मंगलवार, 13 सितंबर 2022

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल - 10

कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल

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लेखक - केशव राम सिंघल

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कुछ दिन पहले ही चाची ने बताया था कि सीनियर सिटिजंस को रेल किराए में छूट नहीं मिलेगी, पर आज अम्मा जी ने बताया कि सरकार सीनियर सिटिजंस को किराए में छूट देने कि सोच रही है।

 

चाची बोली - अम्मा जी, आपने यह अच्छी खबर सुनाई। चलो एक बार छूट चालू हो जाए तो एक बार गंगा जी नहाने के लिए चले।

 

अम्मा कहने लगीं - हमारी तो उम्र अब नहीं रही आने-जाने की। हम तो घर के पानी को ही गंगा-जल समझ कर उससे नहा लिया करते हैं। अब तीरथ करे भी कैसे? रेलगाड़ी से आना-जाना कठिन लगता है।

 

चाची बोली - एक बार मन बना लो, फिर सब व्यवस्था हो जाएगी। चिंता क्यों करती हो, फिर हम भी तो साथ होंगे। देशाटन भी हो जाएगा और तीरथ भी। रास्ते में दिल्ली पडेगा, तो वहाँ राजघाट भी हो आएँगे। अच्छा, अम्मा जी, आप कह रही हैं कि सरकार सीनियर सिटिजंस को किराए में छूट देने कि सोच रही है। पूरी खबर बताओ ना।

 


अम्मा जी कहने लगीं - रेल संबंधी संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि कोविड से पूर्व वरिष्ठ नागरिकों को दी जा रही रियायत की समीक्षा की जाए और कम से कम स्लीपर, एसी-3 में तत्काल रियायत देने पर विचार किया जाए। आशा की जाती है कि सरकार रेल संबंधी संसद की स्थायी समिति के सुझावों को शीघ्र स्वीकार कर वरिष्ठ नागरिकों को कम से कम स्लीपर और एसी-3 के किराए में रियायत देगी।

 

फिर अपनी बात का विषय बदलते हुए अम्मा जी ने सभी को बताया - गुजरात के बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी ग्यारह दोषियों को 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस के दिन गोधरा जेल से रिहा कर दिया गया।

 

चाची ने कहा - हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम--गुलिस्तां क्या होगा। जितना दुःख है, उतना ही गुस्सा है देश के सिस्टम पर।

 

शैलबाला बोली - जो हुआ गलत हुआ।

 

राजबाला ने कहा - इन्साफ कहाँ है? इस राज में देश कहाँ जाएगा? सुना है फैसले अब अदालत नहीं, साहब के इशारों पर होते हैं। शायद उनका इशारा मोदी जी की तरफ था।

 

चाची कहने लगीं - मोदी जी ने तो नहीं लिया ये फैसला।

 

शैलबाला बोली - चाची, आप मोदी जी का पक्ष ले रही हो। उनके इशारे के बिना क्या ये संभव है? ये देश केवल दो आदमी चला रहे हैं और दोनों गुजरात से हैं। जिस 2002 दंगे की वजह से साहब पीएम के पद पर पहुँचे हैं तो भला उनके लोग अंदर कैसे रहेंगे। 2002 के दंगों की वजह से देश का हिन्दू वोट इन्हें मिला।

 

चाची बोली - मैंने कब पक्ष लिया मोदी जी का? रिहाई तो जेल नियमों और कानून के अंतर्गत ही हुई होगी। देश में कानून होता है।

 

राजबाला कहने लगी - एक तरफ सत्ता हर घर तिरंगा अभियान चलाती है और दूसरी तरफ बलात्कारियों के सम्मान में उन्हें रिहा करती है।

 

तभी अम्माजी ने कहा - छोटी की बात सही लगती है। देश में कानून का राज है। किसी को भी रिहाई मिलती है तो उसके भी नियम-कायदे होते हैं और उसी अनुसार रिहाई मिली होगी। गांधी जी भी कहा करते थे - पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। वैसे भी बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को केंद्र सरकार ने नहीं गुजरात राज्य सरकार ने रिहा किया है।

 

तभी पड़ौस की एक महिला ने पूछा - ये बिलकिस बानो गैंगरेप केस क्या है?

 

चाची ने बताया - 3 मार्च 2002, बिलकिस बानो के लिए यह वह दिन था जब उसकी जिंदगी तबाह हो गई। दंगाईयों की भीड़ बिलकिस के घर में घुसी और निर्ममता से उसकी आंखों के सामने ही पूरे परिवार को खत्म कर दिया। दंगाईयों का जी यहीं नहीं भरा, उन्होंने बिलकिस के साथ हैवानियत की। उसके साथ एक-एक करके कई लोगों ने गैंगरेप किया। वह दर्द से तड़पकर बेहोश हो गई। होश आया तो न्याय के लिए उसने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उसके दोषियों को उम्रकैद हुई लेकिन अब उन्हें गुजरात सरकार ने जेल से रिहा कर दिया है।

 

तब राजरानी बोली - अम्मा जी, क्या कानून इतना अँधा है कि उसको इन्साफ भी नहीं दिख रहा है? क्यों किया जेल से रिहा?

