ने पूछ ही लिया
- सत्य क्या है?
अम्मा
जी ने चर्चा
की शुरुआत करते
हुए कहा - जो
वास्तव में है, वही सत्य
है। जिसे नकारा
नहीं जा सकता वह सत्य
है। असत्य का
विलोम सत्य है।
जो झूठ (असत्य)
नहीं, जो संदेह
उत्पन्न ना करे, वही सत्य
है।
चाची
ने कहा - मैं
हूँ। वर्तमान में
मेरा होना एक सत्य है।
साथ ही चाची ने पूछा
- क्या ईश्वर है,
यह सत्य है या असत्य?
शैलबाला
बोली - ईश्वर है,
यह अवधारणा स्पष्ट
नहीं। आस्तिक के
लिए ईश्वर है।
उसके लिए ईश्वर
का होना सत्य
लगता है। नास्तिक
ईश्वर को स्वीकार
नहीं करता, इसलिए
उसके लिए ईश्वर
सत्य नहीं।
चाची
बोली - इसका मतलब
हुआ कि एक के लिए
जो सत्य है,
वह दूसरे के
लिए असत्य हो
सकता है।
सुमन
मामी बोलीं - चाची आपने तो भ्रमित कर दिया। सच तो सच होता है। सच झूठ कैसे हो सकता
है? इस संसार में सच एक बहुत बड़ी शक्ति है। सच के सामने झूठ टिकता नहीं।
राजरानी
कहने लगी - ये
सब आदर्श की
बाते हैं। आज तो इंसान
सच को झूठ और झूठ
को सच बनाने
में लगा हुआ है।
अम्मा
जी कहने लगीं
- कुछ भी कहो जब भी
झूठ पकड़ा जाता
है तो झूठा व्यक्ति अपमानित होता
है। नैतिकता कहती
है कि हमें झूठ का
नहीं, सत्य का साथ देना
चाहिए।
सरोज
बुआ बोली - कहा
जाता है कि सत्य परेशान
हो सकता है,
किन्तु पराजित नहीं।
भार्गव
आंटी ने कहा -
भारत में राजा
हरिश्चन्द्र एक ऐसे
उदाहरण थे, जिन्होंने
अपने जीवन में
यह संकल्प कर
लिया था कि भले ही
जो कुछ हो जाए वे
सत्य की राह नहीं छोड़ेंगे।
राजरानी
ने पूछा - सत्य
और असत्य के
बीच भेद क्या
है?
चाची
ने कहा - सत्य
और असत्य एक
बहुत ही सूक्ष्म
रेखा के दोनो तरफ रहने
वाले विषय है।
एक असत्य जो
प्रमाणित नहीं हुआ
वह सत्य के बराबर स्वीकार
लिया जाता है।
शैलबाला
बोली - सत्य वह है जो
हमेशा से मौजूद
था, आज है और हमेशा
मौजूद रहेगा। असत्य
वह है जो कल नहीं
था, आज है, और कल
नहीं रहेगा।
भार्गव
आंटी ने कहा -
सत्य उस सूर्य
की तरह है जो नित्य
अपने प्रकाश से
उज्जवल है और अपनी महिमा
में स्थित है।
असत्य तो ग्रहण
की तरह है जिसे लगता
है कि उसने सूर्य का
अस्तित्व ख़त्म कर
दिया, लेकिन कुछ
समय बाद खुद ही ख़त्म
हो जाता है। सत्य हमेशा
स्वीकार्य योग्य है। अम्मा जी ने शुरू में ही सही बात कही कि जो वास्तव में है, वही
सत्य है। जिसे नकारा नहीं जा सकता वह सत्य है। असत्य का विलोम सत्य है। जो झूठ (असत्य)
नहीं, जो संदेह उत्पन्न ना करे, वही सत्य है।
मोहल्ले
की औरतों की इन बातों को सुनने के
बाद मेरे मन में भी
कुछ बातें उठने
लगीं। ऐसी बातें
जिनका उत्तर शायद
मैं न दे सकूँ। वैसे
तो सत्य और धर्म के
लिए महाभारत का
युद्ध हुआ था, पर महाभारत
का अंत क्या
हुआ? महाभारत युद्ध
में लाखों योद्धाओं
के मारे जाने
के बाद कौरवों
के तीन और पांडवों के पंद्रह
योद्धा कुल अट्ठारह
योद्धा जीवित बचे।
ऐसे सच और धर्म का
भी क्या फ़ायदा
जिसके अंत में नुकसान अधिक
हुआ हो। महाभारत युद्ध के कारण लाखों महिलाएँ विधवा हो गई थीं। समाज नेतृत्व विहीन
हो गया था। राज्यों का बिखराव हो गया। राज्य व्यवस्था संभालने के लिए योग्य व्यक्तियों
