कथा-श्रृंखला - हमारी अम्मा और पड़ौस की चाची की चौपाल
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लेखक
- केशव राम सिंघल
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जैसे
ही हमारी अम्मा और पड़ौस वाली चाची अपने घर की चौखट पर आईं तो चाची ने एक जोरदार चटपटी
खबर सुनाई। उन्होंने बताया कि बिहार के एक गाँव में चार बच्चों के पिता ने दो बच्चों
की माँ से शादी रचाई। इसमें सबसे मजेदार बात यह रही कि दोनों के बच्चे बड़े-बड़े हैं।
यह
सुन अम्मा जी मुस्कराने लगीं तो धीरे से चाची बोली - हाँ, अम्मा जी, दुल्हन तो विधवा
थी, पर दूल्हे की पहली पत्नी अभी भी जीवित है और अभी कुछ समय पहले दूल्हे ने अपनी बड़ी
बेटी की शादी की थी।
अम्मा
जी ने कहा - उनके नाती-पोतों के खेलने की उम्र है और दोनों ने खुद ही शादी रचा ली।
चाची
के मुख पर भी मुस्कराहट दिखी तो बोलीं - हाँ, अम्मा जी। कैसी-कैसी खबरे सुनने को मिलती
है।
अम्मा
जी बोलीं - बुढ़ापे में, वह भी अपनी पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी औरत से शादी और वह
भी तब जब खुद के बच्चे बड़े हों। अजीब दुनिया है। आस-पड़ौस में हंसी-ठिठोली भी खूब हुई
होगी।
चाची
बोलीं - चलो, विधवा का घर बस गया। पर, एक पत्नी के रहते दूसरी औरत से शादी करना मेरी
समझ से बाहर है।
तभी
पड़ौस में रहने वाली शैलबाला बोली - ये दुनिया निराली है। यहाँ अजीब-अजीब खेल होते हैं।
उसी
समय मोहल्ले में रहने वाली राजबाला वहाँ आई और कहने लगी - सुना आपने, मोहम्मद जुबैर
को सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई 2022 को बड़ी राहत देते हुए उसकी अंतरिम जमानत याचिका
को स्वीकार कर लिया और उसे उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह मामलों में जमानत दे दी।
चाची
बोली - अरे वही मोहम्मद जुबैर, जिसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
राजबाला
बोली - हाँ, चाची। अब उसको बीस हजार रुपये के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया
जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी प्राथमिकी
को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने
कहा है कि प्राथमिकी का स्थानांतरण सभी मौजूदा व भविष्य की सभी प्राथमिकियों पर लागू
होगा, जो भी इस मुद्दे पर दर्ज की जा सकती हैं।
तभी
शैलबाला ने अम्मा जी से पूछा - अम्मा जी, ये मोहम्मद जुबैर का मामला क्या है?
अम्मा
जी बताने लगीं - मोहम्मद जुबैर एक पत्रकार है, जिसके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 153 A - दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और
धारा 295 - धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जानबूझकर कोई काम करना के
तहत मुकदमा दर्ज किया था। जब दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर को दिल्ली के कोर्ट में
पेश किया गया तो दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से निवेदन किया था कि जुबैर को पूछताछ के लिए
पाँच दिन की रिमांड में दिया जाए, जिसको कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था और इस प्रकार
मोहम्मद जुबैर को पाँच दिन की रिमांड पर भेज दिया था।
शैलबाला
ने पूछा - तो फिर उसके बाद क्या हुआ?
अम्मा
जी बताने लगीं कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ पुलिस कार्रवाई विपक्षी पार्टियों और मानवाधिकार
संगठनों को रास नहीं आई। वे सब मोहम्मद जुबैर की रिहाई की मांग कर रहे थे।
चाची
कहने लगीं - मैंने पहले कभी मोहम्मद जुबैर नामक पत्रकार के बारे में नहीं सुना था।
आज ही ये खबर पढ़ी थी।
अम्मा
- मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा दो पत्रकार हैं। ये दोनों मिलकर पब्लिक डोनेशन पर
Alt News नाम की एक फैक्ट चेकिंग वेबसाइट चलाते हैं। सोशल मीडिया पर मोहम्मद जुबैर
को लोग काफी पसंद करते हैं और उनके सोशल मीडिया प्लेटफार्म अकाउंट्स पर बहुत सारे फॉलोअर्स
हैं। ट्विटर पर ही जुबैर के लगभग 580 हजार फॉलोअर्स हैं।
चाची
ने कहा - फैक्ट चैकिंग वेबसाइट, मैं कुछ समझी नहीं।
अम्मा
जी ने बताया - फैक्ट चेकिंग का अर्थ है तथ्यों को परखना। एक ऐसी वेबसाइट जो तथ्यों
को परखकर सामने रखे। अपनी वेबसाइट में वे कहते हैं कि सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता
का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है। और यह
तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे।
चाची
ने पूछा - अम्मा जी, कुछ और जानकारी दो कि वे करते क्या थे?
