शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 7

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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अम्मा जी ने बताया कि आज उनके बड़े बेटे की बहु दर्शना का मिजाज गर्म था। दर्शना बहु बेटे से बोली - आपको भाजपा पसंद नहीं और हमें कांग्रेस। हर वक्त भाजपा को बुरा-भला कहते हो। बड़ा बेटा बोला - तुम्हीं के कहने से हमने भाजपा को 2014 में वोट दिया था और पछता रहे हैं, कितनी महँगाई बढ़ गई है। देखो जी महँगाई तो बढ़ने वाली चीज है, कब नहीं बढ़ी महँगाई? तुनकते हुए बड़े बेटे की बहु ने कहा। वैसे भी तुम्हारे वोट देने से क्या होता है। कौन सा तुमने हमारी पार्टी को 2019 में वोट दे दिया। नहीं दिया तो क्या तुम बना पाए अपनी सरकार। तुम्हारे वोट से अब कुछ नहीं होने वाला। सरकार तो 2024 में हमारी ही बनेगी।

 

अम्मा जी ने बताया कि उस समय मैं तो चारपाई पर लेटी थीं, लेटे-लेटे बोली - कम से कम घर में तो राजनीति की बातें मत किया करो। एक-दूसरे से कभी-कभार प्यार से बातें कर लिया करो।

 

बड़ी बहु तुनक कर बोली - बहुत कर लिया प्यार-व्यार। इनसे प्यार करने के चक्कर में तीन-तीन पैदा हो गए और अपना शरीर भी खराब कर लिया। 

 


बड़ा बेटा कहाँ रुकने वाला था - हाँ, सारा दोष हमारा ही है। हर वक्त हमें ही दोष। हम तो सुन-सुनकर पक गए हैं। हम जब दूसरे लोक जाएँगे तो भगवान से कहेंगे कि हमें इनसे दूर ही रखना। हम भाजपा की गलत बातों को ही सामने रखते हैं। अभी देखो ना ! उत्तर प्रदेश में चुनाव चल रहे थे, तभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद जो इंटर में एडमिशन लेगा उसे भाजपा सरकार लैपटॉप और टेबलेट देने का काम करेगी। बस एक बार सरकार बनवा दो। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इंटर, अब देखो ना, अब मुख्यमंत्री के बाद उप-मुख्यमंत्री बनने का ज़माना गया है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार बनी तो यह चरितार्थ हो गया। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस उप-मुख्यमंत्री बने, जो पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जय हो !

 

बड़ी बहु भी कहाँ रुकने वाली थी, तुनक कर बोली - इनका बस चले तो जो चाहे कह दें। इनकी पार्टी के नेताओं  को बोलने का सलीका भी नहीं आता। राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी बोलते हैं।

 

बेटा बोला - सोचिये राष्ट्रपति को गलती से राष्ट्रपत्नी कहने पर अपमान हो गया। याद है कैसे चिल्लाए थे सांसद। संसद की दीवारें कांपने लगी थीं।

 

सबको मजा आ रहा था, पति-पत्नी की लड़ाई की बाते सुनने में। आगे की बात अम्मा जी ने बताई। बड़ा कहाँ रुकने वाला था। ऐसे बोला जैसे वही पार्टी का प्रवक्ता हो।

 

बेटा कहने लगा - भाषा की अज्ञानता  या फिर जबान फिसलने के कारण  कांग्रेस नेता सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति की जगह राष्ट्रपत्नी सम्बोधित कर दिया, जिसके लिए बाद में उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर माफी भी माँगी। सांसद ने माफी माँग ली है और विवाद समाप्त मान लिया जाना चाहिए, लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं। उन्हें तो विवाद चालू रखने में ही आनंद आता है। जब भाजपा ने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन आदिवासी महिला के अपमान पर कांग्रेस से माफी मांगने की मांग की तब भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अधीर रंजन इस मामले में पहले ही माफी माँग चुके हैं।

 

अपनी बात जारी रखते हुए बड़ा बेटा बोला - भारत में राष्ट्रप्रमुख के लिए अंग्रेजी में प्रेसीडेंट (President) शब्द और हिंदी में राष्ट्रपति शब्द प्रयोग किया जाता है। वस्तुतः राष्ट्रपति शब्द पुर्लिंग शब्द है, और एक अहिन्दीभाषी को लग सकता है कि जब एक महिला देश की प्रमुख है तो उसके लिए राष्ट्रपत्नी बोला जा सकता है। उसे यह कल्पना भी नहीं रही होगी कि उसके यह बोलने से विवाद पैदा हो जाएगा। अधीर रंजन चौधरी बंगाल से हैं तथा उनकी मातृभाषा बंगाली है, फिर भी वे अपनी बात संसद में हिंदी में रखते हैं और अकसर छोटी-छोटी व्याकरण सम्बन्धी भूलें उनके सम्बोधन में सुनने को मिल सकती हैं, पर वे अपनी बात हिंदी में सम्प्रेषित कर लेते हैं।

 

अम्मा जी ने बताया - वह लगातार बोले जा रहा था, ऐसा लगने लगा कि वह भाषण दे रहा हो। कहने लगा - भाषा की अज्ञानता की वजह से भविष्य में विवाद पैदा नहीं हो, इसलिए मेरा सुझाव है कि चूँकि राष्ट्रपति शब्द पुर्लिंग शब्द है, राष्ट्रपति शब्द के लिए राष्ट्रप्रमुख शब्द का उपयोग किया जा सकता है तथा इस सम्बन्ध में देश की सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए।