 

चाची ने बताया - दोषियों ने 15 साल से अधिक जेल की सजा काटने के बाद समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को उनकी सजा माफ करने के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था। गुजरात सरकार ने इस मामले के लिए एक समिति का गठन किया था, जिसने सभी ग्यारह दोषियों की छूट के पक्ष में सर्वसम्मति से निर्णय लिया और अपनी रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौपी। इस पैनल की रिपोर्ट के बाद दोषियों को 15 अगस्त के दिन जेल से आजाद कर दिया गया।

 

एक महिला ने कहा - पंद्रह अगस्त के दिन नहीं किया जाना चाहिए था रिहा। किसी और दिन करते?

 

अम्मा जी बोली - पंद्रह को करो या सोलह को। क्या फर्क पड़ता है। दोषियों ने पंद्रह साल की सजा काटी, उसी के बाद ही रिहा किया गया है। वैसे भी पंद्रह साल कोई कम समय नहीं होता। वैसे भी जेल अपराधियों का सुधार गृह है। आशा की जानी चाहिए कि जिन दोषियों को सरकार ने रिहा किया है, उन्हें निश्चित ही अपने किए पर पछतावा हुआ होगा और वे अब एक अच्छे नागरिक की तरह अपना जीवन व्यतीत करेंगे।

 


चाची कहने लगी - लोग हर बात के लिए मोदी जी को घेर लेते हैं।

 

शैलबाला बोली - सो तो है। पर उस समय गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने क्या कहा, आपको पता है?

 

चाची बोली - हमें तो नहीं पता, तुम्हें पता हो तो तुम्हीं बताओ।

 

शैलबाला ने बताया - पीड़िता बिलकिस बानो ने कहा है कि सभी ग्यारह दोषियों की समय से पहले रिहाई ने न्याय में उसके विश्वास को हिला दिया है और स्तब्ध कर दिया है। उसने गुजरात सरकार से "बिना किसी डर और शांति से जीने" का अधिकार वापस देने की अपील की है। साथ ही बिलकिस बानो ने कहा कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण निर्णय" लेने से पहले किसी ने भी उसकी सुरक्षा और भलाई के बारे में नहीं सोचा। उसने कहा कि उसके पास शब्दों की कमी है, वह अभी भी सुन्न है। वह केवल इतना कह सकती है कि "किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे समाप्त हो सकता है?"

 

 चाची कहने लगीं - गुजरात सरकार को इन सब बातों पर विचार करना चाहिए। 

 

शैलबाला बोली - चाची, बिलकिस बानो ने और क्या कहा, वह भी सुन लो। उसने कहा, "मैंने अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा किया। मुझे व्यवस्था पर भरोसा था, और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। मेरा दुःख  और मेरा डगमगाता विश्वास अकेले मेरे लिए नहीं है, बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।"

 

अम्मा जी ने कहा - बिलकिस बानो ने जो कहा, वह उसकी दिली भावनाएँ हैं और गुजरात सरकार को बिलकिस बानो के परिवार की समुचित सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए।

 

एक औरत बोली - हाँ, अम्मा जी आप सही कह रही हो।

 

तभी शैलबाला बोली - दुःख ही बात है कि महिला के सम्मान को ढेंगा दिखाते हुए उन सभी दोषियों को जेल रिहाई के बाद माला पहनाई गई और स्वागत किया गया, शर्म की बात है। देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के गृहराज्य में ऐसा हुआ, बहुत ही दुःख और शर्म की बात है, इसे किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता। बलात्कारियों और अपराधियों के लिए भाजपा का सॉफ्ट कॉर्नर लगता है। और इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है? सुना है भाजपा विधायक उस समिति में थे जिसने राज्य सरकार को सभी ग्यारह दोषियों की छूट के पक्ष में सर्वसम्मति से निर्णय लिया। गुजरात में भाजपा की ही सरकार है।

 

शैलबाला की यह बात सुनकर सभी औरतों के चेहरों पर दुःख, भय और क्षोभ का मिश्रित भाव दिख रहा था।

 

इस बात के कई दिन बाद जब मैं समाचार पढ़ रहा था तो एक समाचार पर मेरी नजर पड़ी, जिसमें बताया गया था कि बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को सज़ा सुनाने वाले जस्टिस (सेवानिवृत्त) यू.डी. साल्वी ने कहा है कि रिहाई से पहले उनसे सलाह नहीं ली गई। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को छूट पर रिहा करने का अधिकार है लेकिन कानून यह भी बताता है कि शक्तियों का इस्तेमाल कैसे हो।" उन्होंने सवाल किया, "क्या अपराधियों ने वास्तव में पश्चाताप किया?"

 

यह कथा-श्रृंखला, पाठको को समर्पित है। आप पढ़े, आनंद लें, टिप्पणी करें, दूसरों को पढ़ाएँ, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करें। स्वागत है आपके सुझावों और टिप्पणियों का।

 

कल्पना और तथ्यों के घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कथा में दिए सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं तथा इंटरनेट से साभार लिए गए हैं।

 

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