अम्मा
जी ने कहा - वे अपनी वेबसाइट के माध्यम से फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों को तथ्यों के
साथ रखते थे ताकि लोग जान सके कि असलियत क्या है। चलो अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने
उसे राहत दी।
वहाँ
उपस्थित सभी औरतें अम्मा जी की बात ध्यानपूर्वक सुन रही थीं। तभी अम्मा जी चाची की
और देखते हुए बोली - तुझे पता है कि नूपुर शर्मा को भी सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी
है।
चाची
बोलीं - हाँ, अम्मा जी, पता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 19 जुलाई 2022 के आदेश में कहा
है कि विवादित टिप्पणियों को लेकर नूपुर शर्मा के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज हुई
एफआईआर के सिलसिले में नूपुर शर्मा को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने सुनवाई के
लिए अगली तारीख तय की है।
अम्मा
- पिछली बार तो सुप्रीम कोर्ट के जज ने तो नूपुर शर्मा के प्रति नाराजगी प्रकट की थी
और कोई राहत प्रदान नहीं की थी, पर इस बार तो राहत दे ही दी। अब देखना है कि आगे क्या
होता है?
राजबाला
को राजनीति की बातों में बहुत मजा आता है। बात का विषय बदलते हुए कहने लगीं - सुना
आप सबने, ये ममता बनर्जी क्या कह रही है।
शैलबाला
ने पूछा - क्या कह रही है?
राजबाला
बोली - कह रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलेगा
और दूसरे दल एकजुट होकर सरकार बनाएँगे। उसने यह भी कहा कि जनता 2024 के लोकसभा चुनावों
में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर कर देगी।
चाची
बोलीं - राजबाला, ये राजनीतिज्ञ तो कुछ भी कह सकते हैं। अभी तो अगले लोकसभा चुनावों
के लिए दो साल पड़े हैं। वैसे भी देश में विपक्ष ही हालत पतली है। मुझे नहीं लगता कि
विपक्षी दल भाजपा को हरा पाएँगे। भाजपा का संगठन ढाँचा बहुत ही मजबूत है और उनके कार्यकर्ता
बहुत ही समर्पित हैं।
चाची
की बात सुनकर अम्मा जी बोलीं - छोटी, तुम सही कहती हो, भाजपा संगठन का ढाँचा बहुत मजबूत
है। भाजपा के कार्यकर्ता कभी भी अपनी सरकार के खिलाफ एक शब्द ना तो बोलते हैं ना ही
सुनना चाहते हैं, चाहे महँगाई बढ़े और रुपया कमजोर होता रहे। सुना है अब एक अमेरिकी
डॉलर अस्सी रूपये का हो गया है। यही भाजपा के लोग कांग्रेस राज में रेल किराया पाँच-दस
रुपये बढ़ जाने पर चिल्लाते थे और अब चाहे कितनी बार किराया बढ़ जाए फिर भी नहीं चिल्लाते।
तुमने देखा नहीं, घरेलू गैस सिलेंडर के भाव आसमान छू रहे हैं, पर भाजपा के मेम्बर्स
चूँ भी नहीं करते।
तभी
चाची ने कहा - अम्मा जी, सीनियर सिटीजन को रेल किराए में जो छूट मिलती थी, वह अब नहीं
मिलेगी।
अम्मा
जी ने कहा - अच्छा, तुम्हे कैसे पता?