 


बेटे की बात सुनकर दर्शना बेटे से बोली - हाँ, आपकी बात में दम है। चलो अब इसी बात पर मैं आपको कुल्फी खिलाती हूँ। बेटा बहु की बात सुन खुश हो गया और दर्शना फ्रिज में से कुल्फी लेकर आई और सभी ने कुल्फी खाई। उसके बाद घर के दरवाजे की घंटी बजी और लोग चौकन्ने कि कौन आया है और बड़ा बेटा दरवाजे की ओर चल दिया।

 

अम्मा जी की बातें सुनकर चाची कहने लगीं - देखो यही तो हैं हमारे देश के जनतंत्र की खासियत कि एक ही परिवार में आपको विभिन्न राजनीतिक दल में आस्था रखने वाले सदस्य मिल सकते हैं। 

 

शैलबाला अम्मा जी ओर देखते हुए बोली - अम्मा जी, मैं सोच रही हूँ कि एक अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश ले आऊँ। कौन सा लेकर आऊँ?

 

अम्मा जी ने कहा - मेरे विचार से फादर कामिल बुल्के का 'अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश' और 'हिन्दी-अंग्रेज़ी लघुकोश' दोनों ही ठीक हैं। वैसे बाजार जाओगी तो बहुत से शब्दकोश मिलेंगे, जैसे ऑक्सफ़ोर्ड अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश, राजकमल अंग्रेजी-हिंदी कोश। ये सभी शब्दकोश अच्छे हैं। बच्चों के पास शब्दकोश जरूर होने चाहिए, ताकि शब्दों का अर्थ समझने में दिक्कत ना हो।

 

राजरानी कहने लगी - अम्मा जी, हम तो अनुवाद के लिए गूगल ट्रांसलेटर का उपयोग करते हैं।

 

शैलबाला बोली - गूगल ट्रांसलेटर कितना विश्वसनीय है, इस पर सोचना होगा। मेरे विचार से गूगल ट्रांसलेटर अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है। हालाँकि इसके अनुवाद में लगातार सुधार हो रहा है, फिर भी मैं सोचती हूँ कि एक प्रामाणिक शब्दकोश खरीद ही लिया जाए।

 

अम्मा जी कहने लगीं - गूगल ट्रांसलेटर एक बहुत ही उपयोगी साधन है। इसके जरिए हम आसानी से एक भाषा से दूसरी भाषा में एक ही क्षण में अनुवाद कर सकते हैं। कई भारतीय भाषाओं के लिए यह सुविधा उपलब्ध है। फिर भी शब्दकोश की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता।

 


तभी इनु और गुल्लू वहाँ आईं और पूछने लगीं कि चमगादड़ पेड़ों पर उलटे लटक कर कैसे सो लेते हैं?

 

राजरानी कहने लगी - आजकल बच्चे भी ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछते हैं जिनके उत्तर हमें नहीं आते।

 

चाची ने कहा - यह अच्छी बात है कि बच्चे प्रश्न पूछते हैं। प्रश्न पूछना और जानकारी प्राप्त करना अच्छी बात है।

 

शैलबाला बोली - प्रश्न पूछना अच्छी बात है सिर्फ बच्चों के लिए। नागरिक यदि सरकार से कुछ पूछना चाहे तो सरकार उसे अच्छा नहीं मानती।

 

चाची ने टोका - शैलबाला, तुम विषयांतर मत करो। अभी बच्चों की जानकारी के लिए बात बताते हैं। बच्चों, चमगादड़ सोने के लिए खोखले पेड़ में खुद को उलटा लटका लेते हैं और अपने पँख को शरीर के चारों ओर लपेट लेते हैं। चमगादड़ उल्टा लटकने के बाद भी गिरते नहीं हैं। दरअसल उनके घुटने पीछे की ओर होते हैं और जब वे आराम करने के लिए उलटे लटकते हैं तो पैर की उँगलियों और पैरों को बंद कर लेते हैं। वे लटकते समय ऊर्जा नहीं लगाते। वे अपने पैर की उँगलियों और पैरों को पेड़ों की डालियों या किसी जगह में बंद कर लेते हैं, तब उनके शरीर का वजन और गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें लटकाए रखता है। जब उन्हें उड़ना होता है तो पैर की मांसपेशियों को मोड़ लेते है और ऐसा करने से  उनके पैर की उँगलियाँ और पंजे छूट जाते हैं और तब वे उड़ान शुरू कर लेते हैं। जब वे हवा में लटक कर सोते हैं तो उन्हें उड़ने में आसानी होती है।

 

इनु और गुल्लू चाची की बात गौर से सुन रहे थे और फिर वे धन्यवाद देकर चले गए।

 

जैसे ही बच्चे गए राजरानी ने कहा - चाची, मैं तो चमगादड़ नाम से ही डरने लगी हूँ।

 

चाची ने पूछा - ऐसा क्यों?

 

राजरानी बोली - चाची, इन चमगादड़ों की वजह से तो कोरोना की बीमारी फ़ैली थी।

 

सभी हँसने लगे और फिर आज की बातचीत समाप्त हुई।

 

यह कथा-श्रृंखला, पाठको को समर्पित है। आप पढ़े, आनंद लें, टिप्पणी करें, दूसरों को पढ़ाएँ, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करें। स्वागत है आपके सुझावों और टिप्पणियों का।

 

कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

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