का अभाव हो गया। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के फलस्वरूप भारत से वैदिक धर्म, समाज,
संस्कृति और सभ्यता का पतन हो गया। महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठर भारत वर्ष के राजा
तो बने पर सब कुछ खोकर। पांडवों में भी राज करने की कोई इच्छा नहीं रही। सभी को वैराग्य
की इच्छा हुई। युधिष्ठर अपना सिंहासन परीक्षित को सौंप कर अपने चारों भाईयों व द्रोपदी
आदि के साथ अपने जीवन की अंतिम यात्रा के लिए हिमालय की ओर चल पड़े। धृतराष्ट्र और उनकी
पत्नी गांधारी भी हिमालय की ओर चले गए थे। इस सबके बाद धीरे-धीरे भारत में विदेशी आकर
बसने लगे और उनके प्रभाव की वजह से भारत में अनेक धर्म और अनेक संस्कृतियाँ विकसित
होने लगीं।
फिर
अचानक विषयांतर कर अम्मा जी ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ
था। युद्ध शुरू करना आसान होता है, रोकना बहुत ही मुश्किल। युद्ध विध्वंसकारी होता
है। युद्ध सभी को नुकसान पहुँचाता है। छह महीने से चल रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध।
चाची
बोलीं - हाँ, अम्मा जी, आप सही कह रही हो। यूक्रेन के लाखों लोगों को विस्थापन का दर्द
झेलना पड़ रहा है। दूसरे देशों में वे शरणार्थी के रूप में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं।
हजारों की तादाद में दोनों देशों के सैनिकों को अपनी जान गँवानी पड़ी है।
शैलबाला
ने बताया - एक अनुमान के मुताबिक़ रूस के सत्तर हजार से अधिक सैनिक इस युद्ध में मारे
गए हैं। इस युद्ध में अरबों डॉलर की संपत्ति तबाह हो गई है।
सुमन
मामी ने कहा - इस युद्ध में यूक्रेन का मारियुपोल शहर तो जैसे यूक्रेन के नक्शे से
ही मिट गया है। कितने दुःख की बात है कि एक जीता जागता शहर जमींदोज हो गया।
सरोज
बुआ ने बताया - प्राप्त खबरों के मुताबिक़ कई बार रूस में युद्ध-विरोधी प्रदर्शन हुए।
आम नागरिक युद्ध नहीं चाहते। रूस में सोलह हजार से अधिक लोगों को युद्ध-विरोधी प्रदर्शन
के लिए गिरफ्तार किया गया है।
भार्गव
आंटी कहने लगीं - युद्ध के फलस्वरूप रूसी अर्थव्यवस्था भी बहुत बुरे दौर से गुजर
रही है। युद्ध के कारण यूक्रेन भी आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित है। रूस-यूक्रेन
युद्ध का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। आने वाले छह माह और कठिन होंगे
क्योंकि सर्दी का मौसम आने वाला है।
अम्मा
जी ने कहा – काश ….. रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति हो और विश्व शान्ति की राह पर चले।
सभी
ने अम्मा जी के साथ सहमति में अपना सिर हिलाया और उसके बाद औरतों की चर्चा समाप्त हो
गई।
यह
कथा-श्रृंखला, पाठको
को समर्पित है।
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और टिप्पणियों का।
कल्पना
और तथ्यों के
घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी,
ऐसा मेरा विश्वास
है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं
तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।
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