चाची
बोलीं - मैंने ट्विटर पर पढ़ा था। आप तो जानती हैं, मैं फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम
देखती रहती हूँ।
अम्मा
जी कहने लगीं - पहले तो मैं भी देख लेती थी, पर अब आँखें दुःखने लगती हैं, इसलिए मोबाइल
देखना कम कर दिया है। इसके बाद चाची को न जाने क्या सूझा वे कहने लगीं कि भारत में
एक स्टेशन ऐसा है जिसके प्लेटफार्म का एक भाग गुजरात में है और दूसरा भाग महाराष्ट्र
में है।
राजरानी
ने पूछा कि कौन सा स्टेशन है जो दो राज्यों में पड़ता है?
चाची
ने बताया - मैं एक बार राजस्थान से मुंबई रेलगाड़ी से जा रही थी तब नवापुर स्टेशन पड़ा
था जो गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। इस स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक बेंच
के आधे हिस्से पर महाराष्ट्र और आधे हिस्से पर गुजरात लिखा है। इसके अलावा भवानी मंडी
रेलवे स्टेशन भी एक ऐसा स्टेशन है जिसका एक भाग मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में है
और दूसरा राजस्थान के झालावाड़ जिले में है।
राजरानी
ने चौंकते हुए कहा - अरे वाह। एक स्टेशन और दो राज्य।
तभी
अम्मा जी बताने लगी - भारत में एक ऐसा भी गाँव है जिसका कुछ भाग दूसरे देश में पड़ता
है।
राजरानी
ने कहा - अम्मा जी, इस गाँव के बारे में और अधिक जानकारी बताओ, आज तो मजा आ रहा है
बातें सुनने में।
अम्मा
जी ने बताया - इस गाँव का नाम लोंगवा है तथा यह अपने देश में नागालैंड राज्य के मोन
जिले में स्थित है। इस गाँव का कुछ भाग म्यांमार में पड़ता है। लोंगवा गाँव भारत के
नागालैंड और म्यांमार की सीमा पर घने जंगलों के बीच स्थित है और मजेदार बात यह है कि
किसी-किसी का घर तो दोनों देशों में पड़ता है, जैसे किसी की रसोई भारत में है तो उसका
बेडरूम म्यांमार में। है ना आश्चर्य की बात। लोंगवा गांव के बारे में बताया जाता है
कि यहाँ के कुछ लोग भारतीय सेना में तो कुछ लोग म्यांमार की सेना में हैं। सीमा पर
मौजूद होने के बाद कई लोगों के पास दोनों ही देशों में रहने का निवास स्थल है। लोंगवा
नागालैंड के मोन जिले में घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी
गाँव है। यहाँ कोंयाक आदिवासी रहते हैं। इन्हें बेहद ही खूँखार माना जाता है।
सभी
अम्मा जी की बात ध्यान से सुन रहे थे। उन्होंने आगे बताया - साल 1940 से पहले कोंयाक
आदिवासी अपने कबीले और उसकी जमीन पर कब्जे के लिए अन्य लोगों के सिर काट देते थे। कोयांक
आदिवासियों को हेड हंटर्स भी कहा जाता था। 1940 में ही सिर काट देने पर पूरी तरह से
प्रतिबंध लगा दिया गया। कहा जाता है कि 1969 के बाद सिर काट देने की कोई घटना इन आदिवासियों
के गाँव में नहीं हुई। इस गाँव को दो हिस्सों में कैसे बाँटा जाए, तो दोनों देशों के
अधिकारियों ने तय किया कि सीमा रेखा गाँव के बीचों-बीच से जाएगी, लेकिन कोंयाक पर इसका
कोई असर नहीं पड़ेगा। सीमा के पिलर पर एक तरफ म्यांमार की भाषा बर्मीज में और दूसरी
तरफ हिंदी में संदेश लिखा हुआ है। इस गांव के लोगों को भारत और म्यांमार दोनों देशों
की नागरिकता मिली हुई है। वो बिना पासपोर्ट-वीजा के दोनों देशों की यात्रा कर सकते
हैं।
राजरानी
खुश होकर बोली - आज तो अम्मा जी और चाची ने बहुत ही रोचक बात बताई।
उसी
समय चाची के यहाँ कोई आ गया तो वे अपने घर की ओर मुड़ गईं तो बाकी औरतें भी चल दी और
इस तरह आज की चौपाल समाप्त हुई।
यह
कथा-श्रृंखला, पाठको
को समर्पित है।
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कल्पना
और तथ्यों के
घालमेल से लिखी यह कथा-श्रृंखला रुचिकर लगेगी,
ऐसा मेरा विश्वास
है।
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